कैलाश पर्वत पहुँचने की कोशिश करने वालों के साथ क्या हुआ? कैलाश पर्वत का रहस्य | The Mystery of Kailash Parvat
कैलाश पर्वत सिर्फ एक साधारण पहाड़ नहीं है; यह अनगिनत रहस्यों और धार्मिक मान्यताओं का केंद्र है। इसे एक अद्वितीय पर्वत माना जाता है, जिसे देखकर लोग कहानियों और मिथकों (The Mystery of Kailash Parvat) में उलझ जाते हैं। कोई इसे ब्रह्मांड का केंद्र कहता है, तो कोई मानता है कि यहां एलियंस का वास है। कैलाश पर्वत के शिखर पर कोई नहीं चढ़ पाया है, और इस बात से इसकी पवित्रता और रहस्यमयी प्रकृति और भी बढ़ जाती है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या कैलाश की सच्चाई जानने के लिए हमें इसके शिखर तक चढ़ना आवश्यक है, या इसे सिर्फ श्रद्धा और विश्वास से देखने की ज़रूरत है?
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Toggleकैलाश पर्वत का धार्मिक महत्त्व
हिंदू धर्म में कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। यह पर्वत ‘शिवलोक’ का प्रतीक है, जहाँ शिव और पार्वती निवास करते हैं। शिव पुराण, मत्स्य पुराण और स्कंद पुराण में कैलाश पर्वत का वर्णन (The Mystery of Kailash Parvat) मिलता है, और इसे पृथ्वी से स्वर्ग तक पहुँचने का मार्ग माना गया है। इसके अलावा, कैलाश पर्वत को सती की शक्तिपीठ के रूप में भी पूजा जाता है।
कैलाश का महत्त्व केवल हिंदू धर्म तक सीमित नहीं है। जैन धर्म में इसे अष्टपद के रूप में जाना जाता है, जो ऋषभदेव, जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर, का स्थान माना जाता है। बौद्ध धर्म में इसे ‘दोरजे फागमो‘ का निवास स्थान माना गया है, और तिब्बती बौद्ध धर्म में इसे एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल माना जाता है। तिब्बती लोग मानते हैं कि बौद्ध संत मिलारेपा ने कैलाश पर्वत की चोटी तक पहुँचने में सफलता प्राप्त की थी। सिख धर्म में भी कैलाश पर्वत का महत्त्व है, क्योंकि मान्यता है कि गुरु नानक यहाँ आए थे और इस पवित्र स्थान का आशीर्वाद लिया था।
कैलाश पर्वत पर कौन पहुंचा है?
The Mystery of Kailash Parvat : कैलाश पर्वत पर चढ़ाई का प्रयास कई पर्वतारोहियों ने किया है, लेकिन कोई भी सफल नहीं हो पाया। एक प्रसिद्ध पर्वतारोही, कर्नल आर सी विल्सन, ने शिखर तक पहुँचने की कोशिश की थी, लेकिन भारी बर्फबारी के कारण उन्हें वापस लौटना पड़ा। इसी तरह, रूसी पर्वतारोही भी शिखर तक पहुँचने के करीब थे, लेकिन उनकी तबियत अचानक बिगड़ गई, जिससे उन्हें वापस लौटना पड़ा।
कैलाश पर चढ़ाई असंभव मानी जाती है। एवरेस्ट और अन्य ऊंचे पहाड़ों की तुलना में, कैलाश की चढ़ाई अधिक खतरनाक मानी जाती है, क्योंकि इसकी ढलानें बहुत तीखी हैं। कैलाश की ढलानों पर चढ़ना 65 डिग्री के कोण पर होता है, जो इसे बेहद कठिन बना देता है।
कैलाश पर्वत से जुड़े मिथक
कैलाश पर्वत के बारे में कई मिथक और कथाएँ (The Mystery of Kailash Parvat) भी प्रचलित हैं। एक प्रमुख कथा यह है कि कैलाश पर्वत के शिखर पर अजीबोगरीब लाइट्स दिखाई देती हैं और अजीब आवाजें सुनाई देती हैं। कुछ लोग मानते हैं कि यह स्थान एलियंस का अड्डा है और वहाँ पर कुछ अलौकिक गतिविधियाँ होती हैं।
रूसी डॉक्टर अर्नेस्ट मुल्द्शेव ने दावा किया था कि कैलाश पर्वत अन्दर से खोखला है और यह दरअसल 100 अलग-अलग पिरामिड से मिलकर बना हुआ है। उनका कहना था कि यह कोई प्राकृतिक संरचना नहीं है, बल्कि इसे इंसानों या एलियंस ने बनाया है। हालांकि, इन दावों का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है, और इन पर विश्वास करना कठिन है।
मानसरोवर झील का महत्त्व
कैलाश पर्वत के पास स्थित मानसरोवर झील का धार्मिक महत्त्व भी कम नहीं है। यह झील हिंदू धर्म में भगवान ब्रह्मा के मन से उत्पन्न मानी जाती है, और इसका नाम ही ‘मानस’ (मन) से निकला है। बौद्ध धर्म और जैन धर्म में भी इस झील का पवित्र स्थान माना जाता है। इस झील का पानी अत्यधिक शुद्ध और पवित्र माना जाता है, और इसे स्वर्गीय जल का स्रोत माना जाता है। मानसरोवर झील के किनारे कई बौद्ध मठ स्थित हैं, जो इसकी धार्मिक महत्ता को और बढ़ाते हैं।
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कैलाश पर्वत की परिक्रमा और यात्रा
हर साल सैकड़ों तीर्थयात्री कैलाश पर्वत की परिक्रमा करने के लिए जाते हैं। इस परिक्रमा को ‘कोरा’ कहा जाता है, और इसे धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। यह परिक्रमा लगभग 53 किलोमीटर लंबी होती है, और इसे पूरा करने में 3 दिन का समय लगता है। इसके अलावा, हर साल अप्रैल महीने में यहाँ ‘सागा दावा’ नामक त्यौहार भी मनाया जाता है, जो बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
भारत से कैलाश मानसरोवर की यात्रा दो मुख्य मार्गों से की जा सकती है – एक उत्तराखंड के लिपुलेक दर्रे से, और दूसरा सिक्किम के नाथुला दर्रे से। इन यात्राओं का आयोजन भारत सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा किया जाता है, और इसके लिए आवेदकों का चयन लॉटरी द्वारा किया जाता है। यात्रियों को इस यात्रा के लिए शारीरिक रूप से फिट होना आवश्यक है, क्योंकि यह यात्रा बहुत कठिन होती है और इसमें स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
निष्कर्ष
The Mystery of Kailash Parvat : कैलाश पर्वत एक ऐसी जगह है जहाँ धार्मिक आस्था, वैज्ञानिक रहस्य और अज्ञात की खोज का संगम होता है। इसका शिखर अभी भी मानवता की पहुँच से दूर है, और शायद इसी कारण यह हमें अपनी ओर आकर्षित करता है। चाहे वह पर्वतारोहियों की असफलता हो या धार्मिक मान्यताएँ, कैलाश हमेशा से एक रहस्य बना हुआ है।
हम यह कह सकते हैं कि कैलाश पर्वत के बारे में जानने के लिए वहाँ चढ़ना आवश्यक नहीं है। इसका असली अर्थ और महत्त्व इसके धार्मिक और आध्यात्मिक पक्ष में छिपा है। कैलाश पर्वत को समझने के लिए हमें सिर्फ विज्ञान या चढ़ाई की दृष्टि से नहीं देखना चाहिए, बल्कि इसके पीछे की गहरी मान्यताओं और कथाओं को समझने की कोशिश करनी चाहिए।