इस पेड़ के पास जाना खतरनाक हो सकता है| सद्गुरु ने खोले इस पेड़ के राज | घर में कभी ना रखें

इस पेड़ के पास जाना खतरनाक हो सकता है| सद्गुरु ने खोले इस पेड़ के राज | घर में कभी ना रखें

सद्गुरु बताते हैं कि कुछ वृक्षों की ऊर्जा का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव हो सकता है।इमली का पेड़ एक ऐसा वृक्ष है, जिसकी ऊर्जा के बारे में सतर्क रहने की आवश्यकता है। सद्गुरु के अनुसार,इमली के पेड़ के आस-पास ऑक्सीजन का स्तर सामान्य से कम होता है, और यही कारण है कि पक्षी रात में इस पर नहीं बैठते। जो जीव शरीर छोड़ चुके होते हैं, वे अक्सर ऐसे स्थानों की ओर आकर्षित होते हैं जहाँ ऑक्सीजन की कमी होती है। इनकी नकारात्मक ऊर्जाएँ उन स्थानों पर भारी प्रभाव डाल सकती हैं।

1. तंत्र विद्या और नकारात्मक ऊर्जाओं का उपयोग

सद्गुरु ने तंत्र विद्या की चर्चा करते हुए बताया कि कुछ लोग ऊर्जाओं का नकारात्मक रूप से उपयोग करके दूसरों को नुकसान पहुँचाने का प्रयास करते हैं। हालांकि यह प्रथा आज के समय में काफी कम हो चुकी है, फिर भी देश के कुछ क्षेत्रों में इसका अभ्यास होता है। जो लोग इस विद्या का इस्तेमाल करते हैं, वे विशेष प्रकार के वृक्षों को चुनते हैं, जैसे इमली, क्योंकि यह उन ऊर्जाओं को अपनी ओर खींचता है। सद्गुरु के अनुसार, ये ऊर्जाएँ किसी के घर में गंभीर समस्याएँ पैदा कर सकती हैं।

2.इमली के पेड़ का सूक्ष्म प्रभाव

वृक्ष केवल शारीरिक रूप से ही नहीं, बल्कि सूक्ष्म रूप से भी हमारी ज़िंदगी पर प्रभाव डाल सकते हैं। सद्गुरु कहते हैं कि जब कोई व्यक्ति इमली के पेड़ की लकड़ी को घर में लाता है, तो यह पेड़ की नकारात्मक ऊर्जा के साथ आता है। सद्गुरु स्वयं बताते हैं कि उन्होंने अपने जीवन में कई बार देखा है कि लोग ऐसे पेड़ों से लकड़ी प्राप्त कर, अपने घरों में परेशानी खड़ी कर लेते हैं, खासकर जब वे नहीं जानते कि उस लकड़ी में क्या शक्ति है।

3. प्राचीन आचार्यों की परंपरा और लकड़ी का चयन

सद्गुरु ने प्राचीन आचार्यों की परंपरा का भी उल्लेख किया, जिनका विशेष ज्ञान था कि किस प्रकार की लकड़ी को घर में उपयोग किया जाना चाहिए। सद्गुरु बताते हैं कि दक्षिण भारत के आचार्य लकड़ी को ध्यान से परखते थे। वे यह समझने में सक्षम थे कि कौन सी लकड़ी पूजा कक्ष या पालना बनाने के लिए उपयुक्त है। यदि उन्हें किसी लकड़ी में नकारात्मक ऊर्जा महसूस होती थी, तो वे उसे उपयोग करने से मना कर देते थे। हालाँकि, आज के समय में यह परंपरा धीरे-धीरे खोती जा रही है, और लोग बिना सोचे-समझे किसी भी लकड़ी का उपयोग कर रहे हैं।

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4. सूक्ष्म ऊर्जाएँ और महिलाओं की संवेदनशीलता

सद्गुरु का मानना है कि महिलाएँ अपने घर के वातावरण में सूक्ष्म ऊर्जाओं को महसूस करने में स्वाभाविक रूप से अधिक संवेदनशील होती हैं। हालांकि, आज की आधुनिक जीवनशैली में यह संवेदनशीलता घटती जा रही है, फिर भी कुछ महिलाएँ इस ऊर्जा को सहज रूप से पहचान लेती हैं। सद्गुरु के अनुसार, वे बिना सोचे-समझे सही चीज़ों को सही स्थान पर रख देती हैं, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और नकारात्मक शक्तियाँ घर में प्रवेश नहीं कर पातीं।

5. सांसों पर नियंत्रण और ऊर्जाओं का प्रभाव

सद्गुरु ने योगियों और अन्य प्राणियों के संदर्भ में बताया कि कैसे सांसों पर नियंत्रण हमारी ऊर्जा को बदल सकता है। उदाहरण के लिए, कोबरा जैसे प्राणी, जो अपनी सांस को लंबे समय तक रोक सकते हैं, उनकी ऊर्जा का एक अलग स्तर होता है। इसी तरह, योगी भी अपनी सांसों को नियंत्रित कर ऊर्जा के नकारात्मक प्रभावों से बच सकते हैं। वे बताते हैं कि जब कोई जीव अपनी सांसों पर नियंत्रण कर लेता है, तो उसकी ऊर्जा योगी के समान दिशा में जाने लगती है, जो सकारात्मकता और उन्नति की ओर ले जाती है।

6. घर में सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने के उपाय

सद्गुरु का मानना है कि घर में सही तरह की ऊर्जा बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह केवल सजावट या फर्नीचर की व्यवस्था से नहीं, बल्कि उन वस्तुओं के चयन से भी जुड़ा है जिन्हें हम अपने घर में लाते हैं। सद्गुरु सलाह देते हैं कि हमें हमेशा यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जिस लकड़ी का उपयोग हम अपने घर में कर रहे हैं, वह सकारात्मक ऊर्जा से युक्त हो। साथ ही, घर में महिलाओं की संवेदनशीलता का भी ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि वे अक्सर बिना कहे ही घर की ऊर्जा को ठीक कर देती हैं।

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