दीपावली क्यों मनाई जाती है? 99% हिन्दू नहीं जानते सरल से दिखने वाले सवाल का पूरा जवाब | Diwali Kyu Manate Hai
Diwali Kyu Manate Hai : दीपावली को हम सभी भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने की खुशी में मनाते हैं, लेकिन यह त्यौहार और भी कई व्यापक और महत्वपूर्ण घटनाओं से जुड़ा हुआ है। असल में, सनातन धर्म का इतिहास इतना गहरा और विविधतापूर्ण है कि हमें अपने ही त्यौहारों के सभी पहलुओं की जानकारी नहीं होती। दीपावली का उद्देश्य हमेशा से अंधकार पर प्रकाश की विजय रहा है, और जहाँ-जहाँ भी इस तरह की घटनाएं हुईं, वहां दीपावली मनाई गई।
दीपावली के विभिन्न ऐतिहासिक संदर्भ
दीपावली को किसी एक विशेष घटना से जोड़ना मुश्किल है क्योंकि (Diwali Kyu Manate Hai) यह केवल श्रीराम के वनवास से लौटने तक सीमित नहीं है। यह त्यौहार उन सभी घटनाओं से जुड़ा है जहाँ बुराई पर अच्छाई की विजय हुई, और ज्ञान ने अज्ञानता पर जीत प्राप्त की। ऐसे में, दीपावली के इतिहास को समझने के लिए हमें कई महत्वपूर्ण घटनाओं पर ध्यान देना होगा।
बंदी छोड़ दिवस: सिख धर्म में दीपावली का महत्व
दीपावली (Diwali Kyu Manate Hai) का एक महत्वपूर्ण संदर्भ सिख धर्म से भी जुड़ा हुआ है। इसे बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाया जाता है, जब सिखों के छठे गुरु, गुरु हरगोविंद सिंह जी, और 52 अन्य हिंदू राजा, मुगलों की कैद से मुक्त हुए थे। इस घटना को भी दिवाली से जोड़ा जाता है क्योंकि यह बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। इसलिए, सिख धर्म में बंदी छोड़ दिवस के रूप में यह दिन बहुत महत्त्वपूर्ण है।
यमराज और नचिकेता का संवाद
Diwali Kyu Manate Hai : यदि हम और भी प्राचीन घटनाओं पर ध्यान दें, तो कठ उपनिषद में यमराज और नचिकेता के बीच का संवाद भी दीपावली से जुड़ा हुआ है। इस संवाद में नचिकेता को यमराज से अमरता और आत्मज्ञान का उपदेश मिलता है, जिससे उनके मन का अंधकार दूर होता है और वह ज्ञान की ज्योति से प्रकाशित हो जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह संवाद दिवाली के समय ही हुआ था, और इस कारण इसे भी दीपावली के इतिहास का एक महत्वपूर्ण भाग माना जाता है।
पुराणों में दीपावली का उल्लेख
Diwali Kyu Manate Hai : दीपावली का उल्लेख पद्म पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है। पद्म पुराण लगभग 2000 साल पुराना ग्रंथ है, जिसमें दीपावली को पांच दिन के त्यौहार के रूप में वर्णित किया गया है। यह त्यौहार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी से शुरू होता है और अमावस्या तक चलता है। इस ग्रंथ में बताया गया है कि त्रयोदशी और चतुर्दशी यमराज को समर्पित दिन होते हैं। जैसा कि पहले यमराज और नचिकेता की कथा का उल्लेख किया था, ऐसा माना जाता है कि यह संवाद त्रयोदशी या चतुर्दशी के दिन ही हुआ था।
दक्षिण और उत्तर भारत में दीपावली के विभिन्न रूप
Diwali Kyu Manate Hai : दीपावली का महत्व केवल उत्तर भारत तक ही सीमित नहीं है। दक्षिण भारत में चतुर्दशी के दिन नरकासुर के वध का उत्सव मनाया जाता है, जब श्री कृष्ण ने सत्यभामा के साथ मिलकर इस राक्षस का वध किया था। इस दिन को दक्षिण भारत में दिवाली के रूप में मनाया जाता है, जबकि उत्तर भारत में इसे छोटी दिवाली कहा जाता है।
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निष्कर्ष
Diwali Kyu Manate Hai : दीपावली केवल भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने की घटना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उन सभी घटनाओं का प्रतीक है, जहाँ प्रकाश ने अंधकार पर, अच्छाई ने बुराई पर, और ज्ञान ने अज्ञानता पर विजय प्राप्त की। चाहे वह बंदी छोड़ दिवस हो, यमराज और नचिकेता का संवाद हो, या नरकासुर का वध – दीपावली इन सभी घटनाओं से जुड़ी हुई है।
यह त्यौहार हमें सिखाता है कि जहां भी अंधकार से प्रकाश की ओर यात्रा होती है, वहाँ दीपावली मनाई जाती है।