कब, कैसे और कहाँ आएगा कल्कि अवतार? सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने दिया जवाब
सद्गुरु के अनुसार, कलियुग का संबंध अंधकार के युग से है, जो सौर मंडल के चक्र का हिस्सा है। सौर मंडल कई हजार वर्षों में एक पूरा चक्र पूरा करता है, जिसमें चार युग होते हैं। ये चार युग सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, और कलियुग होते हैं। सद्गुरु बताते हैं कि यह चक्र सौर मंडल और महा सूर्य के बीच की दूरी के कारण महत्वपूर्ण होता है। जैसे-जैसे सौर मंडल महा सूर्य से दूर जाता है, मानव बुद्धिमत्ता कम होती जाती है, और जैसे ही यह पास आता है, बुद्धिमत्ता बढ़ने लगती है। इस संदर्भ में, कलियुग वह समय है जब मानव बुद्धिमत्ता अपने सबसे निचले स्तर पर होती है।
Table of Contents
Toggleमानव मस्तिष्क और बुद्धिमत्ता का विकास
सद्गुरु आगे बताते हैं कि मानव मस्तिष्क की बुद्धिमत्ता विद्युत और चुम्बकीय बलों पर निर्भर करती है। आधुनिक वैज्ञानिकों का कहना है कि मानव मस्तिष्क का और अधिक विकास संभव नहीं है, क्योंकि मस्तिष्क की न्यूरॉन्स की संख्या बढ़ाने या आकार बड़ा करने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होगी, जो कि वर्तमान ऊर्जा संरचना के साथ संभव नहीं है। सद्गुरु इसे योग विज्ञान से जोड़ते हैं, जो कहता है कि भले ही मानव शरीर और मस्तिष्क का और विकास नहीं हो सकता, लेकिन उसकी उपयोगिता को बेहतर किया जा सकता है।
आध्यात्मिक जागरूकता और युग परिवर्तन
सद्गुरु बताते हैं कि जैसे-जैसे सौर मंडल अंधकार से बाहर निकलता है, मानव बुद्धिमत्ता में अचानक वृद्धि होती है, जो एक स्वर्गिक संभावना के कारण होता है। यह बुद्धिमत्ता प्रकृति की ओर से एक उपहार है, जो दिव्यता के कारण मानव में उतरती है और अंधकार को नष्ट कर देती है। सद्गुरु के अनुसार, यदि हम इस जागरूकता को समझते हैं और उसका स्वागत करते हैं, तो कल्कि अवतार का प्रतीकात्मक महत्व हमारे जीवन में स्पष्ट हो सकता है।
यहाँ भी पढ़े : How to Meet Premanand Ji Maharaj : बना रहे है प्रेमानंद जी महाराज से मिलने का मन । यह रहा पूरा प्रोसेस
अंधकार का नाश: प्रकाश का महत्व
सद्गुरु ने यह भी समझाया कि अंधकार सबसे नाजुक चीज़ है, जिसे केवल प्रकाश से मिटाया जा सकता है। उन्होंने कल्कि अवतार के बारे में बताया कि यह प्रतीकात्मक रूप से प्रकाश के माध्यम से अंधकार को नष्ट करने का संकेत है। अगर हम अंधकार से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो हमें अपने भीतर के प्रकाश को जगाना होगा। यह अंधकार सिर्फ एक लाइट जलाने से समाप्त हो जाता है, जो हमारे भीतर की बुद्धिमत्ता और जागरूकता का प्रतीक है।
निष्कर्ष
सद्गुरु के विचारों के अनुसार, कल्कि अवतार का प्रतीकात्मक अर्थ यह है कि जैसे-जैसे हम अंधकार से बाहर आते हैं, हमें अपनी बुद्धिमत्ता और जागरूकता को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। यह उजाला हमारे भीतर से आता है और हमें एक नए युग में प्रवेश करने के लिए तैयार करता है। कल्कि अवतार का उद्देश्य हमारे जीवन में अंधकार को मिटाकर एक नए युग की शुरुआत करना है, जो मानवता के लिए एक नई दिशा का प्रतीक है।
इस प्रकार, सद्गुरु की व्याख्या हमें कल्कि अवतार के प्रतीकात्मक महत्व को समझने में मदद करती है और हमें आत्म-जागरूकता की ओर प्रेरित करती है।
मित्रों अगर आप उन लोगों में से हैं जो अपने जीवन में आनंद, प्रेम और अध्यात्म को लाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको एक रुद्राक्ष या रुद्राक्ष माला जरूर धारण करनी चाहिए। लेकिन ध्यान रखें की आपके पास जो रुद्राक्ष है वह पूर्णतः प्राकृतिक होना चाहिए। इस तरह का रुद्राक्ष आप अपने किसी नजदीकी विश्वासपात्र से ले सकते हैं। अगर आप इस तरह का रुद्राक्ष Online मंगवाना चाहते हैं तो आप हमारी वेबसाईट mygyanalaya.in से ले सकते हैं। जहां पर साथ में आपको मिलेगी निशुल्क पंडित जी हेल्पलाइन जिसकी सहायता से आप इन चीजों को सही से उपयोग में ला सकेंगे |