72 हूरें फिल्म : केरल स्टोरी की तरह हिला कर रख देंगी ये 2 फिल्में
72 हूरें फिल्म (72 Hoorain Movie) के साथ अजमेर 92 फिल्म (Ajmer 92 Movie) से जुड़ी जानकारियों बाहर आने के बाद से चारों तरफ इनसे जुड़ी चर्चाएं जोरों पर हैं| एक पक्ष केरल स्टोरी जैसी सत्य घटनाओं पर आधारित इन फिल्मों के समर्थन में खड़ा है तो एक पक्ष ऐसी फिल्मों के विपरीत खड़ा है|
ऐसा ही माहोल “The Kashmir Files” और “The Kerala Story” के बाद देखने को मिला था जिसके बाद ये कम बजट की फिल्में सुपर हिट साबित होईं |
आइए जानते हैं 72 हूरें फिल्म (72 Hoorain Movie) के साथ अजमेर 92 फिल्म (Ajmer 92 Movie) में ऐसा क्या है जिसकी वजह से Movie Release होने से पहले ही इन फिल्मों को लेकर बवाल मचा हुआ है|
72 हूरें फिल्म :आप में से ज्यादातर लोगो ने “The Kerala Story” Movie जरूर देखी, जिसमें बताया गया था की लव जिहाद के नाम पर किस तरह लकड़ियों को बहला फुसला कर उनका धर्म बदला जाता है, उनसे रिश्ते जोड़े जाते हैं, उन्हें आतंकवादी बनाया जाता है, उनका ब्रैन वॉश इस तरह कर दिया जाता है की जिसके बाद उन लड़कियों को उनके मां बाप ही, उन्हें उनके दुश्मन लगने लगते हैं|
यह कहानी कई सच्ची कहानियों को जोड़ कर बनाई गई थी| इस तरह की “लव जिहाद” से जुड़ी कहानियाँ सिर्फ केरल तक सीमित नहीं हैं आज लव जिहाद के मामले जापान और ब्रिटेन जैसे विकसित देशों में भी देखने को मिल रहे हैं |
The Kashmir Filer और The Kerala Story जैसी फिल्में उन दबे हुए मुद्दों को उठाती हैं जो की वोट और राजनीति के चक्कर में दबा दिए गए थे |
इसलिए जब ये मुद्दे खुल कर सामने आए तो इन मुद्दों ने सभी को चौंका दिया, जिसकी वजह से मात्र 20 से 30 करोड़ में बनी इन फिल्मों ने 200 करोड़ रुपए से भी ज्यादा की कमाई की |
अब ऐसे ही 2 मुद्दे जो कई वर्षों से दबे हुए थे| अब उन पर भी फिल्में आ रही हैं जिनमें से एक का नाम है 72 हूरें (72 Hoorain) और दूसरी फिल्म का नाम हैं अजमेर 92 (Ajmer 92)|
अब हो सकता हैं आप में कई लोगों को लगे की अगले साल लोकसभा के चुनाव हैं इसलिए यह सब किया जा रहा है |
अगर ऐसा किया भी जा रहा है तो मुझे नहीं लगता इसमें कुछ गलत है जब वोट और राजनीति के चलते एक पार्टी इतने गंभीर मुद्दों को दबा सकती हैं, सारे सबूतों को मिटा सकती है तो सीधी सी बात है राजनीति के लिए दूसरी पार्टी इन मुद्दों को उठा भी सकती है |
अजमेर 92 फिल्म किस पर आधारित है?
सबसे पहले हम बात करते हैं अजमेर 92 फिल्म (Ajmer 92 Movie) की जिसमें बात की गई है 1992 में अजमेर में हुए एक ऐसे “रेप कांड” की जिसमें एक ही स्कूल की 250 से भी ज्यादा लड़कियों का बलात्कार कर दिया गया था |
जिसके बाद स्कूल की कई बच्चियों ने आत्महत्या कर ली, कई बच्चियों ने अपनी पढ़ाई लिखाई छोड़ दी तो कई बच्चियां, जो आज किसी मां किसी की दादी हैं, वो न्याय के लिए कोर्ट के चक्कर काट रही हैं |
इस कांड के असली गुनाहगार थे अजमेर शरीफ दरागाह के खादिम, जिनमें एक है यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष फारुक चिश्ती, एक का नाम है खादिम नफीस चिश्ती और एक है खादिम अनवर चिश्ती।
अजमेर शरीफ दरगाह और यूथ कांग्रेस से जुड़े इन नामों की वजह से इस मुद्दे को इस कदर दबा दिया गया की 250 से ज्यादा बच्चियों के बलात्कार के बाद भी आज ये सभी आरोपी खुले घूम रहे हैं|
अब इसी मुद्दे पर अजमेर 92 फिल्म (Ajmer 92 Movie) आ रही हैं| देखते हैं क्या फिल्म आने के बाद, क्या इस मुद्दे पर कुछ फर्क पड़ता है, क्या सरकार इसे गंभीरता से लेकर पीड़ितों को न्याय दिलाती है या सिर्फ वोट बटोरती है |
72 हूरें फिल्म किस पर आधारित है?
दूसरी फिल्म जो आने वाली है वो है 72 हूरें (72 Hoorain) जिसमें बताया जाएगा कि किस तरह जन्नत और 72 हूरों के सपने दिखा कर लोगो को कट्टर बनाया जाता है, किस प्रकार युवाओं को आतंक के दलदल में फसाया जाता है, किस तरह कुछ कट्टर लोग जो जन्नत उन्होंने देखी भी नहीं उसके चक्कर में जो दुनिया उन्हें दिखाई दे रही है उसे अपनी आतंकवादी सोच के चलते कैसे जहन्नुम बना देते हैं |
अब हो सकता है कुछ लोगो को यह भी काल्पनिक लग रहा हो, तो ऐसे लोगो को मेरी सलाह है की आतंकवादी आदिल की यह विडियो देखें जिसमें वो खुद कह रहा है की यह सब वो जन्नत में हूरों के मजे लूटने के लिए कर रहा है|
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह वही आतंकी है जिसने पुलवामा अटैक में भारत के 40 जवानों की जान ले ली थी|
आतंकवाद और बुराई का कोई धर्म नहीं होता इसलिए आशा करता हूं की इन फिल्मों से किसी को भी कोई आपंति नहीं होगी|
फिर भी अगर सत्य घटना दिखाने से किसी को तकलीफ होती है या किसी की भावनाएं आहत होती हैं तो दिखाने वाले का विरोध करने से अच्छा उसका विरोध करना जिनकी वजह से ये घटनाएं होई हैं |
|| जय हिंद ||