कुमार विश्वास और भगवान राम का चरित्र
रामायण, भारतीय संस्कृति का एक अमूल्य धरोहर है, और श्रीराम इसके केंद्रीय पात्र हैं। श्री राम का चरित्र और उनका जीवन हर युग में प्रेरणा का स्रोत रहा है। हिंदी कवि और वक्ता कुमार विश्वास (Kumar Vishwas) ने भी राम को अपने अनोखे दृष्टिकोण से देखा और प्रस्तुत किया है। उनके विचारों में राम का स्वरूप एक ऐसा आदर्श है, जो मानवता के सर्वोच्च सपनों को दर्शाता है।कुमार विश्वास (Kumar Viswas) के अनुसार, राम केवल एक ऐतिहासिक व्यक्ति नहीं हैं, बल्कि मनुष्यता के सबसे बड़े सपने का प्रतीक हैं। उनका कहना है कि राम के चरित्र में वह सच्चाई और आदर्श झलकते हैं, जिन्हें मानवता ने सदियों से अपने सपनों में देखा है। राम केवल अयोध्या के राजा नहीं हैं, बल्कि वे वह महान आदर्श हैं, जो हर इंसान के भीतर बसे हैं। उनकी दृष्टि में राम वह हैं, जिनकी जपना से जीवन अर्थवान हो जाता है।
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Toggleकुमार विश्वास (Kumar Vishwas) कहते हैं, “राम जिब्या वाणी अर्थवती हो गई, लगी जप जपने राम।” इसका अर्थ यह है कि राम का नाम जपने से ही जीवन की दिशा और दशा बदल जाती है।
राम का चरित्र : अभिनय में भगवान
कुमार विश्वास (Kumar Vishwas) ने राम के अभिनय को एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया है, जिसमें भगवान स्वयं भी अपने भगवान होने को भूल गए। उन्होंने उत्पल दत्त के एक अभिनय का उल्लेख करते हुए कहा कि एक सच्चा कलाकार वही होता है, जो अपने किरदार में इस तरह समा जाए कि लोग वास्तविकता और अभिनय में अंतर न कर सकें। राम का जीवन भी ऐसा ही है, जहां उन्होंने अपने भगवान होने का अभिनय किया, लेकिन इस अभिनय में वे इतने वास्तविक हो गए कि लोग उनके भगवान होने को भूल गए और वे स्वयं भी भूल गए कि वे भगवान हैं।
राम: सृष्टा और सृष्टि
कुमार विश्वास (Kumar Vishwas) राम को सृष्टा और सृष्टि दोनों के रूप में देखते हैं। उनके अनुसार, राम केवल सृष्टि के निर्माता नहीं हैं, बल्कि वे स्वयं सृष्टि भी हैं। उनके द्वारा रचित पंक्तियाँ “राम सृष्टा भी हैं और सृष्टि भी हैं” इस बात को और भी स्पष्ट करती हैं। यह विचारधारा हमें यह समझने में मदद करती है कि राम केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि सम्पूर्ण ब्रह्मांड के प्रतीक हैं।
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राम के आदर्श राज्य
रामराज्य का विचार भारतीय मानस में एक आदर्श शासन का प्रतीक है। कुमार विश्वास (Kumar Vishwas) ने वर्तमान समय के नेताओं और राज्य की तुलना रामराज्य से करते हुए कहा कि रामराज्य वह था, जहाँ राजा और प्रजा के बीच प्रेम और विश्वास का रिश्ता था। उन्होंने भरत के त्याग और तपस्या की भी चर्चा की और कहा कि रामराज्य में केवल भौतिक समृद्धि नहीं थी, बल्कि नैतिक और आध्यात्मिक उन्नति भी थी।
राम के विभिन्न रूप
कुमार विश्वास (Kumar Vishwas) ने राम के विभिन्न रूपों की भी चर्चा की है। वे कहते हैं कि राम का हर रूप एक अलग कहानी, एक अलग सीख देता है। वे राम को शबरी के झूठे बेर खाने वाले, जटायु के पुकार पर दौड़ने वाले और संकट में साथी का साथ देने वाले के रूप में देखते हैं। उनके लिए राम वह हैं, जिनका नाम लेने से पत्थर भी समुद्र पार कर जाता है। यह दृष्टिकोण दर्शाता है कि राम के हर रूप में एक अलग प्रकार की दैवीयता और मानवता का मेल है।
निष्कर्ष
कुमार विश्वास (Kumar Vishwas) की दृष्टि में भगवान राम का चरित्र एक आदर्श हैं, भगवान राम का प्रभाव मानवता पर सदियों से छाया हुआ है। राम के चरित्र में इतनी गहराई है कि वह हर युग, हर काल और हर व्यक्ति के लिए कुछ न कुछ सीखने का स्रोत है। राम केवल एक राजा, एक योद्धा, एक पति नहीं हैं, बल्कि वे वह आदर्श हैं, जो हर मनुष्य के भीतर बसे हैं। कुमार विश्वास (Kumar Vishwas) के शब्दों में राम एक ऐसा सपना हैं, जिसे हर इंसान अपने जीवन में देखता है, और यही राम की सबसे बड़ी विशेषता है।
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