अगर आपको भी सताता है असफलता का डर, तो Premanand Ji Maharaj की कही ये बातें जरुर पढ़ें | How to Deal With the Fear of Failure
Premanand Ji Maharaj : जीवन में हर कोई कभी न कभी असफलता का सामना करता है। यह हमारे अनुभवों का एक अहम हिस्सा है। असफलता से डरना स्वाभाविक है, लेकिन इस डर (The Fear of Failure) को अपने जीवन का हिस्सा बनाना सही नहीं है। प्रेमानंद जी द्वारा बताए गए उपदेशों से हमें यह सीख मिलती है कि भगवान के स्मरण और आत्म-विश्वास के सहारे इस डर को कैसे पराजित किया जा सकता है।
फेल होने का डर: समस्या की जड़
फेल होने का डर (The Fear of Failure) तब उत्पन्न होता है जब हम परिणामों से अत्यधिक जुड़ जाते हैं। यह डर कई बार हमें निराशा और तनाव की ओर धकेल देता है। उदाहरण के लिए:
- कोचिंग में पढ़ने वाले बच्चे बार-बार परीक्षा में असफल होने पर खुद को जीवन से निराश मान लेते हैं।
- नौकरी, व्यवसाय, या अन्य जीवन के क्षेत्रों में असफलता को जीवन का अंत समझने की भूल करते हैं।
प्रेमानंद जी का संदेश:
“असफलता (The Fear of Failure) का मतलब यह नहीं है कि जीवन समाप्त हो गया है। यह एक अवसर है सीखने और अधिक दृढ़ता से प्रयास करने का।”
डर से बचने के उपाय
1. भगवान का स्मरण और नाम जप करें
प्रेमानंद जी (Premanand Ji Maharaj) कहते हैं कि नाम जप और भगवान का स्मरण करने से हमारी आत्मा शांत होती है और आत्म-विश्वास बढ़ता है।
- जब हम ईश्वर के प्रति पूर्ण विश्वास रखते हैं, तो डर कम हो जाता है।
- नाम जप करने से मन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
2. परिणाम से अधिक प्रयास पर ध्यान दें
डर का बड़ा कारण यह है कि हम परिणाम की चिंता (The Fear of Failure) में डूब जाते हैं।
- हमें अपने प्रयास को पूरी निष्ठा से करना चाहिए।
- परिणाम भगवान पर छोड़ देना चाहिए।
“जहां रखोगे जैसे रखोगे, वैसे रहूंगा। भगवान का भरोसा हर परिस्थिति में रखें।”
3. असफलता को जीवन का अंत न समझें
असफलता केवल एक पड़ाव है, मंजिल नहीं।
- यदि आप असफल होते हैं, तो इसका मतलब है कि आपने प्रयास किया।
- अगली बार और अधिक मेहनत करें।
“हारने वाले नहीं हैं हम। हम भगवान के अंश हैं।”
4. ब्रह्मचर्य और पवित्रता का पालन करें
प्रेमानंद जी (Premanand Ji Maharaj) का मानना है कि विद्यार्थी के जीवन में ब्रह्मचर्य और स्मरण शक्ति का बड़ा महत्व है।
- यदि मनुष्य अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाता है, तो वह कठिन से कठिन परिस्थितियों को पार कर सकता है।
5. जीवन को अन्य विकल्पों से भरें
यदि पढ़ाई, नौकरी, या अन्य किसी कार्य में सफलता (The Fear of Failure) नहीं मिलती, तो अन्य विकल्पों पर विचार करें।
- कोई भी छोटा कार्य भगवान की कृपा से बड़ा बन सकता है।
“भगवान मच्छर को ब्रह्मा बना सकते हैं। विद्वान को मूर्ख बना सकते हैं।”
उदाहरण: चंद्रहास जी की प्रेरणादायक कथा
प्रेमानंद जी (Premanand Ji Maharaj) ने चंद्रहास जी की कथा सुनाई, जो बताती है कि भगवान पर विश्वास रखने से सबसे बड़ी कठिनाइयों का सामना भी सरल हो जाता है।
- चंद्रहास जी एक कठिन परिस्थिति में भगवान का नाम जपते रहे।
- उनका जीवन कई बार खतरे में पड़ा, लेकिन भगवान ने हर बार उन्हें बचाया और अंत में राजा बना दिया।
सीख:
भगवान का स्मरण और दृढ़ विश्वास जीवन को नई दिशा दे सकता है।
डर को हराने (The Fear of Failure) के व्यावहारिक उपाय
1. दिनचर्या व्यवस्थित करें
- रोज़ाना एक निश्चित समय पर पढ़ाई या कार्य करें।
- ध्यान और योग का अभ्यास करें।
2. असफलता का विश्लेषण करें
- असफलता से घबराने के बजाय इसे समझने की कोशिश करें।
- अपनी कमजोरियों को पहचानें और उन्हें दूर करने के उपाय करें।
3. सकारात्मक सोच रखें
- “जो होता है, अच्छे के लिए होता है” इस दृष्टिकोण को अपनाएं।
- हर परिस्थिति में ईश्वर का आभार व्यक्त करें।
4. दूसरों से प्रेरणा लें
- सफल व्यक्तियों की कहानियां पढ़ें।
- उनकी संघर्ष यात्रा से सीखें कि कैसे उन्होंने असफलताओं को पार किया।
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निष्कर्ष
फेल होने का डर (The Fear of Failure) हमें कमजोर बनाता है, लेकिन इसे परास्त करना हमारे हाथ में है। प्रेमानंद जी (Premanand Ji Maharaj) के अनुसार, भगवान का स्मरण, आत्म-विश्वास, और सकारात्मक सोच इस डर को हराने में हमारी मदद कर सकते हैं।
“संघर्ष ही जीवन है। भगवान पर भरोसा रखो, वे हर परिस्थिति को मंगलमय बना देंगे।”
तो आइए, फेल होने के डर से उबरें और जीवन को भगवान के आशीर्वाद और अपने आत्म-विश्वास से सार्थक बनाएं।