Third Eye Chakra in Hindi : तीसरी आँख का रहस्य | जानें क्या कहता है आज का Science और सनातन धर्म
Third Eye Chakra in Hindi : सनातन धर्म के ग्रंथों में भगवान शिव को हमेशा तीसरी आँख के साथ दिखाया गया है। कहा जाता है कि शिव की तीसरी आँख गहरा ज्ञान और जागरूकता का प्रतीक है। यह आंख उनके माथे पर स्थित होती है, जो जीवन के गहरे रहस्यों को दर्शाने और उनके नियंत्रण का प्रतीक मानी जाती है। आज विज्ञान भी इस ‘तीसरी आँख’ की खोज में जुटा है और यह जानने का प्रयास कर रहा है कि यह केवल एक प्रतीक है या वाकई में हमारे भीतर ऐसी कोई शक्ति मौजूद है।
विज्ञान (Science) में तीसरी आँख
आधुनिक विज्ञान (Modern Science) ने भी मानव शरीर में एक संरचना की खोज की है, जिसे पीनियल ग्लैंड कहा जाता है। यह मस्तिष्क के बीच में स्थित एक छोटी ग्रंथि है, जिसे विज्ञान में भी ‘तीसरी आँख’ (Third Eye Chakra in Hindi) का उपनाम दिया गया है। पीनियल ग्लैंड दो प्रकार के हार्मोन छोड़ता है:
- मेलाटोनिन – जो हमारी नींद और जागने की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है।
- सेरोटोनिन – जिसे “फील गुड हार्मोन” कहा जाता है क्योंकि यह हमारी खुशी और आनंद को प्रभावित करता है।
पीनियल ग्लैंड के इन कार्यों को देखकर यह अनुमान लगाया जाता है कि शायद प्राचीन काल में हमारे पूर्वजों ने इसे ‘तीसरी आँख’ के रूप में जाना और इसे जागृत करने की विधियाँ विकसित कीं।
योग विज्ञान में तीसरी आँख
योग विज्ञान के अनुसार, हमारे शरीर में सात मुख्य चक्र होते हैं, जिनमें से आज्ञा चक्र को तीसरी आँख (Third Eye Chakra in Hindi) का स्थान माना जाता है। यह चक्र दोनों भौहों के बीच में स्थित होता है और इसे आध्यात्मिक जागरूकता, अंतर्ज्ञान और उच्च चेतना का द्वार माना जाता है।
योग में कई साधनाएँ और ध्यान की विधियाँ बताई गई हैं, जिनसे हम इस चक्र को जागृत कर सकते हैं। जब यह चक्र पूरी तरह से सक्रिय हो जाता है, तो व्यक्ति सभी काम, वासनाओं और अंतहीन इच्छाओं से मुक्त हो जाता है और एक उच्च आत्मिक स्थिति प्राप्त कर लेता है। शिव का ‘कामदेव को भस्म करना‘ इसी का एक उदाहरण है, जो बताता है कि कैसे योगिक प्रक्रियाओं द्वारा तीसरी आँख जागृत करने पर काम वासना का अंत हो सकता है।
श्रीमद्भगवद गीता में तीसरी आँख
भगवद गीता के पांचवें अध्याय के श्लोक 27-28 में भगवान श्रीकृष्ण भी अर्जुन को सलाह देते हैं कि वे अपने दोनों भौहों के मध्य, यानि तीसरी आँख के स्थान पर ध्यान केंद्रित करें। यह इस बात का संकेत है कि प्राचीन ग्रंथों में भी इस ‘तीसरी आँख’ (Third Eye Chakra in Hindi) का ज्ञान और इसके जागरण की प्रक्रिया का उल्लेख मिलता है।
क्या पीनियल ग्लैंड ही तीसरी आँख है?
विज्ञान (Science) अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं कर पाया है कि पीनियल ग्लैंड ही तीसरी आँख (Third Eye Chakra in Hindi) है, परंतु इसके कार्य और इसकी संरचना इसे तीसरी आँख का सबसे उपयुक्त दावेदार बनाते हैं। शोध के अनुसार, पीनियल ग्लैंड बच्चों के जीवन के आरंभिक वर्षों में सबसे अधिक सक्रिय रहता है, और यहीं से जीवन के अनुभव और यौन इच्छाएँ नियंत्रित होती हैं। इसके बाद, जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, यह ग्रंथि धीरे-धीरे निष्क्रिय होने लगती है और व्यक्तियों की काम इच्छाएँ बढ़ने लगती हैं।
जानवरों में भी पीनियल ग्लैंड
यह एक दिलचस्प तथ्य है कि जीवों में भी पीनियल ग्लैंड की संरचना देखने को मिलती है। कुछ रेंगने वाले जीवों में यह एक तीसरी आँख (Third Eye Chakra in Hindi) के समान होती है, और इसे ‘पैरिएटल आई‘ कहा जाता है। यह ग्लैंड कॉर्निया, लेंस और रेटिना जैसी संरचना रखती है और पतली त्वचा से ढकी होती है। यह दर्शाता है कि शायद मानवों में भी यह कभी एक सक्रिय तीसरी आँख (Third Eye Chakra in Hindi) के रूप में कार्य करता था, जो धीरे-धीरे आज के पीनियल ग्लैंड के रूप में विकसित हो गई है।
डार्विन का विकासवाद का सिद्धांत कहता है कि सभी जीव-जंतु एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और विकास के क्रम में हमारी संरचना बदलती रहती है। सनातन धर्म में भी दशावतार का सिद्धांत विकासवाद से मेल खाता है, जैसे कि मत्स्य अवतार, जो जल में रहता था, और कूर्म अवतार जो जल और भूमि दोनों में रहता था। यह सिद्धांत बताता है कि मनुष्य धीरे-धीरे इन्हीं जीवों से विकसित होकर आज की स्थिति में पहुँचा है।
पीनियल ग्लैंड पर नियंत्रण
योग और ध्यान का अभ्यास करने से पीनियल ग्लैंड को फिर से सक्रिय किया जा सकता है, जिससे व्यक्ति की सेक्सुअल डिजायर में कमी आ सकती है और उसकी ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बढ़ सकती है। इसीलिए विद्यार्थियों को ध्यान करते समय अपनी दोनों भौहों के बीच (Third Eye Chakra in Hindi) ध्यान लगाने की सलाह दी जाती है, ताकि वे पढ़ाई पर बेहतर तरीके से ध्यान केंद्रित कर सकें।
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विज्ञान और सनातन संस्कृति
यह देखना अत्यंत रोमांचक है कि जिस प्रकार विज्ञान (Science) आज हमारे शरीर और ब्रह्मांड के रहस्यों को समझने का प्रयास कर रहा है, उसी तरह से हमारे सनातन ग्रंथों में भी गहरे ज्ञान का भंडार है। सनातन धर्म केवल आस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें गणित, विज्ञान, दर्शन और जीवन के अन्य पहलुओं का भी समावेश है। हमारी संस्कृति में यह हमेशा माना गया है कि धर्म केवल एक बाहरी ढांचा नहीं, बल्कि आत्मज्ञान और जीवन के रहस्यों की खोज का मार्ग है।
आशा है कि आपको इस लेख से ‘तीसरी आँख’ (Third Eye Chakra in Hindi) के रहस्य और उसके महत्व के बारे में गहरी समझ मिली होगी। अपने जीवन में ध्यान और योग को अपनाकर आप भी इस ‘तीसरी आँख’ को जागृत कर सकते हैं।