Osho Biography in Hindi : एक ऐसा भारतीय संत, जिसे अमेरिकन भी कहने लगे “भगवान” | ओशो की जीवनी
Osho Biography in Hindi | ओशो की जीवनी : ओशो, जिन्हें आचार्य रजनीश और भगवान श्री रजनीश के नाम से भी जाना जाता है, एक अद्वितीय और विवादास्पद आध्यात्मिक गुरु थे। उनका असली नाम चंद्रमोहन जयंत था, और उनका जन्म (Osho Born) 11 दिसंबर 1931 को मध्य भारत के एक छोटे से गाँव, गदरवारा में हुआ था। अपने विचारों और जीवनशैली से उन्होंने लाखों लोगों को आकर्षित किया, लेकिन उनकी यात्रा बेहद संघर्षपूर्ण और रहस्यमय रही।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
ओशो का बचपन (Osho Biography in Hindi) एक ऐसा भारतीय संत, जिसे अमेरिकन भी कहने लगे भगवान | ओशो की जीवनी से ही दार्शनिक प्रवृत्ति का था। वह हमेशा अपने शिक्षकों और समाज की मान्यताओं को चुनौती देने में संकोच नहीं करते थे। जब वह जबलपुर के हितकारिणी कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे, तब उन्होंने दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर से इतनी बार सवाल पूछे कि वह तंग आ गए। प्रधानाचार्य ने उनसे कहा कि वह कॉलेज छोड़ दें, लेकिन ओशो की एक शर्त थी कि उनका दाखिला किसी और कॉलेज में हो जाए। अंततः उनका दाखिला डी. एन. जैन कॉलेज में हो पाया, जहाँ से उनकी पढ़ाई आगे बढ़ी।
अध्यापन और प्रारंभिक आध्यात्मिकता
ओशो ने अपने करियर (Osho Biography in Hindi) की शुरुआत 1957 में रायपुर के संस्कृत विश्वविद्यालय में प्रवक्ता के रूप में की। इसके बाद उन्होंने जबलपुर विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में कार्य किया। उस दौरान ही उन्होंने एक आध्यात्मिक गुरु के रूप में अपना कॅरियर शुरू किया और धीरे-धीरे उनका प्रभाव पूरे भारत में फैलने लगा।
विद्रोही विचार और उनके व्याख्यान
ओशो का मानना था कि संगठित धर्म समाज में विभाजन का कारण बनता है। उन्होंने हमेशा परंपरागत धार्मिक मान्यताओं, कर्मकांडों और रूढ़िवादिता का विरोध किया। उनके विचार क्रांतिकारी थे, और उन्होंने पूर्वी दर्शन का समन्वय मनोविश्लेषण के साथ करके आध्यात्मिकता को नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया। उनके अनुसार, धर्म और राजनीति दोनों ही लोगों को नियंत्रण में रखने के साधन हैं, और यही कारण था कि उन्होंने सामाजिक व सांस्कृतिक मानदंडों को चुनौती दी।
ओशो का कहना था कि यौन संबंधों के प्रति खुलापन, मानवीय ऊर्जा का एक प्रमुख हिस्सा है, और इसके प्रति लोगों को सहज होना चाहिए। इस खुले विचारधारा ने कई लोगों को उनकी ओर आकर्षित किया, लेकिन साथ ही उन्हें आलोचना का भी सामना करना पड़ा।
उनके अनुयायी और संन्यास
ओशो (Osho Biography in Hindi) ने अपने शिष्यों को विशेष वस्त्र पहनने के निर्देश दिए, जो नारंगी या लाल रंग के ढीले कपड़े होते थे, ताकि शरीर में ऊर्जा का संचार हो सके। वे अपने प्रत्येक अनुयायी को एक माला देते थे, जिसमें लकड़ी का लॉकेट होता था और उस पर ओशो का चित्र लगा होता था। उनके अनुयायी उन्हें अपना मार्गदर्शक मानते थे और उनके निर्देशों का पालन करते थे।
पुणे आश्रम का स्थापना
मुंबई में अपनी स्वास्थ्य समस्याओं के कारण उन्होंने पुणे में अपना आश्रम स्थापित किया। पुणे में उन्होंने कोरेगांव पार्क में आश्रम बनाया, जहाँ दुनियाभर से उनके अनुयायी आने लगे। उनके प्रवचन सुनने वालों में हर धर्म, जाति और वर्ग के लोग शामिल होते थे। पुणे का रजनीश आश्रम विश्व प्रसिद्ध हुआ, जहाँ विभिन्न प्रकार की चिकित्सा और ध्यान की तकनीकों का अभ्यास किया जाता था।
अमेरिका का अध्याय: ओरेगन आश्रम
1981 में, ओशो (Osho Biography in Hindi) ने अमेरिका के ओरेगन में एक बड़ा आश्रम स्थापित करने का निर्णय लिया। यह स्थान उनकी अमेरिकी यात्रा का केंद्र बन गया। वहाँ पर उनके अनुयायियों ने एक स्वायत्त समुदाय का निर्माण किया, जिसे “रजनीशपुरम” नाम दिया गया। हालाँकि, इस आश्रम के कारण स्थानीय प्रशासन के साथ उनका संघर्ष हुआ, और उन पर विभिन्न कानूनी आरोप लगे। कुछ ही समय बाद, उन्हें जेल जाना पड़ा और आखिरकार उन्हें अमेरिका छोड़ना पड़ा।
ओशो का वापसी और अंतिम समय
कई देशों से शरण न मिलने के कारण ओशो (Osho Biography in Hindi) को भारत लौटना पड़ा। अपने जीवन के अंतिम समय में ओशो स्वास्थ्य समस्याओं से जूझते रहे, और उन्होंने सार्वजनिक जीवन से खुद को अलग कर लिया। 19 जनवरी 1990 को (Osho Death) पुणे में उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली। उनकी समाधि पुणे स्थित उनके आश्रम में बनाई गई है, जहाँ लिखा गया है: “ओशो जो न कभी जन्मे, न कभी मरे; वे सिर्फ 11 दिसंबर 1931 से 19 जनवरी 1990 तक इस धरती पर थे।”
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ओशो की विरासत
ओशो का जीवन (Osho Biography in Hindi) और उनके विचार एक विवादास्पद विषय रहे हैं, लेकिन उनकी शिक्षाओं ने लाखों लोगों को जीवन के विभिन्न पहलुओं पर नया दृष्टिकोण दिया। उनके प्रवचन और किताबें (Osho Books in Hindi) आज भी कई भाषाओं में अनुवादित हो रही हैं, और उनके आश्रम आज भी भारत और दुनिया भर में लोकप्रिय हैं। ओशो के विचारों ने लोगों को सिखाया कि आत्म-खोज की प्रक्रिया में परंपरागत मान्यताओं को छोड़कर खुला दृष्टिकोण अपनाया जा सकता है।
निष्कर्ष
ओशो का जीवन (Osho Biography in Hindi) कई पहलुओं का मिश्रण था – एक विद्रोही विचारक, एक गूढ़ रहस्यवादी, और एक विवादास्पद गुरु। उनके विचारों ने समाज के परंपरागत ढांचे को चुनौती दी और उन्होंने समाज को नया दृष्टिकोण दिया। उनकी शिक्षाओं ने न केवल आध्यात्मिकता को, बल्कि मानवता की प्रकृति को समझने का एक नया तरीका दिया।