Bhagavad Gita 4.13

Bhagavad Gita 4.13 || अध्याय ०४ , श्लोक १३ – भगवद गीता

Bhagavad Gita 4.13 || प्रकृति के तीनों गुणों (सत्व ,रज ,तम )और उनसे सम्बद्ध कर्म के अनुसार मेरे द्वारा मानव समाज के चार विभाग (ब्राहमण ,वैश्य ,क्षत्रिय ,शूद्र ) रचे गए…

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bhagvad gita 3.6

Bhagavad Gita 3.6 || अध्याय ०३, श्लोक ०६ – भगवद गीता

Bhagavad Gita 3.6 ||` भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि जो व्यक्ति अपनी इन्द्रियों को मन के द्वारा नियंत्रित करता है और कर्म योग का आचरण करता है, वही सर्वोत्तम है। इसका अर्थ है कि हम अपनी इन्द्रियों को…

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पुष्पक विमान

वैज्ञानिकों ने खोजा रावण के पुष्पक विमान का यह सच | Scientific Truth behind Ravan Pushpak Viman in Ramayan

हिंदू धर्म (Hinduism) के सबसे विख्यात ग्रंथ रामायण (Ramayan) में एक ऐसे पुष्पक विमान (Pushpak Viman) के बारे में बात की गई है जो की रावण (Ravana) के पास था

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Avatar 2 connection with Hinduism

अवतार फिल्म का है हिन्दू धर्म से गहरा कनेक्शन

अवतार फिल्म (Avatar Movie) हिन्दू धर्म ( Hinduism ) से बड़ा ही गहरा संबंध रखती है | इस फिल्म में कई ऐसी चीजें हैं जो इसका संबंध सीधे सनातन धर्म से दर्शाती हैं |

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What is Spirituality

What is Spirituality with explanation | आध्यात्म क्या है ?

Know what is spirituality with explanation… आध्यात्म (Spirituality) का अर्थ है, अपने आप को जानना, पूरा – जानना (complete enquiry) | एक हैं जो दिख रहा है, एक है जो देख रहा है इन दोनों में से सबसे ज्यादा पास कौन है आपके? आध्यात्म (Spirituality) का अर्थ है, अपने आप को जानना, पूरा – जानना…

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ध्यान क्या है? What is Dhyana?

ध्यान (Dhyana) है मृत्यु – मन की मृत्यु, मैं की मृत्यु, विचार का अंत| शुद्ध चैतन्य हो जाना, मगर दुर्भाग्य से आज के इस मॉडर्न एरा में ऐसा ध्यान मुग्ध हो पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है| हज़ारो योग पुरुष आये और चले गए लेकिन इस संसार में ध्यान के महत्व को बहुत ही कम…

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Bhagavad Gita 6.6

Bhagavad Gita 6.6 || अध्याय ०६ , श्लोक ०६ – भगवद गीता

Bhagavad Gita 6.6 : भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को समझाते हैं, जीवन में कुछ भी सार्थक करने के लिए मन पर नियंत्रण होना चाहिए। हर व्यक्ति के लिए यह दो संभावना है या तो मन पर उसका नियंत्रण होगा या फिर मन का नियंत्रण उस पर होगा, या तो तुम मन के सेवक होंगे या फिर मन तुम्हारा सेवक होगा। अब यह…Read More

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Bhagavad Gita 2.47

Bhagavad Gita 2.48 || अध्याय ०२ , श्लोक ४८ – भगवद गीता

Bhagavad Gita 2.48 : भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं, कार्य करते समय कभी भी आसक्ति भाव मन में मत रखो। बिना आसक्ति भाव के कार्य करने का अर्थ है कि, कार्य करते समय उससे किसी भी तरह के फल की आशा मत रखो | तुम…Read More

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Gita 2.47

Bhagavad Gita 2.47 || अध्याय ०२ , श्लोक ४७ – भगवद गीता

Bhagavad Gita 2.47 : यह बात सही है कि तुम अपने कर्मों को करने के लिए पूरी तरह से मुक्त हो, यह तुम्हारे ऊपर है की तुम क्या कर्म करते हो क्या कर्म नहीं करते हो तुम किस कर्म को किस तरीके से एवं किस दक्षता के साथ करते हो इस पर तुम्हारा पूरा पूरा अधिकार है |

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