Chhoti Diwali : छोटी दिवाली क्यों मानते हैं? भगवान श्री राम से नहीं, श्री कृष्ण से है संबंध | Narak Chaturdashi Kyon Manate Hain
Chhoti Diwali (Narak Chaturdashi) Kyon Manate Hain : छोटी दिवाली, जिसे “नरक चतुर्दशी” के नाम से जाना जाता है, दीपावली से एक दिन पहले मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण पर्व है। इसे “नरकासुर” नामक राक्षस के वध के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण और उनकी पत्नी सत्यभामा ने अहंकारी राक्षस को हराया था। इस दिन का मुख्य संदेश बुराई पर अच्छाई की विजय का है। आइए जानें, “Chhoti Diwali (Narak Chaturdashi) Kyon Manate Hain” और इसके पीछे छिपी पौराणिक कथा के बारे में विस्तार से चर्चा करें।
नरकासुर कौन था?
नरकासुर एक शक्तिशाली, लेकिन अत्याचारी राक्षस था, जो धरती माता (भूदेवी) और भगवान विष्णु के वराह अवतार से उत्पन्न हुआ था। शुरूआत में नरकासुर एक धर्मपरायण राजा था, लेकिन जैसे-जैसे उसकी ताकत बढ़ती गई, वह घमंडी और अत्याचारी होता चला गया। उसने अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हुए देवताओं और स्त्रियों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया था।
उसने 16,000 स्त्रियो को बंदी बना लिया था और आतंक मचा रखा था। यहां तक कि उसने इंद्रलोक पर आक्रमण कर इंद्रदेव को परास्त कर दिया था, जिससे देवताओं को भी डर सताने लगा था। तब देवताओं ने भगवान श्रीकृष्ण से इस अत्याचारी राक्षस का अंत करने की प्रार्थना की।
Chhoti Diwali (Narak Chaturdashi) Kyon Manate Hain
श्रीकृष्ण और सत्यभामा की भूमिका
नरकासुर के अत्याचारों से धरती और देवता त्रस्त हो चुके थे। इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ मिलकर नरकासुर के खिलाफ युद्ध छेड़ने का निर्णय लिया। सत्यभामा, जो न केवल अपनी सुंदरता और बुद्धिमानी के लिए प्रसिद्ध थीं, बल्कि उनकी वीरता और साहस के लिए भी जानी जाती थीं। इस युद्ध में श्रीकृष्ण के साथ उनकी सहभागिता विशेष थी, क्योंकि इस युद्ध में सत्यभामा ने अपनी आत्मिक शक्ति का प्रदर्शन किया और युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
नरकासुर का वध और उसकी कथा
नरकासुर के महल तक पहुँचने के लिए श्रीकृष्ण और सत्यभामा को उसके राक्षसी सेना से लड़ाई करनी पड़ी। युद्ध में नरकासुर ने अपनी माया और अपार शक्ति का उपयोग कर भगवान श्रीकृष्ण पर हमला किया। युद्ध के दौरान एक ऐसा समय आया जब नरकासुर के बाण से भगवान श्रीकृष्ण घायल हो गए। यह देखकर सत्यभामा ने साहस का परिचय देते हुए स्वयं धनुष उठाया और नरकासुर का वध कर दिया।
यहां यह ध्यान देने वाली बात है कि नरकासुर को धरती माता से यह वरदान प्राप्त था कि उसकी मृत्यु उसकी ही मां के हाथों होगी। सत्यभामा, जो धरती माता का ही अवतार मानी जाती हैं, इस वरदान के कारण नरकासुर का अंत करने में सक्षम रहीं। इसके बाद नरकासुर की कैद में बंद 16,000 स्त्रियों को मुक्त किया गया, और पूरे राज्य में शांति स्थापित हुई।
Chhoti Diwali (Narak Chaturdashi) Kyon Manate Hain
नरकासुर के वध के बाद, जिस दिन यह घटना घटी, उसे “नरक चतुर्दशी” के रूप में मनाया जाने लगा। इस दिन को “छोटी दिवाली” इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह दीपावली से एक दिन पहले मनाई जाती है। इसका उद्देश्य बुराई के अंत और अच्छाई की जीत का जश्न मनाना है। दक्षिण भारत में विशेष रूप से इस दिन का महत्व है, जहां इसे दीपावली की मुख्य तिथि के रूप में मनाया जाता है। यहां लोग दीप जलाकर और पटाखे फोड़कर नरकासुर के वध की खुशी का जश्न मनाते हैं।
उत्तर भारत में इसे छोटी दिवाली के रूप में मनाया जाता है, जो मुख्य दिवाली की तैयारी का दिन माना जाता है। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि चाहे कितनी भी बड़ी बुराई हो, उसका अंत अच्छाई और धर्म के हाथों ही होता है।
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नरक चतुर्दशी पूजा विधि
नरक चतुर्दशी के दिन प्रातःकाल स्नान करने और विशेष पूजा का विधान होता है। इसे ‘अभ्यंग स्नान’ कहा जाता है, जो शरीर और आत्मा दोनों की शुद्धि का प्रतीक है। इस दिन लोग स्नान के बाद नए वस्त्र पहनते हैं और घरों में दीप जलाकर भगवान की आराधना करते हैं। यह त्यौहार अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का प्रतीक है, जो बुराई के अंत और जीवन में ज्ञान का प्रकाश फैलाने का संदेश देता है।
Chhoti Diwali (Narak Chaturdashi) Kyon Manate Hain
इस दिन विशेष रूप से यमराज की पूजा भी की जाती है, ताकि अकाल मृत्यु से बचा जा सके और लंबी उम्र प्राप्त हो। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए स्नान और पूजा से जीवन में शांति, समृद्धि और सुरक्षा मिलती है। नरक चतुर्दशी के दिन घरों में विशेष दीप जलाने की परंपरा है, जो प्रतीकात्मक रूप से अज्ञानता और अंधकार को दूर भगाने के लिए होता है।
निष्कर्ष
अब यह स्पष्ट हो गया है कि “Chhoti Diwali (Narak Chaturdashi) Kyon Manate Hain”। छोटी दिवाली, अर्थात नरक चतुर्दशी, बुराई पर अच्छाई की विजय का महोत्सव है। यह त्यौहार हमें सिखाता है कि धर्म के मार्ग पर चलने वाले की हमेशा विजय होती है, और जो व्यक्ति अहंकार और अत्याचार के रास्ते पर चलता है, उसका अंत निश्चित है।