गणेश विसर्जन क्यों करते हैं? सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने बताई पूरी बात

गणेश विसर्जन क्यों करते हैं? सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने बताई पूरी बात

गणेश विसर्जन क्यों करते हैं? सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने बताई पूरी बात

गणेश विसर्जन : भारत में गणेश चतुर्थी का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान लोग मिट्टी से भगवान गणेश की मूर्ति बनाकर उनकी पूजा करते हैं। यह त्योहार मुख्य रूप से बुद्धिमत्ता, समृद्धि और शुभता का प्रतीक है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि गणेश की पूजा के बाद उनका विसर्जन क्यों किया जाता है? सद्गुरु के अनुसार, गणेश विसर्जन एक गहरे आध्यात्मिक संदेश का प्रतीक है।

गणेश जी का बुद्धि से संबंध

गणेश जी को बुद्धि और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। सद्गुरु बताते हैं कि भगवान गणेश ने महाभारत जैसे महान ग्रंथों को लिखा है। व्यास ऋषि ने उन्हें यह चुनौती दी थी कि वे बिना रुके बोलते रहें और गणेश बिना रुके लिखते रहें। इस प्रक्रिया में गणेश ने कभी भी एक शब्द भी नहीं छोड़ा। यह घटना मानव बुद्धि की अद्वितीय क्षमता को दर्शाती है, जहां निरंतरता और ध्यान का महत्व है। गणेश जी के विशाल सिर का मतलब है विशाल ज्ञान और बुद्धि, जो हमें याद दिलाता है कि बुद्धिमत्ता जीवन में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

गणेश जी का नाम गणपती क्यों? 

सद्गुरु बताते हैं कि गणेश जी का नाम गणपति इसलिए पड़ा क्योंकि वे ‘गणों के मुखिया’ हैं। गण शब्द का अर्थ समूह या समुदाय होता है, और गणेश जी को इस समूह का नेतृत्व करने वाला माना जाता है। इसीलिए उन्हें गणपति कहा जाता है। गणेश जी को सामान्यत: हाथी के सिर वाले देवता के रूप में चित्रित किया जाता है। सद्गुरु के अनुसार, यह हाथी का चेहरा प्रतीकात्मक रूप से मानव बुद्धि का प्रतिनिधित्व करता है क्योंकि धरती पर हाथी का सिर सबसे बड़ा और बुद्धिमान होता है। यह गणेश जी को एक बौद्धिक शक्ति के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत करता है।

गणेश विसर्जन क्यों करते हैं?

गणेश चतुर्थी का एक और महत्वपूर्ण पहलू है—गणेश विसर्जन। सद्गुरु के अनुसार, गणेश विसर्जन का अर्थ केवल मूर्ति को जल में मिलाना नहीं है। यह हमें सिखाता है कि हम अपनी बुद्धि का सही उपयोग करके संसार को त्याग सकते हैं। जब गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन होता है, तो यह एक प्रतीकात्मक प्रक्रिया होती है जो हमें बताती है कि जो कुछ भी हमने इस भौतिक दुनिया में बनाया है, वह अस्थायी है और अंततः विलीन हो जाएगा।

गणेश विसर्जन क्या संदेश देता है?

सद्गुरु के अनुसार, गणेश विसर्जन का मुख्य संदेश यह है कि हमारी बुद्धि इस संसार की अस्थिरता और परिवर्तनशीलता को समझे। बुद्धि का सही उपयोग हमें संसार के मोह से मुक्त कर सकता है। यह विसर्जन हमें यह भी सिखाता है कि बुद्धि का कार्य केवल विचार उत्पन्न करना नहीं है, बल्कि उन विचारों को नियंत्रित करना और अंततः उन्हें विलीन करना भी है। गणेश जी का विसर्जन इस बात का प्रतीक है कि हम अपनी कल्पना और बुद्धि की शक्ति से ब्रह्मांड को मिटा सकते हैं, और यह प्रक्रिया हमारे जीवन में समर्पण और शांति का मार्ग खोलती है।

सद्गुरु बताते हैं कि हमारे मन की गतिविधियाँ और कल्पनाएँ ही हमारे अनुभवों का निर्माण करती हैं। गणेश विसर्जन हमें यह सिखाता है कि अगर हम अपनी कल्पना को जागरूकता के साथ विकसित करते हैं, तो उसे रोकना और विसर्जित करना आसान हो जाता है। फिलहाल हमारी कल्पनाएँ बिना किसी नियंत्रण के बिखरी रहती हैं, जिसके कारण उन्हें रोकना मुश्किल होता है। गणेश विसर्जन का महत्व इस बात में निहित है कि हम अपनी बुद्धि और कल्पना की गतिविधियों को नियंत्रित करके उन्हें शांति में विलीन कर सकते हैं।

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गणेश चतुर्थी का असली महत्व क्या है?

गणेश चतुर्थी के उत्सव के दौरान लोग गणेश जी की मूर्ति को घरों और सार्वजनिक स्थानों पर स्थापित करते हैं। उनकी पूजा और भव्य समारोहों के बीच, विसर्जन का दिन आता है जब हम उन्हें जल में मिलाकर विदा करते हैं। सद्गुरु के अनुसार, यह प्रक्रिया हमें सिखाती है कि जीवन में जो कुछ भी हमने बनाया है, चाहे वह कितना भी महत्वपूर्ण हो, उसे एक दिन छोड़ना ही होगा। गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन यह संदेश देता है कि हमें संसार की माया में फंसने की बजाय अपनी आंतरिक बुद्धि को जागृत करना चाहिए।

सद्गुरु के अनुसार, गणेश विसर्जन केवल एक धार्मिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह हमारी बुद्धि और जागरूकता को सही दिशा में उपयोग करने का प्रतीक है। गणेश चतुर्थी का उत्सव और उसके बाद का विसर्जन हमें यह सिखाता है कि बुद्धि का सही उपयोग हमें संसार के मोह से मुक्त कर सकता है और हमें आत्मिक शांति की ओर ले जा सकता है। गणेश जी की पूजा और विसर्जन, दोनों ही हमें अपनी सीमाओं और अस्थिरता का अहसास कराते हैं और अंततः जीवन के उच्चतम सत्य की ओर प्रेरित करते ह

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