सवाल : Sadhguru क्या किसी को नुकसान पहुंचाने के लिए काला जादू किया जा सकता है । अगर हां तो इससे बचने का तरीका क्या है?
Sadhguru जवाब देते हैं-
बिल्कुल किया जा सकता हैं। अगर ऊर्जा का सकारात्मक इस्तेमाल है, तो नकारात्मक इस्तेमाल भी है। ऋगवेद, अर्थववेद सिर्फ सकारात्मक और नकारात्मक चीजों के लिए ऊर्जाओं के इस्तेमाल को ही समर्पित है। मगर मैंने यह देखा है कि अक्सर ये चीजें मनोवैज्ञानिक या ज़हनी होती हैं। यह थोड़ी-बहुत मात्रा में हो सकती है, मगर बाकी यह होता है कि आपका अपना दिमाग आपको पागल बना रहा होता है। अगर मुझे आपको पागल करना है, तो मुझे आप पर कोई असली काला जादू करने की जरूरत नहीं है।
कल सुबह जब आप अपने घर से निकलें और मान लीजिए, वहां एक खोपड़ी और थोड़ा खून पड़ा हो तो उसे देखने के बाद ही आप बीमार हो जाएंगे, आपका कारोबार ठप होने लगेगा, सब कुछ नकारात्मक होने लगेगा क्योंकि एक तरह का भय आपको जकड़ लेता है, कोई काला जादू नहीं किया गया। बस कुछ संकेतात्मक चीजों की जरूरत है, जिनसे आपको लगेगा कि यह किसी किस्म का काला जादू है, और यह आपका दिमाग खराब कर देगा। इसलिए ज्यादातर बार यह सिर्फ मनोवैज्ञानिक होता है।
चाहे आप पर काला जादू ही किया गया हो, मगर केवल दस फीसदी असली चीज होगी बाकी आप खुद ही अपने आप को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसीलिए यह प्रतीकों के साथ आता है। ऐसा काला जादू करने वाले यह जानते हैं कि आप खुद पर ही मनोवैज्ञानिक ढंग से असर डाल सकते हैं। आप रुद्राक्ष जैसे कुछ बचाव के साधन पहन सकते हैं, जो किसी भी किस्म की नकारात्मकता से सुरक्षा करते हैं। एक बार ऐसे प्रतीक बना लिए जाने पर, आप खुद को ही बर्बाद कर डालते हैं।
Sadhguru ने बताया किया कराया वापस करने का तरीका-
मगर हां, ऐसा विज्ञान जरूर है, जहां कोई अपनी ऊर्जा का नकारात्मक इस्तेमाल करके किसी और को नुकसान पहुंचा सकता है। इसका बचाव क्या है? एक बात यह है कि अगर आप आध्यात्मिक साधना के पथ पर हैं, तो आपको इन सब चीजों के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है। आपको इन चीजों के बारे में सोचने तक की जरूरत नहीं है। एक और तरीका यह है कि आप रुद्राक्ष जैसे कुछ बचाव के साधन पहन सकते हैं, जो किसी भी किस्म की नकारात्मकता से सुरक्षा करते हैं।
मगर आपको ऐसी चीजों के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है। बस अपना ध्यान जीवन में बनाए रखें और आगे बढ़ते रहें। अगर आप साधना के मार्ग पर हैं, तो आपको बिल्कुल भी चिंता करने की जरूरत नहीं है, यह अपने आप ठीक हो जाएगा। इसलिए यह कहा जा सकता है काले जादू का ज्यादातर असर साइकोलॉजिकल होता है जिसे आप स्वयं अपनी साइक्लोजि को समझ कर सही कर सकते हैं,
Sadhguru काले जादू से बचने के अन्य उपाय बताते हैं और कहते हैं
अगर आप इस तरह के नकारात्मक असर में रहे हैं, तो आप आकर ध्यानलिंग की छाया में बैठ सकते है। ध्यानलिंग के कुछ ऐसे आयाम हैं, जो ऐसी चीजों को बेअसर कर देते हैं। अगर आपको यह आशंका है कि काला जादू जैसी कोई चीज आप पर की गई है, तो सिर्फ एक दिन यहां बैठें और फिर चले जाएं। वह अपने आप ठीक हो जाएगा। लेकिन बेहतर यह है कि आप उन चीजों पर ध्यान न दें क्योंकि किसी और से ज्यादा आपका दिमाग आप पर काला जादू’ करता है। ध्यानलिंग के प्रवेश द्वार के सामने वनश्री और पतंजलि मंदिर हैं। वे ध्यानलिंग से पंद्रह डिग्री कोण पर बने हैं। उन्हें इसीलिए उस जगह पर बनाया गया है। वरना वास्तुशिल्प की दृष्टि से मैं उन्हें और करीब बनाना पसंद करता।
जो लोग भूत-प्रेत से ग्रस्त होते हैं या तंत्र-विद्या के असर में होते हैं, ऐसी समस्याओं वाले लोगों को या तो आगे की ओर पंद्रह डिग्री कोण या पीछे की ओर पंद्रह डिग्री कोण पर बैठने के लिए कहा जाता है। आम तौर पर, जो लोग भूत-प्रेत से ग्रस्त होते हैं या तंत्र-विद्या के असर में होते हैं, यह इस पर निर्भर करता है कि उन्हें किस तरह की समस्या है।
उस जगह को खास तौर पर इस तरह बनाया गया है ताकि लोग उसका इस्तेमाल कर सकें। चाहे आपको इसका पता हो या नहीं, मगर काला जादू जैसे ऊर्जा के नकारात्मक इस्तेमाल होते हैं। पंद्रह डिग्री के कोण पर यह द्वार है। चाहे आपको पता चले या नहीं, यहां प्रवेश करने वाला हर इंसान नकारात्मक असर से मुक्त हो जाता है। यही वजह है कि ध्यानलिंग में आने वाले लोग पाते हैं कि उनकी जिंदगी अचानक बदल गई है। ऐसा इसलिए है क्योंकि उनके जीवन से नकारात्मक असर चला जाता है।
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जब हम ‘नकारात्मक असर’ कहते हैं, तो इसका मतलब सिर्फ यह नहीं है कि किसी ने आप पर कुछ किया हो। आप कई तरह से यूं ही किसी नकारात्मकता को ग्रहण कर सकते हैं। यही वजह है कि ध्यानलिंग में आने वाले लोग पाते हैं कि उनकी जिंदगी अचानक बदल गई है। देखिए, यह जरूरी नहीं है कि कोई किसी फल को जहरीला बनाकर आपको दे, उस फल में कोई कुदरती जहर भी हो सकता है जो खाने पर आपके शरीर में प्रवेश कर सकता है।
इसीलिए, जीवन के नकारात्मक पहलू बहुत तरीकों से आपके अंदर प्रवेश कर सकते हैं। यह जरूरी नहीं है कि कोई कहीं बैठकर आपके खिलाफ साजिश कर रहा हो। इसलिए ध्यानलिंग का प्रवेशद्वार, पहला पंद्रह डिग्री कोण इसी मकसद के लिए बनाया गया है। इससे पहले कि लोग किसी और चीज की कामना करें, खुद-ब-खुद इस तरह के असर से मुक्त हो जाते हैं। उन्हें बस उस स्थान में लगभग साठ-सत्तर फीट चलना होता है, ये नकारात्मक चीजें अपने आप बेअसर हो जाती हैं।