Category: सनातन धर्म

ध्यान क्या है? What is Dhyana?

ध्यान (Dhyana) है मृत्यु – मन की मृत्यु, मैं की मृत्यु, विचार का अंत| शुद्ध चैतन्य हो जाना, मगर दुर्भाग्य से आज के इस मॉडर्न …Read More

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Bhagavad Gita 6.6 || अध्याय ०६ , श्लोक ०६ – भगवद गीता

Bhagavad Gita 6.6 : भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को समझाते हैं, जीवन में कुछ भी सार्थक करने के लिए मन पर नियंत्रण होना चाहिए। हर व्यक्ति के लिए यह दो संभावना है या तो मन पर उसका नियंत्रण होगा या फिर मन का नियंत्रण उस पर होगा, या तो तुम मन के सेवक होंगे या फिर मन तुम्हारा सेवक होगा। अब यह…Read More

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Bhagavad Gita 2.48 || अध्याय ०२ , श्लोक ४८ – भगवद गीता

Bhagavad Gita 2.48 : भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं, कार्य करते समय कभी भी आसक्ति भाव मन में मत रखो। बिना आसक्ति भाव के कार्य करने का अर्थ है कि, कार्य करते समय उससे किसी भी तरह के फल की आशा मत रखो | तुम…Read More

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Bhagavad Gita 2.47 || अध्याय ०२ , श्लोक ४७ – भगवद गीता

Bhagavad Gita 2.47 : यह बात सही है कि तुम अपने कर्मों को करने के लिए पूरी तरह से मुक्त हो, यह तुम्हारे ऊपर है की तुम क्या कर्म करते हो क्या कर्म नहीं करते हो तुम किस कर्म को किस तरीके से एवं किस दक्षता के साथ करते हो इस पर तुम्हारा पूरा पूरा अधिकार है |

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