घर में गणेश जी की फोटो कैसे रखें? भारत का प्राचीन वास्तु शास्त्र यह कहता है

घर में गणेश जी की फोटो

घर में गणेश जी की फोटो कैसे रखें? भारत का प्राचीन वास्तु शास्त्र यह कहता है 

घर में गणेश जी की फोटो : गणेश जी की पूजा और उनकी तस्वीर या मूर्ति को घर में सही तरीके से रखने को लेकर लोगों के मन में बहुत सारे सवाल होते हैं। इनमें सबसे आम सवाल यह है कि गणेश जी की फोटो या मूर्ति को किस दिशा में रखा जाना चाहिए, और किस दिशा में नहीं। यह सवाल इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वास्तुशास्त्र और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से गणेश जी की मूर्ति या फोटो को सही दिशा में रखने का सीधा असर घर की समृद्धि और शांति पर पड़ता है।

घर के मुख्य द्वार पर गणेश जी की मूर्ति रखने से बचें

कई लोग मानते हैं कि घर में गणेश जी की फोटो या मूर्ति को घर के मुख्य द्वार पर रखना शुभ होता है, क्योंकि वह बाधाओं को दूर करने वाले देवता हैं। परंतु, ऐसा करना वास्तुशास्त्र के अनुसार सही नहीं माना जाता है। गणेश जी को मुख्य द्वार पर द्वारपाल के रूप में स्थापित करना अनुचित माना जाता है। इस संदर्भ में एक पुरानी कथा है कि जब गणेश जी ने भगवान शिव को माँ पार्वती के आदेश से रोका था, तो शिव जी ने उनका मस्तक काट दिया था। यही कारण है कि गणेश जी को मुख्य द्वार पर द्वारपाल के रूप में रखना उनके सम्मान के विपरीत है और घर में अशांति का कारण बन सकता है।

घर में गणेश जी की फोटो का प्रभाव और मूर्तियों की संख्या

गणेश जी बुद्धि और विवेक के देवता हैं, और उनकी मूर्ति या फोटो घर में एक से अधिक नहीं होनी चाहिए। अगर घर में एक से ज्यादा गणेश जी की मूर्तियाँ होंगी, तो यह उल्टा प्रभाव डाल सकती है। यह मानसिक भ्रम और अस्थिरता का कारण बन सकती है। एक घर में सिर्फ एक ही गणेश जी की मूर्ति या फोटो होनी चाहिए और उसे भी उत्तर-पूर्व दिशा में रखना चाहिए।

अगर आपके घर में पहले से कई गणेश जी की मूर्तियाँ हैं, तो उन्हें एक बॉक्स में सुरक्षित तरीके से पैक करके रख दें। इससे घर में शांति और स्थिरता बनी रहती है। जिन घरों में बहुत सारी गणेश जी की मूर्तियाँ रखी होती हैं, वहाँ अक्सर मानसिक अशांति और विचारों में भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है।

प्रश्न : गणेश जी की फोटो किस दिशा में लगाये?

घर में गणेश जी की फोटो या मूर्ति रखने के लिए सबसे उचित दिशा ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व मानी जाती है। वास्तु के अनुसार, उत्तर-पूर्व दिशा पूजा और ध्यान के लिए सबसे पवित्र मानी जाती है। इस दिशा में गणेश जी की स्थापना करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और घर के सदस्यों की बुद्धि में वृद्धि होती है। गणेश जी बुद्धि के देवता माने जाते हैं और उत्तर-पूर्व दिशा में उनकी उपस्थिति से घर में शांति, समृद्धि और क्लैरिटी ऑफ माइंड आती है। 

प्रश्न : गणेश जी की सूंड किधर शुभ होती है?

गणेश जी की मूर्ति की सूंड की दिशा को लेकर भी कई भ्रांतियाँ हैं। लोग मानते हैं कि गणेश जी की सूंड अगर दाईं ओर हो, तो वह ज्यादा शुभ मानी जाती है, जबकि बाईं ओर हो, तो वह उतनी शुभ नहीं होती। यह मान्यता भी गलत है। भगवान गणेश की सूंड की दिशा का कोई वास्तुशास्त्रीय महत्व नहीं है। यह सिर्फ एक मिथक है कि सूंड की दिशा से शुभ-अशुभ का पता चलता है। भगवान गणेश का असली महत्व उनके आशीर्वाद और उनकी कृपा में है, ना कि उनकी मूर्ति की सूंड की दिशा में।

लॉजिकल दृष्टिकोण और समाधान

किसी भी धार्मिक या वास्तु उपाय को अपनाने से पहले उसके पीछे का तर्क समझना जरूरी है। केवल किसी की सलाह पर बिना सोचे समझे मूर्ति लगाना या उपाय करना सही नहीं होता। अगर आपको घर में गणेश जी की फोटो या मूर्ति से जुड़ी किसी भी प्रकार की शंका है, तो पहले उसके पीछे के तर्क को समझें। उदाहरण के लिए, अगर किसी पंडित ने आपको कहा कि गणेश जी की सूंड की दिशा का प्रभाव होगा, तो पहले उस तर्क को परखें और समझें कि यह क्यों महत्वपूर्ण है।

घर में गणेश जी की फोटो या मूर्ति को रखने का उद्देश्य घर में सकारात्मकता, शांति, और समृद्धि लाना है। अगर आपने सही दिशा और सही संख्या में गणेश जी की मूर्ति रखी है, तो यह घर के माहौल को सकारात्मक बनाए रखेगी। वहीं, अगर गणेश जी की मूर्ति को गलत दिशा में रखा जाता है, तो इसका विपरीत असर भी हो सकता है।

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निष्कर्ष

घर में गणेश जी की फोटो या मूर्ति रखने का सही तरीका यह है कि उसे केवल उत्तर-पूर्व दिशा में रखें। किसी अन्य दिशा में गणेश जी की मूर्ति को रखना सही नहीं है। घर में एक से ज्यादा गणेश जी की मूर्तियाँ नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इससे मानसिक भ्रम पैदा हो सकता है। अगर आपने पहले से कई मूर्तियाँ रखी हैं, तो उन्हें हटा दें और सिर्फ एक ही मूर्ति को सही दिशा में रखें। 

इसके अलावा, गणेश जी की सूंड की दिशा का कोई विशेष महत्व नहीं है, इसलिए इसे लेकर कोई भ्रम न रखें। गणेश जी के प्रति आपकी आस्था और विश्वास ही सबसे बड़ा तर्क है।

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