What is Spirituality with explanation | आध्यात्म क्या है ?

What is Spirituality

Know what is spirituality with explanation…

आध्यात्म (Spirituality) का अर्थ है, अपने आप को जानना, पूरा – जानना (complete enquiry) | एक हैं जो दिख रहा है, एक है जो देख रहा है इन दोनों में से सबसे ज्यादा पास कौन है आपके?
What is Spirituality

आध्यात्म (Spirituality) का अर्थ है, अपने आप को जानना, पूरा – जानना (complete enquiry) | एक हैं जो दिख रहा है, एक है जो देख रहा है इन दोनों में से सबसे ज्यादा पास कौन है आपके?

आप बोलोगे, जो देख रहा है, जी हाँ, आपने बिल्कुल सही बोला जो देख रहा है : उसको जानने का नाम आध्यात्म (spirituality) है ||

होश / चेतना (consciousness)ही तो ज़िन्दगी है | चाहे आप इसे होश कह लें या फिर चेतना बस इन चीज़ों को मूलत: सुक्रिति का नाम ही आध्यात्म( spirituality) है ||

लेकिन दुर्भाग्य की बात तो ये है कि,इसको लेके इतना भ्रम फैलाया गया हैं भारत में की पूछये ही मत कई न्यूज़ चैनल हैं जहाँ पे spiritual guru का mockery किया गया मज़ाक बनाया गया और आश्चर्य कि बात है लोग हस्ते हैं इस पर,
कमाल कि बात है, लेकिन इसे किसी ने ठीक से समझा ही नहीं और ना ही, किसी ने कभी जानने की कोशिश की, रियल मायने में आखिर ये है क्या? तो तैयार हो जाईए जीवन के एक अनसुलझे रहस्य को जानने के लिए |

तो चलिए इसे decode करते हैं : आध्यात्म में जो power है ना,वह किसी और में नहीं, मायने ये नहीं रखता हैं कि आप किस कोम, या बिरादरी से आते हो, मायने तो बस ये रखता है की आप इसे फॉलो करो और इस path को अपने day to day लाइफ में अपना लो, इस्से ज्यादा कुछ तो होगा नहीं बस एक चीज होंगी और वह होंगी conversion |

conversion : from senses to conscious और इससे  क्या होगा, इससे होगा आपका human transformation:

From…..

” Lower level to highest level” जिससे आपके अंदर कि अहं भाव शून्य हो जाएगी और आप एक आंतरिक खुशी से सरोबर  हो जाओगे ||

” अहं “
वे इंसान हमेशा के लिए स्वतंत्र हो जाते हैं, जो सारी स्वार्थपूर्ण इच्छाऔ का त्याग कर देते हैं और “मैं ” और “मेरा ” वाले अहं के पिंजरे को तोड़ देते हैं || भगवद् गीता, 2:71

अगर आप ये स्वीकार कर लें  कि, ‘मैं अभी जैसा हूँ, उसके लिए मैं खुद ज़िम्मेदार हूँ, तो बड़ी से बड़ी विपत्ति को भी आप अपने विकास के रूप में रूपांतरित कर सकते हो,क्यूंकि आध्यात्म का बोध जीवन को रूपांतरित करता हैं ||

जब आप आध्यात्म में डुबकी लगाते हो तो आपको यह एहसास होगा कि नाराज़गी, गुस्सा, जलन, पीड़ा, तकलीफ़ और अवसाद, ये सब ऐसे जहर हैं, जिन्हें आप ख़ुद पीते हैं और उम्मीद करते हैं कि कोई और मर जाये, ज्यादातर लोग इस आसान सच को समझने में कई जिंदगीयाँ बरबाद कर देते हैं||

” जिस दिन आप ये जान लोगो कि, यहाँ स्वयं को जानने के अलावा, कुछ भी जानना, बेकार हैं, उस दिन से आपके लिए आनंद  के द्वार खुल जायेंगे “

और ये सब चीज़ें होंगी सिर्फ और सिर्फ आध्यात्म (spirituality )को फ़ॉलो करने से इसको जीवन में अपनाने से, क्यूंकि आज के इस उथल – पुथल ज़िन्दगी में हर एक इंसान भागे जा रहा हैं, किसी ना किसी चीज कि तलाश में किसी को खुशी चाहिए, तो किसी को धन-दौलत, ऐशो आराम, तो किसी को नाम और ख्याति  , और इस बिच में हम अपने आंतरिक खुशी को दिनों दिन मारते जा रहें हैं, बस उस आंतरिक खुशी को जीवन में लाने के लिए हमें आध्यात्म (spirituality) को अपनाने के सिवाय और कोई option नहीं हैं, क्यूंकि दिनोदिन लोग मानसिक रूप से बीमार होते जा रहे हैं और इस वजह से वह नशे के आदि होते जा रहें हैं, लेकिन उन्हें ये पाता ही नहीं हैं, कि जो नशा गांजा, भाँग, दारू, सिगरेट, चरस, अफीम, cockain में नहीं हैं , वो नशा आध्यात्म(spirituality)में हैं ||

क्यूंकि सबसे बड़ा नशा जो होता हैं वह spiritual नशा होता है, But उन नशों को experience करने के लिए आपको long term meditation करनी पड़ेगी  हर दिन, consistently एक साल के लिए अगर आपने मैडिटेशन किया ना तभी आपको उसके फायदे दिखेंगे,तभी आपको उसके नशे दिखेंगे||

SPIRITULASIM : एक option देता हैं “ध्यान “

ध्यान: क्या देती हैं?  ध्यान देती हैं

• SPIRITUAL AWAKENING (आध्यात्मिक जागृति )

• DARENESS(साहस)

• CONFIDENCE (आत्मविश्वास)

• ENTHUSIASM (उमंग, उत्साह ) & last but not list

• TEMPERAMENT (जज़्बा )

“TEMPERAMENT IS THE THING WHICH WILL HELPS YOU TO HANDLE ANY SITUATION “

ध्यान आपको जज़्बा देगा जज़्बा, जज़्बा आपको किसी भी परिस्थिति में निपटने में सक्ष्म बनाएगा, और दुनिया इन्हीं के बल में जीती जाती है, कोई इस रास्ते को पकड़ कर बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर बन जाता हैं तो कोई कलाम शाहब बन जाता हैं, कोई महावीर बन जाता हैं, कोई स्वामी विवेकानंद बन जाता हैं तो कोई बुद्ध बन जाता हैं ||

धन्यवाद

लेखक – सुमित रज़वाड़

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