World’s Oldest Religion : दुनिया का सबसे पुराना धर्म कौन सा है? हिन्दू धर्म या बौद्ध धर्म
World’s Oldest Religion : धर्मों का इतिहास सदा से ही जिज्ञासा का विषय रहा है, और विशेष रूप से भारत के दो प्रमुख धर्म—सनातन धर्म (जिसे आज हिंदू धर्म के रूप में भी जाना जाता है) (Hinduism) और बौद्ध धर्म (Buddhism) को लेकर यह जिज्ञासा और अधिक गहरी हो जाती है। इन दोनों धर्मों के अनुयायी अपने-अपने धर्म को अधिक प्राचीन मानते हैं। इस आर्टिकल में हम ऐतिहासिक, पुरातात्विक और साहित्यिक साक्ष्यों के आधार पर इस विषय पर गहन चर्चा करेंगे और इस प्रश्न का उत्तर खोजने का प्रयास करेंगे कि इनमें से कौन सा धर्म (World’s Oldest Religion) पहले आया।
सनातन धर्म का इतिहास
सनातन धर्म (Hinduism) का इतिहास अत्यंत प्राचीन (World’s Oldest Religion) है। इस धर्म की उत्पत्ति का आरंभ वैदिक काल से माना जाता है। ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, और अथर्ववेद, ये चार वेद इस धर्म के प्राचीनतम ग्रंथ माने जाते हैं। इन ग्रंथों में न केवल आध्यात्मिक शिक्षाएं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक नियम भी मिलते हैं।
वेदों में 33 कोटि (अर्थात् प्रकार के) देवताओं का उल्लेख मिलता है, जो दर्शाता है कि यह धर्म (Hinduism) देवताओं की पूजा और अनेक अनुष्ठानों से समृद्ध था। बौद्ध धर्म के त्रिपिटक ग्रंथों में भी कई बार वैदिक संस्कृति का उल्लेख मिलता है, जैसे कि महाजनपद काल के कोशल नरेश प्रसेनजित, जो गौतम बुद्ध के समय के राजा थे, उनका संवाद और उनके द्वारा वैदिक मान्यताओं का अनुसरण करना।
बौद्ध धर्म का उद्भव और इतिहास
बौद्ध धर्म (Buddhism) की स्थापना लगभग 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व में गौतम बुद्ध द्वारा की गई थी। उन्होंने कर्मकांड, जातिवाद और वर्गभेद का विरोध करते हुए एक नए धर्म की शुरुआत की, जो केवल सत्य, करुणा और अहिंसा पर आधारित था। बुद्ध की शिक्षाओं में किसी एक परमात्मा का वर्णन नहीं है, बल्कि उन्होंने लोगों को अपने भीतर के सत्य को खोजने की प्रेरणा दी।
बौद्ध धर्म के त्रिपिटक ग्रंथों में भी वैदिक परंपराओं और उनके अनुयायियों का उल्लेख मिलता है। इससे यह पता चलता है कि गौतम बुद्ध ने जिस धार्मिक व्यवस्था में सुधार की कोशिश की, वह पहले से ही अस्तित्व में थी। अतः इससे यह भी संकेत मिलता है कि सनातन धर्म बौद्ध धर्म से पुराना है।
साहित्यिक साक्ष्य
वेदों और त्रिपिटकों में समानता: बौद्ध धर्म के सूत्र पिटक के मंझिम निकाय के कनकट थला सूत्र में 33 कोटि देवी-देवताओं का उल्लेख मिलता है, जो वैदिक परंपरा का प्रतीक है। इस तथ्य से यह सिद्ध होता है कि बौद्ध धर्म के अनुयायी भी वैदिक संस्कृति के प्रभाव में थे और इन मान्यताओं को वे जानते थे। इसके अलावा, वैदिक साहित्य के साथ-साथ त्रिपिटक ग्रंथों में भी ब्राह्मणों, क्षत्रियों आदि के वर्णों का उल्लेख मिलता है, जोकि वैदिक वर्ण व्यवस्था का भाग है।
वर्ण व्यवस्था: बौद्ध धर्म में वर्ण व्यवस्था के प्रति विरोध का स्वरुप गौतम बुद्ध के उपदेशों में मिलता है। बुद्ध ने जाति या जन्म आधारित भेदभाव का विरोध किया, जबकि यह व्यवस्था सनातन धर्म (World’s Oldest Religion) में प्राचीन समय से विद्यमान थी। बुद्ध के समय में वैदिक वर्ण व्यवस्था विद्यमान थी, जो यह संकेत करता है कि वैदिक संस्कृति उनके समय से पूर्व की है।
पुरातात्विक साक्ष्य
भारत में कई प्राचीन स्थल, जैसे मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, और अन्य प्राचीन सभ्यताओं के पुरातात्विक साक्ष्य, वैदिक परंपराओं की गवाही देते हैं। हालांकि बौद्ध धर्म का प्रसार बहुत हुआ और इसके अंतर्गत अनेक स्तूपों का निर्माण हुआ, लेकिन अधिकांश बौद्ध धार्मिक संरचनाएं और स्तूप गौतम बुद्ध के समय के बाद के हैं। सम्राट अशोक के शासनकाल में बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार हुआ और विभिन्न स्तूपों और मठों का निर्माण हुआ, परंतु वैदिक सभ्यता (World’s Oldest Religion) के अवशेष इससे भी पहले के हैं।
उदाहरण के लिए, प्राचीन वैदिक संस्कृति के प्रतीक माने जाने वाले ‘यज्ञ कुंड’ और ‘देवालय’ का उल्लेख हजारों साल पुराने ग्रंथों में मिलता है, जबकि बौद्ध स्तूपों का निर्माण सम्राट अशोक के शासनकाल के दौरान हुआ। इससे यह सिद्ध होता है कि वैदिक परंपरा और संस्कार बौद्ध धर्म से पहले के हैं।
बौद्ध धर्म के ग्रंथों में वैदिक संस्कृति का वर्णन
बौद्ध ग्रंथ त्रिपिटक में कई बार वैदिक संस्कृति का उल्लेख मिलता है, जिसमें वैदिक ऋषि, मंत्र, और देवताओं का वर्णन है। उदाहरण के लिए, मंझिम निकाय के सेल सूत्र में एक ब्राह्मण का उल्लेख है जो तीन वेदों का ज्ञाता था और 300 अन्य ब्राह्मणों को वैदिक मंत्रों की शिक्षा देता था। गौतम बुद्ध ने भी वैदिक ऋषियों और मंत्रों का उल्लेख करते हुए यह माना कि वैदिक धर्म (World’s Oldest Religion) उनके समय से पहले अस्तित्व में था।
ऐतिहासिक प्रमाण और सम्राट अशोक का योगदान
सम्राट अशोक, जो मौर्य वंश के एक प्रमुख सम्राट थे, ने बौद्ध धर्म को राज्य धर्म के रूप में अपनाया और उसके प्रचार-प्रसार के लिए व्यापक रूप से प्रयास किए। अशोक का राज्य काल बौद्ध धर्म के प्रसार का स्वर्ण काल माना जाता है, लेकिन इससे यह प्रमाणित नहीं होता कि बौद्ध धर्म सनातन धर्म (World’s Oldest Religion) से पुराना था।
बौद्ध ग्रंथों में अशोक के समय का वर्णन अधिकतर अतिशयोक्ति और मिथ्या कथाओं पर आधारित है। उदाहरण के लिए, दिव्यावदान ग्रंथ में अशोक द्वारा अपने 99 भाइयों की हत्या का वर्णन किया गया है, जो कि ऐतिहासिक साक्ष्य द्वारा असत्य सिद्ध हो चुका है। इससे पता चलता है कि बौद्ध ग्रंथों में कई अतिशयोक्तिपूर्ण विवरण भी हैं, जिनसे स्पष्ट रूप से ऐतिहासिक सत्यता का आकलन कठिन हो जाता है।
बौद्ध धर्म पर सनातन धर्म का प्रभाव
इतिहास में यह आरोप भी लगाया जाता है कि सनातन धर्म (World’s Oldest Religion) के अनुयायियों ने बौद्ध धर्म पर अत्याचार किए। पुष्यमित्र शुंग का नाम विशेष रूप से इस संदर्भ में लिया जाता है। बौद्ध ग्रंथ दिव्यावदान में उल्लेख मिलता है कि पुष्यमित्र शुंग ने 84,000 स्तूपों को नष्ट करने का आदेश दिया था। परंतु, ऐतिहासिक साक्ष्य पुष्यमित्र के शासनकाल में कई बौद्ध स्तूपों के निर्माण की पुष्टि करते हैं, जैसे कि सांची का स्तूप, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सभी कथाएं ऐतिहासिक प्रमाणों पर आधारित नहीं हैं।
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निष्कर्ष
इतिहास और साहित्यिक साक्ष्यों के आधार पर कहा जा सकता है कि सनातन धर्म (World’s Oldest Religion), जो कि वैदिक परंपराओं पर आधारित है, बौद्ध धर्म से पुराना है। यह भी ध्यान में रखने योग्य है कि बौद्ध धर्म का उद्भव एक सुधारवादी धर्म के रूप में हुआ था। गौतम बुद्ध ने उस समय के ब्राह्मणवादी समाज और कर्मकांडों का विरोध किया और एक सरल एवं स्पष्ट जीवन शैली की शिक्षा दी।
सनातन धर्म (World’s Oldest Religion) और बौद्ध धर्म दोनों ने भारतीय संस्कृति और सभ्यता को समृद्ध किया है। इन दोनों ही धर्मों की शिक्षाएं और आदर्श हमारे समाज में सहिष्णुता, प्रेम और करुणा का प्रसार करते हैं।