Tailang Swami Biography in Hindi : कौन हैं तैलंग स्वामी / त्रैलंग स्वामी? जिनके चमत्कारों और साधना की आज भी होती है चर्चा

Tailang Swami Biography in Hindi : कौन हैं तैलंग स्वामी / त्रैलंग स्वामी? जिनके चमत्कारों और साधना की आज भी होती है चर्चा

Tailang Swami Biography in Hindi : कौन हैं तैलंग स्वामी / त्रैलंग स्वामी? जिनके चमत्कारों और साधना की आज भी होती है चर्चा

Tailang Swami Biography in Hindi : तैलंग स्वामी – भारत के आध्यात्मिक इतिहास में अनेक महान संतों और योगियों का योगदान रहा है जिन्होंने अपने जीवन के माध्यम से अद्भुत चमत्कार दिखाए और मानवता को एक नई दिशा दी। इनमें से एक अद्वितीय योगी और संत थे “तैलंग स्वामी (Trailanga Swami)”, जिनका जीवन एक रहस्यमय और चमत्कारी यात्रा के रूप में प्रस्तुत होता है। तैलंग स्वामी के बारे में कहा जाता है कि वे लगभग 300 वर्ष जीवित रहे और उनका जीवन अनेक चमत्कारों और दिव्य घटनाओं से भरा हुआ था। उनका अस्तित्व आज भी भारत और विशेष रूप से वाराणसी में लोगों के दिलों में एक प्रेरणा के रूप में जीवित है।

तैलंग स्वामी का प्रारंभिक जीवन

स्वामी जी (Tailang Swami Biography in Hindi) का जन्म 27 नवंबर 1607 को आंध्र प्रदेश के विजयनगरम जिले में हुआ था। उनका जन्म नाम “शिवराम” रखा गया था। उनके माता-पिता भगवान शिव के उपासक थे और घर में हमेशा भक्ति का माहौल रहता था। शिवराम भी बचपन से ही भक्ति और साधना में लीन रहते थे। जब वे 40 साल के हुए, तो उनके पिता का निधन हो गया और इसके बाद उनकी माँ ने उन्हें भगवती काली की पूजा करने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद शिवराम ने श्मशान घाट पर साधना करना शुरू किया, जहाँ उन्होंने लगभग 20 वर्षों तक ध्यान और तपस्या की।

एक दिन भागीरथ स्वामी, जो एक प्रसिद्ध योगी थे, श्मशान घाट से गुजर रहे थे और उनकी नजर शिवराम (Tailang Swami Biography in Hindi) पर पड़ी। भागीरथ स्वामी ने अपनी दिव्य दृष्टि से शिवराम में एक महान योगी की पहचान की और उन्हें अपनी देख-रेख में पुष्कर तीर्थ भेजा। वहाँ उन्होंने शिवराम को 78 वर्ष की आयु में सन्यास की दीक्षा दी और उनका नाम “स्वामी गणपति सरस्वती” रखा। इस दीक्षा के बाद, स्वामी जी ने भारत भर में भ्रमण शुरू किया और हिमालय, नेपाल, रामेश्वरम जैसी स्थानों का दौरा किया।

वाराणसी में तैलंग स्वामी

1737 में स्वामी (Tailang Swami Biography in Hindi) जीवाराणसी पहुँचे, और यहीं के होकर रह गए। इस समय उनकी उम्र 122 वर्ष थी, लेकिन उनकी काया और शरीर में ऐसी दीर्घायु के कोई लक्षण नहीं दिखते थे। उनकी शारीरिक अवस्था 50 वर्ष के व्यक्ति जैसी प्रतीत होती थी। काशी के लोग उन्हें “त्रैलंग स्वामी” के नाम से पुकारने लगे, क्योंकि वे तेलंगाना क्षेत्र के थे। वे अक्सर मौन रहते थे और ध्यान में लीन रहते थे।

तैलंग स्वामी के चमत्कारी कार्य

तैलंग स्वामी (Tailang Swami Biography in Hindi) के जीवन में कई अनेकों चमत्कारी घटनाएँ घटीं। उनकी साधना इतनी प्रभावशाली थी कि वे कई दिनों तक बिना भोजन के रह सकते थे। एक बार, अंग्रेजों ने उन्हें अश्लीलता के आरोप में जेल में डालने की कोशिश की, लेकिन वे बार-बार वहां से बाहर आ जाते थे। एक बार उन्हें जहर भी पिलाया गया, लेकिन जहर का उन पर कोई असर नहीं हुआ। एक अन्य घटना में, एक व्यक्ति ने तैलंग स्वामी को चूने का घोल दही के रूप में देने का प्रयास किया, लेकिन स्वामी ने उसे बिना किसी हिचकिचाहट के पी लिया। इसके बाद, वह व्यक्ति खुद पेट दर्द से तड़पने लगा।

स्वामी रामकृष्ण परमहंस से मुलाकात

तैलंग स्वामी (Tailang Swami Biography in Hindi) के जीवन में कई महान संतों और योगियों का प्रवेश हुआ। एक बार, स्वामी रामकृष्ण परमहंस काशी आए और उन्होंने तैलंग स्वामी से मुलाकात की। स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने तैलंग स्वामी के बारे में कहा, “ये साक्षात शिव हैं, काशी के सचल महादेव।” रामकृष्ण परमहंस ने तैलंग स्वामी को उच्चतम ज्ञान और तपस्या के प्रतीक के रूप में देखा। उन्होंने यह माना कि तैलंग स्वामी की उपस्थिति से काशी की आध्यात्मिकता और अधिक चमक रही थी।

तैलंग स्वामी की दिव्य साधना

तैलंग स्वामी (Tailang Swami Biography in Hindi) की साधना ने यह सिद्ध कर दिया कि यदि व्यक्ति का मन और आत्मा साधना में पूरी तरह से लीन हो जाए, तो वह किसी भी भौतिक या मानसिक बाधा को पार कर सकता है। उन्होंने अपने जीवन में इंद्रियों पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त किया था और देह के बोध से ऊपर उठकर वे आत्मज्ञान की सर्वोत्तम स्थिति को प्राप्त कर चुके थे। वे बिना भोजन-पानी के कई दिनों तक रह सकते थे, और उनकी शारीरिक अवस्था भी उनके आत्मबल की प्रतीक थी।

महा समाधि

26 दिसंबर 1887 को तैलंग स्वामी (Tailang Swami Biography in Hindi) ने महा समाधि ली। इस समय तक वे वाराणसी के पंचगंगा घाट, हनुमान घाट, और दशाश्वमेध घाट पर निवास करते थे। उनकी समाधि आज भी पंचगंगा घाट पर स्थित है, जहाँ लोग उनकी समाधि पर जाकर आध्यात्मिक शांति प्राप्त करते हैं।

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तैलंग स्वामी का जीवन और धरोहर

तैलंग स्वामी (Tailang Swami Biography in Hindi) का जीवन यह साबित करता है कि तपस्या और साधना के माध्यम से कोई भी व्यक्ति अपनी आत्मा को परम ज्ञान से परिचित कर सकता है। उन्होंने दुनिया को यह सिखाया कि शरीर और भौतिक जगत से ऊपर उठकर अगर हम आत्मा की शक्ति को पहचान लें, तो हर कार्य में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। आज भी तैलंग स्वामी की समाधि स्थल पर लोग उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आते हैं और उनके जीवन से प्रेरणा लेते हैं।

उनका जीवन एक उदाहरण है कि हम अपनी आत्मा की गहराइयों में जाकर अपने असल उद्देश्य को पहचान सकते हैं और जीवन को एक उच्च स्तर पर जी सकते हैं। तैलंग स्वामी का जीवन एक अविस्मरणीय यात्रा है जो आज भी हमारे बीच जीवित है।