
Bhagavad Gita 2.63 || अध्याय ०२ , श्लोक ६३ – श्रीमद्भगवत गीता
Bhagavad Gita 2.63 || क्रोध से भ्रम पैदा होता है , भ्रम से बुद्धि भ्रष्ट होती है| जब बुद्धि भ्रष्ट होती है तब…..
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Bhagavad Gita 2.15 || अध्याय ०२ , श्लोक १ ५ – श्रीमद्भगवत गीता
Bhagavad Gita 2.15 || हे अर्जुन ! जो पुरुष सुख तथा दु;ख मे विचलित नहीं होता और इन दोनों मे समभाव रखता है, वह…..
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Bhagavad Gita 4.13 || अध्याय ०४ , श्लोक १३ – भगवद गीता
Bhagavad Gita 4.13 || प्रकृति के तीनों गुणों (सत्व ,रज ,तम )और उनसे सम्बद्ध कर्म के अनुसार मेरे द्वारा मानव समाज के चार विभाग (ब्राहमण ,वैश्य ,क्षत्रिय ,शूद्र ) रचे गए…
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Bhagavad Gita 3.6 || अध्याय ०३, श्लोक ०६ – भगवद गीता
Bhagavad Gita 3.6 ||` भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि जो व्यक्ति अपनी इन्द्रियों को मन के द्वारा नियंत्रित करता है और कर्म योग का आचरण करता है, वही सर्वोत्तम है। इसका अर्थ है कि हम अपनी इन्द्रियों को…
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What is Spirituality with explanation | आध्यात्म क्या है ?
Know what is spirituality with explanation… आध्यात्म (Spirituality) का अर्थ है, अपने आप को जानना, पूरा – जानना (complete enquiry) | एक हैं जो दिख रहा है, एक है जो देख रहा है इन दोनों में से सबसे ज्यादा पास कौन है आपके? आध्यात्म (Spirituality) का अर्थ है, अपने आप को जानना, पूरा – जानना […]
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