Karwa Chauth : शादीशुदा महिला को करवा चौथ का व्रत रखना क्यों जरूरी? अनिरुद्धाचार्य जी महाराज ने दिया जवाब
Karwa Chauth : करवा चौथ, एक विशेष भारतीय परंपरा है, जिसे सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन के लिए मनाती हैं। इस दिन, महिलाएं दिनभर उपवास रखती हैं और चंद्रमा के दर्शन के बाद अपने पतियों को अर्घ्य देकर उनका स्वागत करती हैं। श्री अनिरुद्धाचार्य जी महाराज के अनुसार, यह व्रत केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह पति-पत्नी के रिश्ते को और गहरा बनाने का अवसर भी है।
करवा चौथ (Karwa Chauth) का महत्व
करवा चौथ का यह व्रत भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखता है। इसका मुख्य उद्देश्य पति की लंबी उम्र और स्वास्थ्य की कामना करना है। इस दिन महिलाएं उपवास रखकर अपने पति के प्रति समर्पण और प्रेम प्रदर्शित करती हैं। श्री अनिरुद्धाचार्य जी महाराज ने इस व्रत के माध्यम से पति-पत्नी के बीच विश्वास और प्रेम को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
विश्वास का महत्व
श्री अनिरुद्धाचार्य जी महाराज का कहना है कि करवा चौथ (Karwa Chauth) का व्रत पति-पत्नी के बीच के विश्वास को और मजबूत बनाता है। इस दिन, दोनों को एक-दूसरे से यह वचन लेना चाहिए कि वे अपने रिश्ते में हमेशा एक-दूसरे का सम्मान करेंगे। यह विश्वास ही रिश्ते की नींव है, जिसे बनाना और बनाए रखना बहुत जरूरी है।
उपवास और पूजा विधि
करवा चौथ (Karwa Chauth) के दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले सर्गी का सेवन करती हैं, जिसमें फल, मेवे और मीठे पदार्थ होते हैं। इसके बाद, वे पूरे दिन उपवासी रहती हैं और शाम को चंद्रमा की पूजा करती हैं। पूजा का सही समय रात 8:00 बजे के बाद का होता है। चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद महिलाएं अपने पतियों को देखती हैं, जिससे यह व्रत पूर्ण होता है।
चलनी का महत्व
इस पूजा में चलनी का विशेष महत्व है। महिलाएं चंद्रमा को छलनी के माध्यम से देखती हैं। श्री अनिरुद्धाचार्य जी महाराज के अनुसार, यह प्रतीकात्मक है कि पत्नी अपने पति की खुशियों को अपने जीवन में लाने के लिए अपनी बुराइयों को अपने ऊपर ले लेती है। यह एक गहरा प्रेम और समर्पण दर्शाता है, जिसमें पत्नी अपने पति की खुशियों की कामना करती है।
रिश्तों में मिठास
श्री अनिरुद्धाचार्य जी महाराज का कहना है कि रिश्तों में मिठास और सामंजस्य होना जरूरी है। पति-पत्नी के रिश्ते में उतार-चढ़ाव आते हैं, लेकिन एक-दूसरे के प्रति प्रेम और सम्मान उन्हें मजबूत बनाता है। उन्होंने बताया कि रिश्तों को मजबूत बनाए रखने के लिए प्यार, थोड़ी कड़वाहट और विश्वास जरूरी है।
नई प्रतिज्ञा
करवा चौथ (Karwa Chauth) के अवसर पर, पति-पत्नी को एक-दूसरे के साथ नई प्रतिज्ञा करने का समय है। श्री अनिरुद्धाचार्य जी महाराज ने सुझाव दिया कि इस दिन दोनों को मिलकर एक-दूसरे से वचन लेना चाहिए कि वे हमेशा एक-दूसरे का सम्मान करेंगे और एक-दूसरे के प्रति सच्चे रहेंगे।
शास्त्रों की दृष्टि
भारतीय शास्त्रों में करवा चौथ (Karwa Chauth) का व्रत महत्वपूर्ण माना गया है। इसे एक पवित्र अवसर के रूप में देखा जाता है, जिसमें पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाने का संदेश दिया गया है। इस दिन की पूजा का आध्यात्मिक अर्थ यह है कि पति-पत्नी एक-दूसरे के लिए समर्पित रहें और हमेशा खुशियों की तलाश करें।
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निष्कर्ष
करवा चौथ एक ऐसा पर्व है जो केवल पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत नहीं करता, बल्कि यह उनके बीच प्रेम और विश्वास को भी बढ़ाता है। श्री अनिरुद्धाचार्य जी महाराज के अनुसार, इस दिन का विशेष ध्यान रखते हुए एक-दूसरे के प्रति सम्मान और विश्वास बनाए रखना चाहिए। इस करवा चौथ पर एक नई शुरुआत करें, एक नई प्रतिज्ञा के साथ, और अपने रिश्ते को और भी गहरा बनाएं।
आप सभी को करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएं! इस दिन का महत्व समझें और इसे अपने जीवन में सही तरीके से लागू करें।