अंतर्जातीय विवाह (Intercaste Marriage) सही है या गलत? जाने क्या कहता है आज का विज्ञान

Science behind Intercaste Marriages

अंतर्जातीय विवाह (Intercaste Marriage) सही है या गलत? जाने क्या कहता है आज का विज्ञान

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो विवाह न केवल समाजिक या सांस्कृतिक प्रक्रिया है, बल्कि इसका संबंध हमारी आने वाली पीढ़ी के स्वास्थ्य और जेनेटिक संरचना से भी है। 2017 में एक महत्वपूर्ण अध्ययन हैदराबाद के सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलीक्यूलर बायोलॉजी (CCMB) में किया गया। इस शोध में 17 वैज्ञानिकों ने 2800 लोगों का जीनोम डेटा का विश्लेषण किया, जो 260 अलग-अलग कम्युनिटी से थे, जिनमें से 80% भारत से संबंधित थे।  

 शोध से प्राप्त निष्कर्ष  

इस शोध का मुख्य उद्देश्य यह जानना था कि क्या समान जाति में शादी करने वाले लोगों की तुलना में अंतर्जातीय विवाह (Intercaste Marriage) करने वाले लोगों के बच्चों में कोई विशेष फर्क होता है? और परिणाम काफी चौंकाने वाले थे।  

1. जेनेटिक विकारों का खतरा कम  

शोध के अनुसार, जो लोग समान जाति या समुदाय के भीतर विवाह करते हैं, उनके बच्चों में  जेनेटिक विकारों का खतरा अधिक पाया गया। इसके विपरीत, जिन लोगों ने अंतर्जातीय विवाह (Intercaste Marriage) किया था, उनके बच्चों में यह संभावना बहुत कम देखी गई। इसका मुख्य कारण यह है कि समान जाति या समुदाय के लोग कई बार एक जैसी जेनेटिक संरचना साझा करते हैं, जिससे कुछ विशिष्ट विकार पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ सकते हैं। अंतर्जातीय विवाह (Intercaste Marriage) से यह समस्या कम हो जाती है क्योंकि अलग-अलग जेनेटिक संरचना वाले लोगों का मिलन होता है, जो बीमारियों के विरुद्ध बेहतर प्रतिरोधक क्षमता विकसित करता है।

2. जेनेटिक विविधता का लाभ  

अंतर्जातीय विवाह (Intercaste Marriage) से उत्पन्न होने वाली संतानों में जेनेटिक विविधता अधिक होती है। इस विविधता के कारण, उनके शरीर में कई प्रकार की बीमारियों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह माना जाता है कि जेनेटिक विविधता हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाती है, जिससे शरीर बेहतर तरीके से विभिन्न रोगों का सामना कर पाता है।

3. आनुवंशिक बीमारियों की रोकथाम  

जेनेटिक विकार, जैसे कि डाउन सिंड्रोम या थैलेसीमिया जैसी बीमारियाँ, उन परिवारों में अधिक पाई जाती हैं जहाँ लोग समान जाति या गोत्र में शादी करते हैं। जब परिवार के लोग आपस में विवाह करते हैं, तो एक जैसे जीन एकत्रित हो जाते हैं, जिससे विकारों के आने की संभावना बढ़ जाती है। लेकिन अंतर्जातीय विवाह (Intercaste Marriage) से यह संभावना काफी हद तक कम हो जाती है, क्योंकि अलग-अलग जीन का संयोजन इन बीमारियों के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करता है।

समान गोत्र में विवाह का प्रतिबंध  

भारतीय परंपरा में समान गोत्र में विवाह करने की मनाही भी इसी कारण है। समान गोत्र के लोग सामान्यतः एक ही पूर्वज से संबंधित होते हैं, जिससे उनके जीन में समानता होती है। यदि वे आपस में विवाह करते हैं, तो आने वाली पीढ़ियों में आनुवंशिक बीमारियों के फैलने की संभावना बढ़ जाती है। इसी कारण से समान गोत्र में विवाह को गलत माना जाता है और अंतर्जातीय विवाह को प्रोत्साहित किया जाता है।

यह भी पढ़ें : Intercaste Marriage in Hinduism : शास्त्रों के अनुसार अंतर्जातीय विवाह करना कितना सही कितना गलत

अंतर्जातीय विवाह (Intercaste Marriage) के सामाजिक और मानसिक लाभ  

सिर्फ वैज्ञानिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी अंतर्जातीय विवाह के कई फायदे होते हैं। जब लोग अलग-अलग जाति या समुदाय से आते हैं और विवाह करते हैं, तो यह समाज में सांस्कृतिक विविधता और समाजिक एकता को बढ़ावा देता है। इससे मानसिक रूप से भी व्यक्ति को व्यापक दृष्टिकोण मिलता है, और समाज में आपसी सामंजस्य की भावना बढ़ती है।

क्या करें?  

अगर आपके परिवार में किसी प्रकार की आनुवंशिक बीमारी का इतिहास है, तो आपको कोशिश करनी चाहिए कि आप ऐसी जाति या समुदाय में विवाह करें जो आपके परिवार से अलग हो। इससे आने वाली पीढ़ी में उन बीमारियों के आने की संभावना कम हो जाती है। विज्ञान इस बात का समर्थन करता है कि अंतर्जातीय विवाह से आने वाली संतानों में बेहतर स्वास्थ्य और रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है।  

 निष्कर्ष  

अंतर्जातीय विवाह (Intercaste Marriage) न केवल सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका वैज्ञानिक आधार भी है। यह हमारे समाज और आने वाली पीढ़ी के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है। जब हम विज्ञान और परंपरा को संतुलित तरीके से समझते हैं, तो हम बेहतर निर्णय ले सकते हैं और एक स्वस्थ समाज का निर्माण कर सकते हैं।  

 

ऐसी ही और ज्ञानवर्धक जानकारी पाने के लिए "ज्ञानशाला" को FOLLOW करें...

Join 100 other subscribers