मन पर कैसे काबू पाए यह जीवन में एक महत्वपूर्ण कला है, और सद्गुरु जी ने इस विषय पर गहन ज्ञान प्रदान किया है। उनके अनुसार, मन को सही दिशा में प्रशिक्षित करके हम अपनी कल्पना को एक नई दिशा दे सकते हैं, जिससे जीवन को गहरे रूप में समझा जा सके। आइए समझते हैं कि कैसे हम अपने मन पर काबू पाकर एक नई दिशा की ओर बढ़ सकते हैं।
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Toggle1.कल्पना को सजीव बनाए?
सद्गुरु कहते हैं कि जब आपका मन प्रशिक्षित होता है, तभी आपकी कल्पना जीवंत हो पाती है। साधारणतः जब हम किसी चीज़ की कल्पना करते हैं, तो वह स्पष्ट नहीं होती। लेकिन अगर हम अपने मन को ज्यामितीय रूप से प्रशिक्षित करें, तो हमारी कल्पना वास्तविक जैसी लगने लगती है। प्रशिक्षित करने के बाद अगर हम किसी वस्तु या व्यक्ति की कल्पना करते हैं, तो वह हमारे मस्तिष्क में स्पष्ट रूप से उभरने लगेगा, जिससे हमें उसकी गहराई समझने में मदद मिलेगी।
2. मन को कैसे प्रशिक्षित करें?
सद्गुरु ने ज्यामिति का उदाहरण देते हुए समझाया कि त्रिभुज सबसे स्थिर और बुनियादी ज्यामितीय आकार होता है। हमारे शरीर के सभी चक्र त्रिभुज के रूप में माने जा सकते हैं। अगर हम किसी भी आकार को काल्पनिक रूप से अपने मन में लाखों त्रिभुजों में विभाजित करें, तो हम उस रूप को गहराई से समझने लगते हैं। यह प्रक्रिया हमारी कल्पना को सजीव बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
3.नींद में कल्पना की स्पष्टता
सद्गुरु के अनुसार, सोते समय हम अपनी कल्पना को जागृत अवस्था से भी बेहतर तरीके से कर सकते हैं। जब हम सपने में किसी वस्तु या व्यक्ति को देखते हैं, तो वह बिलकुल वास्तविक जैसी दिखती है। यह इस बात का प्रमाण है कि हमारा मन कितनी स्पष्टता से काम कर सकता है, लेकिन इसे जागते हुए भी उतनी ही स्पष्टता से करना ही असली सफलता है।
4.मन पर महारत कैसे प्राप्त करें?
सद्गुरु कहते हैं कि मन पर महारत प्राप्त करने के लिए हमें नियमित अभ्यास की आवश्यकता होती है। यह कोई तात्कालिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि इसके लिए निरंतर अनुशासन की आवश्यकता होती है। अगर हम अपने मन को कई छोटे हिस्सों में विभाजित कर उसे समझने की कोशिश करेंगे, तो हमारी समझ और कल्पना की स्पष्टता बढ़ जाएगी। यह अभ्यास हमें किसी भी चीज़ को गहराई से देखने और समझने में मदद करता है।
5.मन को कैसे पीछे छोड़ें?
सद्गुरु के अनुसार, हमारा मन एक दर्पण की तरह है, जो सिर्फ प्रतिबिंब दिखाता है। अगर हम सिर्फ अपने मन की छवियों को ही देखते रहेंगे, तो जीवन की असली गहराई को नहीं समझ पाएंगे। हमें अपने मन के प्रतिबिंबों से परे जाकर जीवन का वास्तविक आनंद लेना चाहिए। इसके लिए हमें मन पर महारत हासिल करनी होगी ताकि हम उसकी छवियों के पीछे की वास्तविकता को समझ सकें।
6.शून्यता की ओर ध्यान केंद्रित करना
सद्गुरु जी बताते हैं कि अगर हम अपने मन को इतनी बारीकी से प्रशिक्षित करें कि वह शून्यता की ओर चला जाए, तो हम जीवन के असली रहस्य को समझने लगते हैं। जब मन की सारी इच्छाएं और भावनाएं समाप्त हो जाती हैं, तब हम शून्यता की स्थिति में प्रवेश करते हैं, जहां से जीवन की गहरी समझ शुरू होती है। इस शून्यता में ही सच्चा आनंद और शांति होती है।
7. जीवन की गहराई को समझना
सद्गुरु कहते हैं कि जीवन सिर्फ विचारों और भावनाओं तक सीमित नहीं है। ये सिर्फ हमारे मन की छवियां होती हैं, जिनका वास्तविकता से कोई गहरा संबंध नहीं होता। हमें इन छवियों से परे जाकर जीवन की गहराई को समझना चाहिए। मन के प्रतिबिंब हमें सिर्फ सतही जीवन जीने के लिए प्रेरित करते हैं, लेकिन अगर हम इनसे पार जाएं, तो जीवन का असली अर्थ हमारे सामने प्रकट होता है।
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8.अंतिम सीख: मन पर काबू पाना
सद्गुरु की अंतिम सीख यह है कि मन पर काबू पाना कोई साधारण प्रक्रिया नहीं है, बल्कि इसके लिए निरंतर ध्यान और अनुशासन की आवश्यकता होती है। जब हम अपने मन पर महारत हासिल कर लेते हैं, तब हम जीवन को एक नई दृष्टि से देखने लगते हैं। यह महारत हमें जीवन के हर पहलू को गहराई से समझने और आनंद लेने की क्षमता प्रदान करती है।
निष्कर्ष
सद्गुरु जी के अनुसार, मन पर काबू पाना, जीवन की वास्तविकता को समझने की कुंजी है। अगर हम अपने मन को सही दिशा में प्रशिक्षित करें, तो हम अपनी कल्पना को वास्तविकता में बदल सकते हैं। लेकिन इसके लिए अनुशासन और निरंतर अभ्यास की आवश्यकता होती है। सद्गुरु की यह शिक्षाएं हमें दिखाती हैं कि मन को नियंत्रित करके हम अपने जीवन को एक नई दिशा दे सकते हैं।