खाना खाने के तुरंत बाद सोने से क्या होता है? सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने दिया जवाब
खाना खाने के तुरंत बाद सोना या नींद लेना एक आम आदत है जिसे कई लोग सहजता से अपना लेते हैं। हालांकि, इस सरल लगने वाली आदत के पीछे कुछ गहरे स्वास्थ्य संबंधी प्रभाव छिपे होते हैं, जिन्हें सद्गुरु ने बड़े ही सरल और स्पष्ट रूप से समझाया है। सद्गुरु के अनुसार, भोजन का सही तरीके से पाचन और शरीर की ऊर्जा का उचित प्रबंधन हमारे स्वास्थ्य और जीवनशैली के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
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Toggleभोजन और ऊर्जा का संबंध
सद्गुरु जग्गी वासुदेव बताते हैं कि जब हमारा शरीर अस्वस्थ होता है, तो हम सामान्य से अधिक नींद लेने लगते हैं। इसका कारण यह है कि शरीर की ऊर्जा का अधिकांश भाग उस बीमारी या अस्वस्थता से लड़ने में खर्च हो रहा होता है, जिससे शरीर को आराम और पुनर्स्थापना की आवश्यकता होती है। इसी प्रकार, भोजन के बाद तुरंत सोना भी शरीर में ऊर्जा की कमी का संकेत हो सकता है।
यदि आप दिन के किसी भी समय अचानक नींद महसूस करते हैं, तो सद्गुरु के अनुसार, यह संकेत हो सकता है कि आपके शरीर में कुछ गड़बड़ हो रही है। शरीर में ऊर्जा की कमी के कारण हमें आलस्य और सुस्ती महसूस होती है। इसके पीछे मुख्य कारण यह हो सकता है कि हमारा भोजन सही ढंग से पच नहीं रहा है, और शरीर भोजन से मिलने वाली ऊर्जा को सही तरीके से उपयोग नहीं कर पा रहा है।
भोजन की मात्रा और उसका प्रभाव
सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने योग के मार्ग पर चलने वाले लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण सुझाव दिया है। उनके अनुसार, ऐसे लोगों को 24 कोर (गस्से) भोजन खाने की सलाह दी जाती है। हालांकि, यह सलाह सभी के लिए नहीं है, लेकिन यह इस बात पर जोर देती है कि हमें अपने भोजन की मात्रा और उसे पचाने के तरीके पर ध्यान देना चाहिए। सद्गुरु ने बताया कि यदि आपको दिन भर नींद आती है, तो आप केवल 24 कोर ही खाएं और हर कोर को 24 बार चबाएं।
भोजन के पाचन में सही चबाने का महत्व
सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने बताया कि अगर हम अपने भोजन को अच्छे से चबाते हैं, तो हमारा पाचन तंत्र उसे बेहतर तरीके से पचा सकता है। इससे हमें सुस्ती या आलस महसूस नहीं होगा और हम अधिक सतर्क रहेंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि हर कौर को 24 बार चबाना चाहिए ताकि वह मुँह में ही पूरी तरह पेस्ट में बदल जाए और पेट में जाने के बाद उसे पचने में कम समय लगे। इससे हमारा शरीर भोजन से अधिकतम ऊर्जा प्राप्त कर सकेगा, और हमें नींद या आलस्य महसूस नहीं होगा।
भोजन के बाद ध्यान और सतर्कता
सद्गुरु के अनुसार, यदि हम अपने भोजन को सही ढंग से चबाते हैं और नियंत्रित मात्रा में खाते हैं, तो हम सुबह जल्दी उठकर ध्यान और साधना में मन लगा सकते हैं। उन्होंने बताया कि यदि आप रात के खाने के बाद 24 कोर खाने के नियम का पालन करते हैं, तो आप सुबह साढ़े तीन बजे उठ सकते हैं। यह समय ध्यान और साधना के लिए उपयुक्त माना गया है।
इसके अलावा, सद्गुरु ने बताया कि यदि आपको सुबह जल्दी उठने पर भी नींद आती है, तो आप पानी पी सकते हैं और फिर साधना कर सकते हैं। इस प्रकार, आपका दिन ऊर्जावान और सतर्कता से भरपूर होगा, और आप अधिक समय तक जागरूक और सक्रिय रहेंगे।
शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी
सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने यह भी बताया कि अगर हम इस तरह से भोजन करते हैं, तो न केवल हमारी शारीरिक सेहत में सुधार होगा, बल्कि यह हमारी मानसिक सतर्कता को भी बढ़ावा देगा। इससे हमें अधिक ऊर्जा प्राप्त होगी और हमारा वजन भी संतुलित रहेगा। यह तरीका न केवल हमारे स्वास्थ्य के लिए बल्कि पर्यावरण और आर्थिक दृष्टि से भी फायदेमंद है।
निष्कर्ष
खाना खाने के तुरंत बाद सोने की आदत छोड़ने और भोजन को सही तरीके से चबाने की आदत को अपनाने से हमारे जीवन में कई सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं। सद्गुरु के विचारों के अनुसार, यह तरीका न केवल हमारी ऊर्जा को सही ढंग से प्रबंधित करने में मदद करेगा, बल्कि यह हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को भी मजबूत बनाएगा। इस प्रकार, हमें अपने भोजन और जीवनशैली पर ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि हम एक स्वस्थ और संतुलित जीवन जी सकें।
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