Nirjala Ekadashi | निर्जला एकादशी क्या है? जाने व्रत के जरूरी नियम 

निर्जला एकादशी व्रत( Nirjala Ekadashi)

Nirjala Ekadashi: निर्जला एकादशी क्या है? जाने व्रत के जरूरी नियम 

निर्जला एकादशी  (Nirjala Ekadashi) एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है, जिसे भारत में मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से निर्जला व्रत रखा जाता है, जिसमें पूरे दिन भोजन और पानी की अतिरिक्त नियमित सेवन की अनुमति नहीं होती है। यह व्रत भगवान विष्णु के प्रतिष्ठित मान्यताओं के अनुसार आपके अधिकारों को बढ़ाने, पापों को नष्ट करने और मानवीय कर्तव्यों की प्राप्ति करने में मदद करता है।

निर्जला एकादशी व्रत( Nirjala Ekadashi)

यदि आप निर्जला एकादशी पर निर्जला व्रत रखना चाहते हैं, तो यहां कुछ महत्वपूर्ण नियम हैं जिनका पालन जरूर करें|

1. व्रत की तैयारी: निर्जला व्रत बहुत कठिन हो सकता है, इसलिए आपको व्रत के पूर्व दिनों में भोजन की तैयारी करनी चाहिए। आपको समय-समय पर पूरे दिन बिना खाए और पानी के बिना रहना होगा, इसलिए आपको, अपने शरीर को इसके लिए तैयार करना होगा|

2. व्रत का प्रारंभ: निर्जला व्रत को  दोपहर को शुरू किया जाता है और अगले दिन सुबह को समाप्त होता है। व्रत की पूरी अवधि में आपको अधिकांश समय भगवान विष्णु की पूजा, मंत्र जाप, सुन्दरकांड पाठ, भजन आदि करने में लगाना चाहिए।

3. अन्नदान: निर्जला एकादशी पर अन्नदान करना बहुत महत्वपूर्ण है। आप गरीबों, यतीमों, वृद्धों, आदि को भोजन दे सकते हैं और उन्हें आशीर्वाद दे सकते हैं।

4.  व्रत के बाद: निर्जला व्रत के बाद आपको स्नान करना चाहिए और पहले प्रारंभिक खाने को भोजन कर सकते हैं। व्रत के दिन आपको हल्का भोजन करने की सलाह दी जाती है, जैसे कि फल, साबुदाना खिचड़ी, दूध, योगर्ट, आदि।

निर्जला एकादशी पर निर्जला व्रत रखना एक मान्यता-पूर्ण प्रक्रिया है जिसमें आपको श्रद्धा और अनुशासन के साथ आगे बढ़ना चाहिए। यह आपके आध्यात्मिक और मानवीय विकास में सहायता कर सकता है। पूर्ण रूप से इस व्रत को रखने से पहले, आपको किसी संत या आध्यात्मिक गुरु से परामर्श लेने की सलाह दी जाती है।|

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1. निर्जला एकादशी क्या है?
निर्जला एकादशी एक हिन्दू व्रत है जिसमें भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन भक्त एकादशी तिथि को बिना भोजन और पानी के रहते हैं|

2. निर्जला एकादशी कब मनाई जाती है?
निर्जला एकादशी वैशाख मास (वैशाख शुक्ल पक्ष) की एकादशी को मनाई जाती है। इस व्रत को ज्येष्ठ मास की एकादशी भी कहा जाता है|

3. निर्जला एकादशी क्यों मनाई जाती है?
निर्जला एकादशी को भगवान विष्णु की पूजा और समर्पण का अवसर माना जाता है। इस व्रत को रखने से श्रद्धा, ध्यान और आत्मसमर्पण की भावना में वृद्धि होती है और अध्यात्मिक उन्नति होती है।

4. निर्जला एकादशी का व्रत कैसे रखा जाता है?
निर्जला एकादशी के दिन व्रत करने वालों को पूरे दिन भोजन और पानी से परहेज़ करना चाहिए। यह व्रत बहुत कठिन हो सकता है| इसलिए पूर्व दिन से भोजन की तैयारी करनी चाहिए। व्रत के दौरान भक्त विष्णु भगवान की पूजा, ध्यान, मंत्र जाप, कथा सुनने, भजन गाने आदि में व्यस्त रहते हैं।

5. निर्जला एकादशी के बाद क्या किया जाता है?
निर्जला एकादशी के बाद, भक्त स्नान करके व्रत को तोड़ सकते हैं। उन्हें पहले प्रारंभिक खाने के बाद सामान्य भोजन करना चाहिए। 

आशा करते हैं आपको यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी | कृपया इस जानकारी को अन्य लोगों तक पहुचाएं | धन्यवाद

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