Sadhguru on Diwali : इस दीपावली पर जरूर करें सद्गुरु की बताई यह एक चीज | 20 मिनट लगेंगे लेकिन जीवन बदल जाएगा | Diwali Par Kya Karna Chahiye

Sadhguru on Diwali : इस दीपावली पर जरूर करें सद्गुरु की बताई यह एक चीज | 20 मिनट लगेंगे लेकिन जीवन बदल जाएगा | Diwali Par Kya Karna Chahiye

Sadhguru on Diwali : इस दीपावली पर जरूर करें सद्गुरु की बताई यह एक चीज | 20 मिनट लगेंगे लेकिन जीवन बदल जाएगा | Diwali Par Kya Karna Chahiye

Diwali Par Kya Karna Chahiye : दिवाली भारत में मनाया जाने वाला सबसे प्रमुख और प्रकाश पर्व है। इसे अंधकार पर प्रकाश की विजय के रूप में देखा जाता है। सद्गुरु (Sadhguru on Diwali) ने इस विशेष अवसर पर एक गहरा संदेश दिया है कि दिवाली सिर्फ बाहरी दुनिया में प्रकाश करने का अवसर नहीं है, बल्कि यह समय है अपने भीतर के अंधकार को मिटाने और आत्मबोध की दिशा में कदम बढ़ाने का।

उनका यह संदेश हमें ध्यान, आत्म-विश्लेषण और आंतरिक रोशनी की ओर प्रेरित करता है। आइए, इस ब्लॉग में सद्गुरु के विचारों को विस्तार से समझते हैं और जानते हैं कि इस दिवाली (Diwali Par Kya Karna Chahiye) हम अपने जीवन में कौनसा एक महत्वपूर्ण काम कर सकते हैं।

अंधकार और रोशनी का आध्यात्मिक अर्थ | True Meaning of Diwali

सद्गुरु (Sadhguru on Diwali) बताते हैं कि हर आध्यात्मिक शब्द कहीं न कहीं “रोशनी” से जुड़ा हुआ है। इसका कारण यह है कि स्पष्टता और प्रकाश का सीधा संबंध हमारी समझ और ज्ञान से होता है। अज्ञानता को “अंधकार” के रूप में देखा जाता है, और जो इस अंधकार को दूर करता है, उसे गुरु कहा जाता है। दिवाली का पर्व प्रतीकात्मक रूप से अज्ञानता के अंधकार को मिटाकर ज्ञान की रोशनी फैलाने का समय है।

जीवन में दुख का मुख्य कारण

सद्गुरु (Sadhguru on Diwali) कहते हैं कि इंसान होने का अर्थ है जानना कि “कैसे रहना है।” हमें अपनी खुशी, शांति और आनंद के लिए खुद को जिम्मेदार बनाना सीखना चाहिए। अगर हमें पता होता कि सही तरीके से कैसे जीना है, तो हम दुखी नहीं होते, बल्कि स्वाभाविक रूप से आनंदित रहते। परंतु, ज्यादातर लोग अपनी सीमाओं से जुड़कर अपनी पहचान बना लेते हैं, और इस सीमितता में जीवन जीते हैं। यही अज्ञानता है।

दीपवाली का महत्व | Significance of Diwali

सद्गुरु (Sadhguru on Diwali) ने चेतना को “रोशनी” से तुलना करते हुए कहा कि जब एक व्यक्ति अपने अंदर की रोशनी जलाता है, तो वह न केवल खुद को प्रभावित करता है, बल्कि अपने आसपास के लोगों पर भी उसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ठीक वैसे ही जैसे कोई व्यक्ति अंधेरे कमरे में एक दीपक जलाए, तो उस दीपक का प्रकाश पूरे कमरे में फैल जाएगा। उसी तरह जब हम चेतना प्राप्त करते हैं, तो न केवल हमारी सीमाएं समाप्त होती हैं, बल्कि हमारी ऊर्जा और सकारात्मकता दूसरों के जीवन को भी प्रकाशित करती है।

दीपवाली पर क्या करना चाहिए | Diwali Par Kya Karna Chahiye

सद्गुरु का संदेश इस दिवाली (Diwali Par Kya Karna Chahiye) के लिए बहुत सरल है – “अपने आप पर कम से कम 20 मिनट बिताएं।” यह समय आत्म-विश्लेषण और आत्म-बोध के लिए हो। इस प्रक्रिया में आपको यह समझना होगा कि क्या चीजें आपको सीमित करती हैं और कैसे आप इन सीमाओं से बाहर निकल सकते हैं। यह ध्यान और आत्ममंथन का समय होगा, जिसमें आप अपने भीतर के अज्ञानता के जाल को पहचानेंगे और उसे तोड़ने का प्रयास करेंगे।

यह करने से क्या होगा | Benefits

दिवाली केवल बाहरी प्रकाश से जुड़े त्योहार के रूप में नहीं देखी जानी चाहिए। यह त्योहार आत्मज्ञान, आत्म-विश्लेषण और आंतरिक प्रकाश को जगाने का अवसर है। सद्गुरु कहते हैं कि जब आप इस प्रक्रिया (Diwali Par Kya Karna Chahiye) को शुरू करेंगे, तो आपका जीवन न केवल आपके लिए बल्कि आपके आसपास के सभी लोगों के लिए भी जगमगा उठेगा। चेतना की यह रोशनी सभी सीमाओं को समाप्त कर देती है और इंसान को उसकी वास्तविकता से अवगत कराती है।

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सद्गुरु की शुभकामनाएं और साधन

सद्गुरु का संदेश (Sadhguru on Diwali) केवल दिवाली के अवसर पर ही नहीं, बल्कि पूरे जीवन में लागू किया जा सकता है। वह हमें यह याद दिलाते हैं कि अगर आपको खुद से यह आत्मबोध करने में कठिनाई हो रही है, तो वे और उनके जैसे अन्य गुरु आपको मार्गदर्शन देने के लिए तैयार हैं।

दिवाली का संदेश (Diwali Par Kya Karna Chahiye) केवल बाहरी दीयों की रोशनी तक सीमित नहीं है, बल्कि अपने भीतर की रोशनी को प्रज्वलित करने का भी है। सद्गुरु आपको इस पर्व की शुभकामनाएं देते हैं और आशा करते हैं कि आपके जीवन में नई रोशनी आए, जो न केवल आपको बल्कि आपके आसपास के सभी लोगों को भी रोशन करे।

निष्कर्ष

Diwali Par Kya Karna Chahiye : इस दिवाली, सद्गुरु की सलाह (Sadhguru on Diwali) के अनुसार, केवल बाहरी दुनिया को सजाने और प्रकाश करने पर ध्यान न दें, बल्कि अपने भीतर की यात्रा पर भी ध्यान दें। 20 मिनट का समय खुद को समर्पित करें, आत्ममंथन करें, और अपने जीवन में एक नई स्पष्टता और रोशनी लेकर आएं। यही दिवाली का असली संदेश है – आंतरिक अंधकार को मिटाकर आत्मज्ञान और चेतना की ओर बढ़ना।