Chhath Puja : छठ पूजा क्यों मनाई जाती है? जाने छठ पूजा की विधि से लेकर इसके महत्व तक की सम्पूर्ण जानकारी
Chhath Puja Kya Hai : छठ पूजा भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख त्यौहार है, जो मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और नेपाल के कुछ हिस्सों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। (Chhath Puja Kab Manaya Jata hai) यह पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है और सूर्य देव की आराधना के लिए समर्पित है। छठ पूजा का उद्देश्य सूर्य देव से परिवार की सुख-समृद्धि, संतान सुख और स्वस्थ जीवन की कामना करना है। यह त्यौहार विशेष रूप से उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का अनूठा अवसर प्रदान करता है।
छठ पूजा की पौराणिक कथा | Chhath Puja ki Kahani
छठ पूजा के साथ कई प्राचीन कथाएँ (Chhath Puja ki Kahani) जुड़ी हैं, जिनमें से एक प्रमुख कथा रामायण काल की मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान श्रीराम और माता सीता 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, तब उन्होंने राज्य की सुख-शांति और समृद्धि के लिए सूर्य देव की उपासना की थी। उन्होंने कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन व्रत रखा और सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित किया, जिससे यह परंपरा शुरू हुई।
महाभारत काल से जुड़ी एक अन्य कथा (Chhath Puja ki Kahani) में कहा जाता है कि कर्ण, जो सूर्य देव के पुत्र थे, अपनी श्रद्धा से प्रतिदिन सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते थे। उनकी यह पूजा उन्हें शक्ति और ऊर्जा प्रदान करती थी। इसके अतिरिक्त, पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने भी अपने परिवार की रक्षा और समृद्धि के लिए सूर्य उपासना की थी।
एक अन्य पौराणिक कथा (Chhath Puja ki Kahani) के अनुसार, राजा प्रियव्रत और रानी मालिनी, जो संतान प्राप्ति की इच्छा रखते थे, ने महर्षि कश्यप के सुझाव पर यज्ञ किया। यज्ञ के फलस्वरूप रानी को एक पुत्र प्राप्त हुआ, लेकिन वह मृत था। इस दुखद घटना से राजा ने आत्महत्या का विचार किया, तभी छठी मैया ने प्रकट होकर उन्हें उपासना और व्रत करने का आदेश दिया। राजा ने छठी मैया की पूजा की, जिसके फलस्वरूप उन्हें स्वस्थ पुत्र की प्राप्ति हुई। तब से यह व्रत संतान सुख और परिवार की समृद्धि के लिए किया जाने लगा।
छठ पूजा की विधि | Chhath Puja ki Vidhi
Chhath Puja ki Vidhi : छठ पूजा चार दिनों तक चलने वाला पर्व है, जिसमें शुद्धता और कठोर व्रत का पालन किया जाता है। यह पूजा सूर्य देव और छठी मैया की आराधना के लिए की जाती है। व्रतियों को इस दौरान कई नियमों (Chhath Puja Ke Niyam) का पालन करना होता है, जिसमें उपवास, अर्घ्य देने के लिए जल में खड़ा होना और शुद्ध आहार शामिल होता है।
1. पहला दिन: नहाय-खाय
Chhath Puja ki Vidhi : पहले दिन व्रती पवित्र नदी या तालाब में स्नान कर घर की सफाई और पवित्रता पर विशेष ध्यान देते हैं। इसके बाद व्रती शुद्ध और सात्विक भोजन करते हैं, जिसमें चने की दाल, लौकी की सब्जी और रोटी शामिल होती है। इस दिन व्रती अपने आहार से व्रत की शुरुआत करते हैं।
2. दूसरा दिन: खरना
Chhath Puja ki Vidhi : दूसरे दिन व्रती पूरे दिन का उपवास रखते हैं और सूर्यास्त के बाद गुड़ से बनी खीर, रोटी और फल का सेवन करते हैं। इस भोजन को ‘खरना’ कहा जाता है। इसके बाद व्रती 36 घंटों तक बिना अन्न और जल ग्रहण किए रहते हैं।
3. तीसरा दिन: संध्या अर्घ्य
Chhath Puja ki Vidhi : तीसरे दिन, जो छठ पूजा का मुख्य दिन होता है, व्रती डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। व्रती नदी या तालाब के किनारे इकट्ठा होते हैं और बाँस की टोकरियों में फल, ठेकुआ, नारियल और अन्य पूजा सामग्री लेकर सूर्य देव को जल चढ़ाते हैं। यह प्रक्रिया सामूहिक रूप से होती है और व्रती पूरी श्रद्धा से इस पूजा में भाग लेते हैं।
4. चौथा दिन: उषा अर्घ्य
Chhath Puja ki Vidhi : छठ पूजा का अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का दिन होता है। व्रती और उनके परिवारजन सुबह जल्दी उठकर पुनः नदी या तालाब के किनारे एकत्र होते हैं और उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इसके बाद व्रत समाप्त होता है और व्रती प्रसाद ग्रहण करते हैं।
छठ पूजा का महत्व | Chhath Puja Ka Mahatva
Chhath Puja Ka Mahatva : छठ पूजा न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह त्यौहार सामूहिकता, एकता और समानता का प्रतीक है। पूजा के दौरान समाज के हर वर्ग और जाति के लोग एक साथ मिलकर सूर्य देव और छठी मैया की आराधना करते हैं। इस पर्व में सामाजिक भेदभाव का कोई स्थान नहीं होता और सभी लोग एकसाथ मिलकर पूजा में भाग लेते हैं।
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छठ पूजा (Chhath Puja Ka Mahatva) भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो हमें प्रकृति और सूर्य के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने की प्रेरणा देता है। यह त्यौहार हमें यह भी सिखाता है कि समर्पण और शुद्ध मन से की गई उपासना कभी व्यर्थ नहीं जाती। छठ पूजा की पौराणिक कथाएँ और धार्मिक विधियाँ हमें जीवन में शुद्धता, अनुशासन और समर्पण का महत्व समझाती हैं।