Bhai Dooj ki Kahani : भाई दूज के अवसर पर जरूर सुनें यह पौराणिक कथा | भाई बहन का रिश्ता हो जाएगा और भी गहरा

Bhai Dooj ki Kahani : भाई दूज के अवसर पर जरूर सुनें यह पौराणिक कथा | भाई बहन का रिश्ता हो जाएगा और भी गहरा

Bhai Dooj ki Kahani : भाई दूज के अवसर पर जरूर सुनें यह पौराणिक कथा | भाई बहन का रिश्ता हो जाएगा और भी गहरा

Bhai Dooj ki Kahani : भाई दूज का त्यौहार भाई-बहन के गहरे प्रेम और रिश्ते की मजबूती का प्रतीक है। इस पर्व को मनाने के पीछे एक महत्वपूर्ण धार्मिक कथा और भावनात्मक पहलू छिपा हुआ है, जिसे सुनने और समझने से भाई-बहन के रिश्ते में और अधिक प्रेम और स्नेह बढ़ता है।

भाई दूज (Bhai Dooj ki Kahani) की इस कथा को सुनने के लाभ

  1. धार्मिक पुण्य: भाई दूज की कथा (Bhai Dooj ki Kahani) सुनने से धार्मिक दृष्टिकोण से काफी पुण्य की प्राप्ति होती है। यह कथा सुनने और सुनाने से भाई-बहन के रिश्ते में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और भाई की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना पूर्ण होती है।
  2. रिश्तों में मजबूती: भाई दूज की इस कथा (Bhai Dooj ki Kahani) में भाई-बहन के बीच प्रेम, त्याग और समर्पण की भावना का वर्णन किया गया है। इसे सुनने से भाई-बहन के रिश्ते में आपसी समझ, विश्वास और प्रेम गहरा होता है। पारिवारिक रिश्तों में और अधिक मजबूती आती है, जिससे परिवार में एकता और स्नेह बना रहता है।
  3. संकटों से रक्षा: इस कथा (Bhai Dooj ki Kahani) में बहन द्वारा अपने भाई को संकटों से बचाने के संघर्ष का वर्णन है। कथा सुनने से यह विश्वास प्रकट होता है कि भाई दूज के दिन बहन की प्रार्थनाओं और प्रेम से भाई हर प्रकार के संकटों और कठिनाइयों से सुरक्षित रहता है।
  4. सुख-समृद्धि और खुशहाली: धार्मिक मान्यता के अनुसार, भाई दूज की कथा (Bhai Dooj ki Kahani) सुनने से घर में सुख, शांति, और समृद्धि का वास होता है। यह पर्व भाई-बहन के संबंधों में न केवल प्रेम को बढ़ावा देता है, बल्कि परिवार में खुशहाली और आर्थिक समृद्धि का संकेत भी है।
  5. धार्मिक परंपराओं का पालन: भाई दूज की कथा (Bhai Dooj ki Kahani) सुनकर हम अपनी प्राचीन धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को सजीव रखते हैं। यह पर्व हमारी संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है, जिसे मानने से न केवल परंपराओं का संरक्षण होता है, बल्कि नई पीढ़ी को भी इन धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों से जोड़ा जा सकता है।

भाई दूज की कथा | Bhai Dooj ki Kahani

एक समय की बात है, एक बूढ़ी अम्मा थी, उनके एक बेटा और एक बेटी थी। बेटी की शादी हो चुकी थी। 1 दिन भाई दूज के त्यौहार पर बेटे ने बहन के घर जाने का आग्रह किया तो बूढ़ी अम्मा ने कहा, “बेटा तेरी बहन तो बड़ी  पागल है, वो हर वक्त लड़ती है, तू उसके घर जाकर क्या करेगा?”

लेकिन बेटे के आग्रह करने पर बूढ़ी अम्मा ने उसे अनुमति दे दी। भाई अपनी बहन से मिलने के लिए घर से निकलता है, रास्ते में उसे नदी मिलती है। नदी कहती है मैं तेरा काल हूँ मैं तुझे डूबाऊंगी। तब भाई कहता है “मैं कई साल बाद अपनी बहन से मिलने जा रहा हूँ, उसे मिलके आने दो फिर वापस आते वक्त तुम मुझे डूबा देना” तो नदी मान जाती है और उसे रास्ता दे देती है।

थोड़ा आगे बढ़ता है तो रास्ते में उसे सर्प मिलता है, सर्प कहता है। मैं तुझे डसूंगा तब भाई कहता है “पहले मुझे अपनी बहन से मिलकर टीका लगवा लेने दो, फिर तुम मुझे डस लेना, सर्प भी उसे रास्ता दे देता है। अब वह आगे बढ़ता है आगे जंगल में उसे एक शेर मिलता है, शेर कहता है, मैं तुझे खाऊंगा तो भाई उसे भी वही कहता है, मैं पहले अपनी बहन से मिलकर टीका लगवा लूँ, फिर लौटते समय तुम मुझे खा लेना, शेर भी उसे रास्ता दे देता है।

अब भाई, बहन के घर पहुंचता है और आवाज लगाता है देख बहन सात कोस दूर से तिलक कराने तेरा भाई आया है। बहन उस वक्त सूत काट रही होती है तब उसका सूत बीच में ही टूट जाता है। ये मान्यता है कि यदि सूत काटते वक्त सूत बीच में टूट जाए तो जिस बहन के इकलौता भाई होता है, वो तब तक बोलती नहीं, जब तक सूत पुनः जुड़ नहीं जाता है।

भाई बाहर से पुनः आवाज लगाता है भाई की आवाज सुन जब बहन जवाब नहीं देती तो भाई मन में सोचता है, मुझ गरीब से मेरी बहन बात नहीं करना चाहती। माँ सही कहती थी, मुझे यहाँ नहीं आना चाहिए था। ये सोच कर वह वापस जाने लगता है। इतने में बहन का सूत पुनः जुड़ जाता है और वह भाई को आवाज देती है और उसकी तरफ दौड़ती है और उसे बात ना करने का कारण बताती है। फिर प्यार सेऔर स्नेह से उसे घर में ले जाती है।

अब वह अपनी सहेली पड़ोसन के घर जाती है और उससे पूछती है सहेली कोई जान से भी प्यारा मेहमान आए तो क्या करना चाहिए? पड़ोसन मजाक में कह देती है तेल से चौका लगाना चाहिए और घी में चावल पकाने चाहिए। भोली बहन पड़ोसन का मजाक समझ नहीं पाती और वैसा ही करती है।

अब ना तो चौका सूखता है और ना ही चावल सींचते हैं। इधर भूखा भाई उससे कहता है बहन भूख लगी है, खाना परोस दो। तब बहन बोली भाई आज ना तो चावल सीज रहे हैं और ना ही चौका सूख रहा है। भाई ने पूछा, कैसे तो तुने चौका लगाया और कैसे तुने चावल चढ़ाएं? बहन बोली मेरी सहेली पड़ोसन से पूछा था, उसने कहा जान से प्यारा मेहमान आए तो तेल का चौका लगाना चाहिए और घी में चावल चढ़ाने चाहिए। भाई बोला अरे मेरी भोली बहन कभी तेल का चौका सूखा है और कभी घी में चावल पके हैं। तू पानी का चौका लगा और पानी में ही चावल चढ़ा।

फिर वह ऐसा ही करती है जब चौका सूख जाता है और चावल पक जाते हैं तब उसमें घी और शक्कर डालकर भाई को भोजन कराती है। फिर उसके तिलक करती है। कई दिन बीत जाते हैं। एक दिन भाई बोला, बहन अब मैं घर वापस जाऊंगा। माँ अकेली है। अगले दिन सुबह बहन जल्दी उठकर गेहूं पीसकर भाई के लिए लड्डू बनाती है और कुछ लड्डू बच्चों के लिए रखकर अपने भाई को विदा करती है।

सुबह जब बच्चे उठते हैं तो माँ से खाने को मांगते हैं तब माँ उन्हें वही लड्डू दे देती है, तब वह देखती है, ये क्या? सारे लड्डू हरे रंग के हो गए। फिर वह चक्की में देखती है तो उसमें गेहूं के साथ एक सांप भी पिस गया होता है। वो उन लड्डूओं को फेंक देती है और अपने भाई के पीछे भागती है।

रास्ते में एक पेड़ के नीचे उसका भाई बैठा होता है। उसे देखकर भाई बोला क्या हुआ बहन? तो बहन बताती है मैंने तुझे लड्डू बांधे थे, वो कहाँ है? भाई बोला, तेरे लड्डू मैंने अभी नहीं खाये, पेड़ पर टंगे हैं ले ले। वो पेड़ से लड्डू उतारती है और वहीं गड्ढा कर उन लड्डू को गाड़ देती है फिर अपने भाई को सारी बात बताती है। भाई बोला बहन तुने एक बार तो मुझे मौत से बचा लिया लेकिन मैं पीछे कईयों को स्याही देकर आया हूँ और बहन को सारी बात बताता है।

वो दोनों वहाँ बैठे बात कर ही रहे होते हैं कि बहन भाई से पानी मांगती है। भाई बोला, थोड़ी दूर एक तालाब है।व हाँ से मैं अभी पानी लेकर आता हूँ। बहन बोली, मैं खुद जाती हूँ और पानी पीकर वापस आती हूँ, वो पानी पीने तालाब पर पहुंचती है तो देखती है कि वहाँ एक बुढ़िया बैठी है, वो उसके पास जाकर उससे पूछती है, माँ तुम यहाँ क्यों बैठी हो? तब वह बुढ़िया कहती है मैं विधाता हूँ, एक बहन के भाई की तात गढ़ रही हूँ तब वह पूछती है माता वो कौन भाई है?

तब विधाता कहती है है एक भाई जिसके प्यार में उसकी बहन ने सांप की हत्या कर दी। बहन सोचती है ये तो मेरा ही भाई है, वह घबरा जाती है और विधाता से पूछती है माता उस भाई को इस श्राप से बचाने के लिए क्या करना होगा? विधाता उसे बताती है कि उसकी एक बहन है जब वह उसे गालियां दे और उसकी शादी होने तक यदि वह हर घात को टाल देती है तो उसका भाई बच सकता है।

 बहन तुरंत अपने भाई के पास जाकर उससे कहती है भाई मैं तुझे माँ के घर तक छोड़ने चलूँगी लेकिन रुक।मैं अभी आती हूँ और वो शेर के लिए मांस, साप के लिए दूध और नदी के लिए ओढ़नी लाती है और दोनों भाई बहन आगे बढ़ते हैं। रास्ते में उन्हें पहले शेर मिलता है। जैसे ही वो भाई को खाने के लिए आगे आता है, बहन उसके आगे मांस का टुकड़ा डाल देती है। शेर मांस के टुकड़े को खाने में लग जाता है और दोनों भाई बहन आगे चलते हैं।

आगे उन्हें वो सांप मिलता है। जैसे ही सांप उसे डसने के लिए आगे आता है। बहन सांप के आगे दूध का प्याला रख देती है। सांप दूध पीने लगता है। वह दोनों अब आगे चलते हैं। रास्ते में उन्हें नदी मिलती है जो भाई को डूबाने को तैयार होती है पर वह नदी को ओढ़नी उड़ा देती है, खुश होकर नदी रास्ता दे देती है। अब वह दोनों भाई बहन आगे बढ़ते हैं और अपने घर पहुँच जाते हैं।

बेटी को देखकर माँ खुश हो जाती है पर बहन उसी समय भाई को गाली देने लगती है। तब माँ बेटे से कहती है इस पागल बहन को क्यों ले आया? तब भाई बोलता है माँ बहन तो बहुत अच्छी थी पता नहीं घर आते ही इसे क्या हो गया?

थोड़े दिनों में भाई का रिश्ता आता है तब सब कहते हैं बहन पागल तो है पर भाग्यवान है। पर जब ससुराल वाले सगाई की मिठाई लाते हैं तो बहन कहती है इसकी मिठाई क्यों बांटते हो पहले मेरी बांटो। कई बड़े बुजुर्ग बोले, इसे भी भाई के साथ बैठा दो। सगाई शुरू होती है वहाँ आग लग जाती है। बहन को तो पता ही था कि उसके भाई की घात है, उसने तुरंत ही वह आग बुझा दी।

अब कुछ दिन बाद शादी के कार्यक्रम शुरू होते हैं। परंतु, बहन हर समय भाई के साथ रहती थी। जब भाई की निकासी होने लगी तब बहन बोली अरे इसकी निकासी क्या करते हो, पहले मेरी निकासी करो और इसे पीछे के दरवाजे से लेकर जाओ।

बहन के इतना कहते ही आगे का दरवाजा टूटकर गिर जाता है। सब कहते हैं, भले ही बहन पागल है पर बराबर भाई की जान बचा रही है। जब भाई फेरों में बैठता है तो फिर बहन कहती है इसकी जगह मैं फेरों में बैठूंगी। शादी के बाद जब दूल्हा दुल्हन की रात जागती है तो बहन कहती है इसकी नहीं पहले मेरी रात जगाओ। कई लोग बोले बीच में पर्दा लगाकर इसे भी साथ में सुला दो। रात में जब भाई भाभी सो जाते हैं तब वहाँ एक सांप आता है। बहन तो तैयारी में ही बैठी थी। वह उसे पकड़कर टोकरी में रखकर सो जाती है।

आज वह कई दिनों में निश्चिंत होकर सोती है, इधर उसकी माँ सोचती है बेटी के उठने से पहले ही मेहमानों को विदा कर देती हूँ वरना फिर शोर मचाएगी। जब बेटी उठकर देखती है घर में कोई नहीं दिखता माँ से पूछती है माँ सब मेहमान कहाँ चले गए? तब माँ कहती है बेटा सब मेहमानों को विदा कर दिया है, तब बेटी कहती है, माँ सब मेहमानों को वापस बुलाओ। तभी मैं विदा होऊंगी। उसके कहने के अनुसार माँ सभी मेहमानों को वापस बुलाती है। तब वह माँ से कहती है, माँ आज के दिन के लिए हीपागल हो गई थी। मेरे इस भाई पर सात घात थी वो टालने के लिए मैं ऐसा कर रही थी।

उसकी यह बात सुनकर माँ और भाई बहुत खुश हो जाते हैं और सबसे पहले अपनी बेटी को विदा करते हैं और उसके बाद सभी मेहमानों को विदा करते हैं। इस दिन के बाद से ही हर बहन अपने भाई की लंबी उम्र की कामना से भाई दूज का त्यौहार मनाने लगी।

इस दिन भाई को टीका करती है और यह कथा (Bhai Dooj ki Kahani) सुनती है। सब मिल कर बोलें जय सिया राम।

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