Supreme God in Hinduism | हिन्दू धर्म में कई भगवानों की मान्यता है लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं की इनमें सबसे बडा भगवान कौन है | मुख्यत: तीन भगवानों को सबसे बड़ा…
Read MoreTag: Hinduism
Bhagavad Gita 2.63 || अध्याय ०२ , श्लोक ६३ – श्रीमद्भगवत गीता
Bhagavad Gita 2.63 || क्रोध से भ्रम पैदा होता है , भ्रम से बुद्धि भ्रष्ट होती है| जब बुद्धि भ्रष्ट होती है तब…..
Read MoreBhagavad Gita 2.15 || अध्याय ०२ , श्लोक १ ५ – श्रीमद्भगवत गीता
Bhagavad Gita 2.15 || हे अर्जुन ! जो पुरुष सुख तथा दु;ख मे विचलित नहीं होता और इन दोनों मे समभाव रखता है, वह…..
Read MoreBhagavad Gita 4.13 || अध्याय ०४ , श्लोक १३ – भगवद गीता
Bhagavad Gita 4.13 || प्रकृति के तीनों गुणों (सत्व ,रज ,तम )और उनसे सम्बद्ध कर्म के अनुसार मेरे द्वारा मानव समाज के चार विभाग (ब्राहमण ,वैश्य ,क्षत्रिय ,शूद्र ) रचे गए…
Read MoreBhagavad Gita 3.6 || अध्याय ०३, श्लोक ०६ – भगवद गीता
Bhagavad Gita 3.6 ||` भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि जो व्यक्ति अपनी इन्द्रियों को मन के द्वारा नियंत्रित करता है और कर्म योग का आचरण करता है, वही सर्वोत्तम है। इसका अर्थ है कि हम अपनी इन्द्रियों को…
Read Moreवैज्ञानिकों ने खोजा रावण के पुष्पक विमान का यह सच | Scientific Truth behind Ravan Pushpak Viman in Ramayan
हिंदू धर्म (Hinduism) के सबसे विख्यात ग्रंथ रामायण (Ramayan) में एक ऐसे पुष्पक विमान (Pushpak Viman) के बारे में बात की गई है जो की रावण (Ravana) के पास था
Read MoreBhagavad Gita 2.48 || अध्याय ०२ , श्लोक ४८ – भगवद गीता
Bhagavad Gita 2.48 : भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं, कार्य करते समय कभी भी आसक्ति भाव मन में मत रखो। बिना आसक्ति भाव के कार्य करने का अर्थ है कि, कार्य करते समय उससे किसी भी तरह के फल की आशा मत रखो | तुम…Read More
Read MoreBhagavad Gita 2.47 || अध्याय ०२ , श्लोक ४७ – भगवद गीता
Bhagavad Gita 2.47 : यह बात सही है कि तुम अपने कर्मों को करने के लिए पूरी तरह से मुक्त हो, यह तुम्हारे ऊपर है की तुम क्या कर्म करते हो क्या कर्म नहीं करते हो तुम किस कर्म को किस तरीके से एवं किस दक्षता के साथ करते हो इस पर तुम्हारा पूरा पूरा अधिकार है |
Read More