प्रेमानंद जी महाराज से जाने राम, कृष्ण या राधा किस नाम जप से मिलेगा जल्दी फल

राम, कृष्ण या राधा किस नाम जप से मिलेगा जल्दी फल | प्रेमानंद जी महाराज ने दिया जवाब

प्रेमानंद जी महाराज से जाने राम, कृष्ण या राधा किस नाम जप से मिलेगा जल्दी फल

प्रेमानंद जी महाराज के उपदेशों में सबसे महत्वपूर्ण बात है कि हमें अपने गुरुदेव द्वारा दिए गए नाम पर अडिग विश्वास रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे मन में संदेह के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए। जब गुरुदेव ने किसी को कोई नाम दिया है, तो उसमें पूर्ण विश्वास रखना चाहिए और उस नाम का जप करना चाहिए। प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, यदि हम संदेह करेंगे, तो हमारी आत्मा विनाश की ओर अग्रसर हो जाएगी। इसलिए, हमें गुरु के दिए हुए नाम का ही जप करना चाहिए और दूसरों की साधना पर दोष दर्शन नहीं करना चाहिए।

भाव की महत्ता

प्रेमानंद जी महाराज ने कहा कि भगवान को पुकारने का तरीका या उच्चारण उतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना कि भाव। यदि कोई भक्त भगवान को सच्चे भाव से पुकारता है, भले ही वह उच्चारण में त्रुटि कर रहा हो, भगवान उसकी पुकार सुनते हैं। प्रेमानंद जी महाराज ने उदाहरण दिया कि यदि कोई भक्त “किशन कन्हैया ” कहता है, तो भी भगवान प्रसन्न हो जाते हैं, क्योंकि भगवान भाव के अनुसार कृपा करते हैं, न कि मात्र उच्चारण के आधार पर।

व्याकरण और साधना

प्रेमानंद जी महाराज ने बताया कि व्याकरण का ज्ञान अपनी जगह है, लेकिन साधना में भाव प्रमुख होता है। उन्होंने कहा कि व्याकरणाचार्यों के लिए शुद्ध उच्चारण आवश्यक हो सकता है, लेकिन जो साधारण भक्त हैं, वे भगवान के नाम को जिस प्रकार भी पुकारें, उनका भाव ही मुख्य है। यदि कोई भक्त व्याकरण की त्रुटियों के बावजूद भगवान को पुकार रहा है, तो उसे भगवान की प्राप्ति हो जाएगी, जबकि व्याकरण के जानकारों के लिए भगवान का शुद्ध उच्चारण आवश्यक है।

ब्रजभाषा और भगवान का नाम

प्रेमानंद जी महाराज ने ब्रजभाषा का उदाहरण देकर समझाया कि किस प्रकार से ब्रज में भगवान के नाम का उच्चारण किया जाता है। उन्होंने कहा कि ब्रज में “ण” का स्थान “न” से बदल दिया जाता है, जैसे “कृष्ण” को “किशन” कहा जाता है। यह भगवान के प्रति सच्चे भाव को दर्शाता है, न कि मात्र उच्चारण की शुद्धता को। ब्रजभाषा में भगवान के नाम का जप करने वाले भक्तों को भगवान की कृपा प्राप्त होती है, चाहे वे शुद्ध उच्चारण करें या नहीं।

राधा-कृष्ण की उपासना

प्रेमानंद जी महाराज ने राधा-कृष्ण की उपासना के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि जब हम राधा नाम का जप करते हैं, तो श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं। इसी प्रकार, जब हम श्रीकृष्ण का नाम लेते हैं, तो राधा जी प्रसन्न होती हैं। यह युगल उपासना का महत्व दर्शाता है, जिसमें राधा और कृष्ण दोनों की समान महत्ता है। उन्होंने कहा कि ब्रजवासियों की उपासना में राधा और कृष्ण दोनों का नाम साथ-साथ लिया जाता है, जिससे भक्तों को विशेष कृपा प्राप्त होती है।

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भक्ति का मार्ग और भगवान की प्राप्ति

प्रेमानंद जी महाराज ने भक्ति के मार्ग को स्पष्ट किया और कहा कि यदि हम सही तरीके से भक्ति करेंगे, तो हमें निश्चित रूप से भगवान की प्राप्ति होगी। उन्होंने कहा कि यदि किसी का जीवन समाप्त हो जाता है और उसे भगवान का साक्षात्कार नहीं हुआ है, तो उसका साधना का फल नष्ट नहीं होता। अगले जन्म में वह उसी स्थान से अपनी साधना प्रारंभ करेगा, जहाँ उसने पिछली बार छोड़ा था।

प्रेमानंद जी महाराज ने कहा कि हमें इस जन्म में ही भगवान की प्राप्ति का लक्ष्य रखना चाहिए और नाम जप के अभ्यास को निरंतर बनाए रखना चाहिए। जब भी हमारा अंतिम समय आए, हमें भगवान का नाम जपना चाहिए, जिससे हमें भगवान की प्राप्ति पक्की हो जाएगी। उनके अनुसार, भगवान की प्राप्ति के लिए हमें अपने हर सांस में भगवान का नाम जपने का अभ्यास करना चाहिए और संसार के सारे कार्य भगवान के नाम में समर्पित करते हुए करने चाहिए।

निष्कर्ष

प्रेमानंद जी महाराज के उपदेशों में भक्तिभाव, विश्वास, और साधना की महत्ता पर विशेष जोर दिया गया है। उन्होंने हमें यह सिखाया कि भगवान के नाम का जप करने में भाव सबसे महत्वपूर्ण है। चाहे हम नाम का शुद्ध उच्चारण करें या नहीं, यदि हमारा भाव सच्चा है, तो भगवान की कृपा निश्चित रूप से प्राप्त होगी। उनकी शिक्षाओं में यह संदेश स्पष्ट है कि हमें अपने गुरु के प्रति अडिग विश्वास रखना चाहिए और संदेह को अपने मन से दूर करना चाहिए |

|| राधे राधे ||
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