Diwali 2024 : दीपावली पर क्या करें क्या और बिल्कुल ना करें? प्रेमानन्द जी महाराज ने समझाया
Diwali 2024 : प्रेमानंद जी महाराज का दीपावली पर प्रवचन हमारे जीवन में गहरी अंतर्दृष्टि और आध्यात्मिक शिक्षा प्रदान करता है। उनके अनुसार, दिवाली का पर्व केवल बाहरी रोशनी और दिखावे का नहीं, बल्कि आंतरिक शुद्धता और ज्ञान का प्रतीक है। दीपावली पर हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, इसका स्पष्ट वर्णन प्रेमानंद जी महाराज ने अपने सत्संग में किया है, जो कि हर व्यक्ति के जीवन को एक नई दिशा दे सकता है।
महाराज जी कहते हैं कि हमारे सभी त्योहार भगवान की लीलाओं से जुड़े होते हैं। जैसे दीपावली (Diwali 2024) का संबंध भगवान श्रीराम की अयोध्या वापसी से है। जब भगवान श्री राम 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटे, तो पूरी अयोध्या दीपों से जगमग हो उठी। यह पर्व प्रेम, भक्ति, और सत्य के विजय का प्रतीक है। हमें इस उत्सव को मनाते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि इसका असली उद्देश्य भगवान के प्रति भक्ति और आत्मज्ञान को प्रकट करना है।
दीपावली (Diwali 2024) पर क्या करें
1. नाम जप और भक्ति:
प्रेमानंद जी महाराज का कहना है कि दीपावली (Diwali 2024) की रात को 12 बजे तक नाम जप करना अत्यंत शुभ होता है। भगवान के नाम का स्मरण करना और अपने प्रिय इष्ट की पूजा करना हमारी आत्मा को शुद्ध करता है। इस रात को घी के दीपक जलाएं, गुरु मंत्र का जाप करें और भगवान की आराधना में लीन हो जाएं। जब हम बाहरी अंधकार को दूर करने के लिए दीपक जलाते हैं, तो हमें अपने अंदर के अज्ञान के अंधकार को भी मिटाने की आवश्यकता है। भक्ति का दीपक और प्रेम की बाती हमारे अंदर के अंधकार को ज्ञान के प्रकाश में बदल देती है।
2. आत्मचिंतन:
महाराज जी कहते हैं कि बाहरी दीपावली (Diwali 2024) से अधिक महत्वपूर्ण है हमारे हृदय की दीपावली। जब हमारे हृदय में भक्ति और प्रेम का दीपक जलता है, तो हमारे जीवन में ज्ञान का प्रकाश आता है। यह ज्ञान हमें इस सत्य से परिचित कराता है कि हम शरीर नहीं हैं, बल्कि आत्मा हैं, जो सच्चिदानंद स्वरूप है। जब यह सत्य हमारे भीतर प्रकाशित हो जाता है, तो सभी दुख, शोक, और मृत्यु का भय नष्ट हो जाता है।
3. सात्विक कार्यों का पालन:
दिवाली (Diwali 2024) पर महाराज जी ने हमें सात्विक और धार्मिक गतिविधियों का पालन करने का आह्वान किया है। भगवान का नाम जपना, भगवान को भोग लगाना, और आरती करना हमें आध्यात्मिक रूप से समृद्ध करता है। दीपावली के दिन अच्छे आचरण और धार्मिक कर्मों को प्राथमिकता देनी चाहिए।
4. समाज में शांति और सद्भाव का प्रसार:
प्रेमानंद जी महाराज का कहना है कि हमें समाज में शांति और सद्भाव का प्रसार करना चाहिए। दिवाली के पर्व पर आसुरी प्रवृत्तियों से दूर रहकर, हम भगवान की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। जब हम स्वयं में शांति और धर्म को अपनाते हैं, तो समाज में भी उसका प्रभाव पड़ता है।
दीपवाली (Diwali 2024) पर क्या न करें
1. जुआ और आसुरी प्रवृत्तियाँ:
महाराज जी के अनुसार, दिवाली (Diwali 2024) पर जुआ खेलना और अन्य आसुरी कार्य नहीं करने चाहिए। लोग अक्सर मानते हैं कि दिवाली पर जुआ खेलने से साल भर का भाग्य तय होता है, लेकिन महाराज जी इसे कलयुग की प्रवृत्ति बताते हैं। जुआ खेलना, शराब पीना, मांस खाना, और परस्त्री गमन जैसे कार्यों से दूर रहना चाहिए, क्योंकि ये सभी कुकर्म हमें असत मार्ग पर ले जाते हैं। ये कार्य केवल हमारे जीवन में दुख और विपत्ति लाते हैं। महापुरुषों के जीवन से उदाहरण देते हुए महाराज जी ने कहा कि धर्मराज युधिष्ठिर और महाराज नल ने भी द्यूत कीड़ा में अपना सब कुछ खो दिया था, क्योंकि द्यूत (जुआ) में कलयुग का निवास होता है।
2. अधर्म के कार्य:
दिवाली (Diwali 2024) पर हमें कोई भी ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए, जो अधर्म की श्रेणी में आता हो। महाराज जी ने विशेष रूप से चोरी, हिंसा, और अन्य गलत आचरण से बचने की सलाह दी है। अधर्म से प्राप्त धन और संसाधन हमें कभी भी सच्चा सुख और शांति नहीं दे सकते। यदि हम अधर्म का सहारा लेकर किसी भी प्रकार की संपत्ति अर्जित करते हैं, तो वह संपत्ति हमारे जीवन में अशांति और दुख ही लाएगी।
3. आंतरिक और बाहरी अज्ञान को दूर न करना:
प्रेमानंद जी महाराज ने चेतावनी दी है कि यदि हम केवल बाहरी दीपावली (Diwali 2024) मनाकर खुश होते हैं और अपने अंदर के अज्ञान के अंधकार को दूर नहीं करते, तो यह असली दिवाली नहीं है। जब तक हमारे अंदर का अंधकार दूर नहीं होगा, तब तक हमें वास्तविक आनंद की प्राप्ति नहीं होगी। इसीलिए हमें बाहरी रोशनी के साथ-साथ अपने भीतर भी आत्मचिंतन और भक्ति के दीप जलाने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष:
प्रेमानंद जी महाराज के विचार हमें बताते हैं कि दिवाली (Diwali 2024) केवल उत्सव का नाम नहीं है, बल्कि आत्म-ज्ञान और भक्ति का पर्व है। यह पर्व हमें भगवान के करीब लाने का अवसर प्रदान करता है। दिवाली पर हमें बाहरी दिखावे से दूर रहकर, अपने भीतर की भक्ति और प्रेम को जगाने का प्रयास करना चाहिए। महाराज जी के आशीर्वचनों के अनुसार, जब हम अपने आचरण को शुद्ध करते हैं और भगवान के नाम का स्मरण करते हैं, तो हमारा जीवन आध्यात्मिक आनंद से भर जाता है।
दिवाली (Diwali 2024) का असली संदेश यही है कि हम अपने जीवन से आसुरी प्रवृत्तियों को हटाकर, सात्विक और धार्मिक जीवन की ओर बढ़ें, ताकि हमारे जीवन में सच्चा प्रकाश और आनंद आ सके।