जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा 2023 : मंदिर में क्यों रखी जाती हैं अधूरी मूर्तियाँ 

जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा 2023
जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा 2023

जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा 2023 : मंदिर में क्यों रखी जाती हैं अधूरी मूर्तियाँ 

जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा 2023 : जगन्नाथ मंदिर में अधूरी बनी मूर्तियाँ रखने का प्रथम कारण  मान्यता  और पौराणिक कथाओं से जुड़ा है। जगन्नाथ मंदिर ओडिशा, भारत में स्थित है और इसे श्रीक्षेत्र या पुरी के नाम से भी जाना जाता है। जगन्नाथ मंदिर में स्थापित मूर्तियों को “दरुभ्रम्ह” कहा जाता है, जिसका अर्थ होता है “कच्ची या अधूरी मूर्ति”। इन मूर्तियों को बनाने के लिए लकड़ी और अन्य सामग्री का उपयोग किया जाता है। इसे साल में एक बार बदला जाता है, जिसे “नवकल्प” कहा जाता है।

जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा 2023

जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा 2023 : मंदिर में क्यों रखी जाती हैं अधूरी मूर्तियाँ 

जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा 2023 : प्राचीन पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान जगन्नाथ, बलराम और माता सुभद्रा की मूर्तियों का निर्माण विश्वकर्मा देवता खुद कर रहे थे। उस समय, विश्वकर्मा देवता ने तत्कालीन राजा से कहा कि जब तक इन तीनों मूर्तियों का निर्माण पूरा नहीं हो जाता, तब तक कोई भी उस कमरे में प्रवेश नहीं करेगा। विश्वकर्मा देवता की यह शर्त स्वीकार करते हुए भी राजा ने उस कमरे का दरवाजा खोल दिया। तथापि, इससे पहले कि निर्माण कार्य पूरा हो सके, विश्वकर्मा देवता ने कार्य को अधूरा छोड़ दिया।

इसलिए, भगवान जगन्नाथ, श्रीबलराम और सुभद्रा की मूर्तियाँ अधूरी बनी हुई है। हालांकि, भक्तजन इन मूर्तियों की पूजा करते हैं, वे श्रद्धा और भक्ति से उन्हें प्रणाम करते हैं, जानते हुए भी कि वे अधूरी हैं।

विश्वकर्मा देवता ने अपनी कुशलता और कला के माध्यम से भगवान जगन्नाथ, श्री बलराम और माता सुभद्रा की मूर्तियों को शुरू से ही अत्यधिक सुंदर और आकर्षक बनाया। उन्होंने सभी मूर्तियों को अपने दिव्य हस्तकला के माध्यम से स्थापित किया।

भगवान जगन्नाथ की मूर्ति ऊँची व विशालकाय है, जिसके चेहरे पर सुंदरता और नीरवता का अनूठा संगम है। उनकी आंखें बड़ी और चमकीली हैं, जो दिव्यता का प्रतीक है। श्री बलराम की मूर्ति अपने बलशाली और वीरात्मक स्वरूप में विख्यात है। उनके हाथों में हल और वंश है, जो उनकी वीरता और समर्थ को प्रतिष्ठित करते हैं। माता सुभद्रा की मूर्ति नटकीय रूप से निर्मित है, जो  उनकी दिव्यता और रमणीयता को प्रकट करती है।

इन मूर्तियों का निर्माण विश्वकर्मा देवता द्वारा अधूरा छोड़ दिया गया था क्योंकि राजा ने उनकी शर्त को उल्लंघन करके कमरे का द्वार खोल दिया। इसके बावजूद, भक्तजन इन अधूरी मूर्तियों की पूजा करते हैं और उन्हें अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं। इसका कारण यह है कि भक्ति, आस्था और विश्वास की शक्ति ने इन मूर्तियों को पूर्णता के समीप ले जाया है।

जगन्नाथपुरी के रथयात्रा के दौरान, इन मूर्तियों को नया रूप दिया जाता है और उन्हें लोग श्रद्धा और भक्ति के साथ रथ पर स्थापित करते हैं। इस उत्सव में लाखों भक्तजन आकर्षित होते हैं और जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा की मूर्तियों के आगे अपनी पूरी भक्ति और आदर से नमस्कार करते हैं। यह एक अद्वितीय और रोमांचकारी दृश्य होता है, जिससे लोगों की आत्मा में शांति और आनंद की अनुभूति होती है।