Neem Karoli Baba : नीम करोली बाबा , एक ऐसे महान संत जिन्होंने सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की कई महान हस्तियों के जीवन को परिवर्तित करके उनके जीवन को एक सही दिशा दी | जिनमें से मुख्य हैं फेसबुक फाउंडर मार्क जकरबर्ग, एप्पल फाउंडर स्टीव जॉब्स, ऑस्कर विनिंग एक्ट्रेस जूलिया रॉबटर्स और विराट कोहली इत्यादि |
हमेशा एक कंबल में रहने वाले नीम करोली बाबा (Neem Karoli Baba) से जुड़े हुए ऐसे कई किस्से-कहानियां हैं जो आज की आधुनिक युवा पीढ़ी को असंभव प्रतीत हो लेकिन वह लोग आज भी मौजूद है जिन्होंने इन घटनाओं को काफी नजदीक से महसूस किया और जिनके सामने यह घटनाएं घटित हुईं |
सन 2015, भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के टूर पर जाते हैं इसी दौरान फेसबुक फाउंडर मार्क जकरबर्ग के साथ पूरी मीडिया के सामने एक लाइव इंटरव्यू होता है | इसमें मार्क अपनी कंपनी के भारत से कनेक्शन के बारे में बताते हैं और कहते हैं…
” हमारी कंपनी के इतिहास में भारत एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है | इससे जुड़ी मेरी एक कहानी है जिसके बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं | कंपनी की शुरुआत में एक समय ऐसा था जब कुछ भी ठीक नहीं चल रहा था पूरी तरह से मैं परेशान हो चुका था कई लोग थे जो Facebook को खरीदना चाहते थे और हमें भी लगा था कि अब हमें इसे बेच देना चाहिए | इन परिस्थितियों में मैंने मेरे मार्गदर्शक एप्पल कंपनी के फाउंडर स्टीव जॉब से मिल कर उन्हें अपनी परेशानी बताई तो उन्होंने कहा अगर तुम दुनिया से जुड़ना चाहते हो, जो की तुम्हारी कंपनी का मकसद भी है तो तुम्हें भारत के एक मंदिर जरूर जाना चाहिए |
स्टीव जॉब्स से सलाह मिलने के बाद मार्क जकरबर्ग अमेरिका से भारत उस मंदिर में आते हैं जिसके बारे में स्टीव जॉब्स ने उनसे चर्चा की थी | यह मंदिर था, नीम करोली बाबा का आश्रम कैंची धाम |
मार्क यहां पर एक दिन रुकने की योजना बना कर आए थे लेकिन वह यहां दो दिन तक रुके | जकरबर्ग बाबा की समाधि के सामने बैठे रहते इंग्लिश में लिखी हुई हनुमान चालीसा का जप करते और दिन भर ध्यान में मग्न रहते |
इसी दौरान उन्हें यह अहसास हुआ कि फेसबुक के जरिए वह दुनियां को जोड़ने का कितना महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं और इस कार्य को अगर वह इसी तरह जारी रखते हैं, तो पूरे विश्व में कितने महत्वपूर्ण और सकारात्मक बदलाव लाए जा सकते हैं इसी सोच के साथ उन्होंने निर्णय लिया कि वह फेसबुक को कभी
नहीं बेचेंगे और अपने इस विचार के साथ वे भारत से अमेरिका आ गए |
इसके बाद वे Facebook को उन बुलंदियों तक पहुंचाने में लग जाते हैं जहां पर वह आज है |
लेकिन अब यह सवाल उठता है कि आखिर स्टीव जॉब्स ने भारत के इस मंदिर का जिक्र मार्क जकरबर्ग से क्यों किया आखिर ऐसी क्या घटना स्टीव जॉब्स के साथ घटी थी जिसकी वजह से परेशान मार्क को देखकर, इस मंदिर की याद स्टीव जॉब्स को आन पड़ी | दरअसल जब एप्पल फाउंडर स्टीव जॉब्स युवक थे तो वह भी कुछ इसी तरह की परेशानियों से गुजर रहे थे |
उनका मन पूरी तरह अशांत हो चुका था उनके मस्तिष्क में योजनाएं तो कई थी लेकिन कौन सी योजना सही है कौन सी गलत, किस से सफलता हाथ लगेगी और किससे असफलता | इस तरह के सवालों से वे पूरी तरह से परेशान हो चुके थे |
वह ये निर्णय नहीं ले पा रहे थे की आगे जीवन में वो कौनसा कदम उठाएं |
ऐसे में एक मित्र ने उन्हें भारत जाने की और वहां पर नीम करौली बाबा से मिलने की सलाह दी लेकिन जब तक वह वहां पहुंचते | नीम करोली बाबा (Neem Karoli Baba) हमेशा के लिए समाधि में लीन हो चुके थे लेकिन बाबा की सकारात्मक और दिव्य ऊर्जा वहां अभी भी मौजूद थी| क्योंकि यह वह स्थान है जहां नीम करोली बाबा (Neem Karoli Baba) ने अठारह वर्षों तक कठोर तपस्या की थी |
स्टीव जॉब्स कई दिनों तक वहां रहे जिससे उनका मन तो शांत हुआ ही और साथ में उन्हें अपनी परेशानी का हल भी मिल गया इसके बाद जब वह अमेरिका पहुंचते है तो उन्हें जानने वाले लोग उन्हें देखकर पूरी तरह से चौंक जाते हैं | उन्हें देख कर ऐसा लग रहा था कि मानो वह एक बोध भिक्षु में परिवर्तित हो चुके हैं ऐसा लगा कि यह कोई और ही व्यक्ति है |
उनके बाल कटे हुए थे और चेहरा पूरी तरह से आत्मविश्वास से भरा हुआ था इसके कुछ समय बाद ही स्टीव जॉब्स ने एप्पल का पहला कंप्यूटर लांच कर दिया जिससे पूरे विश्व में तहलका मच जाता है |
सफलता मिलने के बाद भी स्टीव जॉब्स कैंची धाम कई बार गए उन्होंने इसके बारे में मार्क जकरबर्ग को तो बताया ही साथ में आश्रम की समाजसेवी संस्था सेवा फाऊंडेशन, जो कि नेत्रहीन लोगो के लिए समाज सेवा का कार्य करती है उसको प्रारंभ करने में भी अपनी तरफ से काफी आर्थिक मदद प्रदान की |
दोस्तों नीम करोली बाबा के बारे में इतना सब ज्ञात हो जाने के बाद अब आपके मन में यह सवाल उठता होगा कि आखिर कौन है नीम करोली बाबा जिनके सामने ताकतवर देशों के उच्च शिखर पर बैठे लोग भी सिर छुकाते हैं |
तो आइए जानते हैं कि आखिर कैसा था नीम करोली बाबा का जीवन, जिन्हें कुछ लोग दाढ़ी वाले बाबा, कुछ लोग तलैया वाले बाबा, कुछ लोग चमत्कारी बाबा तो कुछ लोगों उन्हें साक्षात हनुमान जी का अवतार कहते हैं |
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नीम करोली बाबा का वास्तविक नाम था लक्ष्मीनारायण शर्मा जैसा कि नाम से प्रतीत होता है इनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था |
स्थान था उत्तरप्रदेश का फर्रुखाबाद, इनकी माता का नाम था श्रीमती कौशल्या देवी तथा पिता का नाम था श्री दुर्गाप्रसाद शर्मा |
इनके माता-पिता बहुत ही सहज सरल और आस्थावान ब्राह्मण थे | उनकी माता का देहांत बाबा के बाल काल में ही हो गया था उस समय बाबा की उम्र मात्र आठ वर्ष थी |
इसके बाद 11 वर्ष की आयु में एक कन्या के साथ उनका विवाह करवा दिया गया |
धीरे-धीरे लक्ष्मीनारायण शर्मा को यह समझ आने लगा कि उनके जीवन के मकसद की प्राप्ति यहां से नहीं हो सकती और मात्र 13 वर्ष की आयु में बाबा ने अपना घर छोड़ दिया | इसके बाद 10 वर्षों तक वे जगह-जगह घूमते रहे इसी दौरान वे गुजरात पहुंचे | जहां उन्होंने गांव में स्थित एक तालाब के पास बैठकर अपनी साधना जारी रखी | ज्यादातर समय एक तालाब के पास रहने की वजह से लोग उन्हें तलैया वाले बाबा कहकर पुकारने लगे |
बाबा घंटों तक तालाब के पास बैठकर हनुमान जी का ध्यान करते और भक्तों को आशीर्वाद देते इसके बाद बाबा उत्तर प्रदेश के एक गांव नीम करोली पहुंचे यहां पर भी बाबा के चमत्कारों की चर्चा और भक्तों की संख्या काफी तेजी से बढ़ने लगी | गांव वालों ने यह सब देख कैसे ना कैसे करके बाबा को यहां रुकने के लिए मना लिया |
बाबा को तप करने के लिए गांव वालों ने एक गुफा का निर्माण भी कर दिया | बाबा इस गुफा में हनुमान जी की कठिन तपस्या करते एवम् इस गुफा से वे बहुत ही कम बाहर आते | बिना उनकी इजाजत के कोई भी इस गुफा के अंदर नहीं जाता |
बाबा बहुत ही कम बोलते हैं परंतु जब भी वे बोलते वह पत्थर की लकीर के समान सत्य और शाश्वत हो जाता जिसे कोई नहीं बदल सकता था |
बाबा ने इसी गांव में हनुमान जी की एक प्राण प्रतिष्ठित स्वरूप की स्थापना की |
स्थापना के समय बाबा ने अपने बालों का त्याग कर दिया लंगोट की जगह धोती धारण कर ली |
इसके बाद बाबा ने लोगों को अध्यात्म का ज्ञान देना और लोगों की भलाई के लिए कार्य करना प्रारंभ कर दिया | इस तरह यहीं से बाबा, नीम करोली बाबा नाम से प्रसिद्ध हो गए |
यहां पर उन्होंने 18 वर्ष तक तप किया और इसी के साथ कई चमत्कार भी किए | बाबा हमेशा दुनिया की चकाचौंध से दूर एक कमरे में बैठे रहते और भक्तों को आशीर्वाद देते | भक्त बाबा के दर्शन को आते हैं जिनमें से कुछ अपनी समस्याओं का समाधान पाने के बाद, बाबा के आशीर्वाद के साथ प्रसन्न होकर लौट जाते तो कुछ बाबा की भक्ति में लीन होकर यहीं रुक जाते |
जैसे कि संत रामदास जिनका पूर्व नाम रिचर्ड अल्पर्ट हुआ करता था और कभी हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हुआ करते थे |
बाबा अपने किसी भी भक्त के साथ भेदभाव नहीं करते चाहे वे हिंदू हो या मुस्लिम, चाहे सिख हो या इसाई, चाहे भारतीयों हो या गैर भारतीय, बाबा की दृष्टि में सभी समान थे |
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18 वर्षों तक नीम करोली में तपस्या करने के बाद बाबा वृंदावन आ गए इसी दौरान उन्होंने देशभर में अलग अलग जगह पर 108 हनुमान जी के मंदिरों का निर्माण करवाया |
सन 1965 में राम नाम का जप करते हुए बाबा वृंदावन की पावन भूमि पर ही सदा के लिए महासमाधि में लीन हो गए और छोड़ गए राम नाम का वह नाम जो आज भी उनके मंदिरो में गूंजता है |
बाबा की दिव्य ऊर्जा आज भी उनकी तपोभूमि पर भक्तों को महसूस होती है और आज भी लोगो के जीवन को सही दिशा देने का कार्य कर रही है | चाहे वह जीवन किसी आम व्यक्ति का हो या फिर किसी खास व्यक्ति का |