Premanand Ji Maharaj : WWE पहलवान Rinku Rajput (Veer Mahaan) ने पूछा प्रेमानन्द जी महाराज से मनुष्य जीवन का सबसे बड़ा सवाल | मिला यह जवाब
Premanand Ji Maharaj : WWE पहलवान Rinku Rajput (Veer Mahaan) प्रेमानन्द जी महाराज से मनुष्य जीवन का सबसे बड़ा सवाल पूछते हैं जो है की मनुष्य भगवान की प्राप्ति कैसे कर सकता हैं जो की मानव जीवन का परम लक्ष्य है। यह वही अवस्था है, जब आत्मा अपने मूल स्रोत से जुड़ जाती है। WWE रेसलर वीर महान (रिंकू राजपूत) ने भगवत प्राप्ति पर प्रेमानंद जी महाराज से यह विशेष प्रश्न किया। इस संवाद में महाराज जी ने साधना, भजन, और माया को त्यागने का महत्व समझाया। इस ब्लॉग में, हम इस अद्भुत वार्ता के सार को गहराई से समझने की कोशिश करेंगे और जानेंगे कि किस प्रकार भगवत प्राप्ति ही मानव जीवन का सर्वोच्च उद्देश्य है।
1. जीवन का वास्तविक अर्थ
प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) ने कहा कि नाम, यश और धन का अर्जन केवल सांसारिक लाभ हैं। यदि हमने भगवान को नहीं जाना, तो जीवन व्यर्थ है। उन्होंने उदाहरण दिया कि यदि कोई राम-कृष्ण जैसे देवताओं को याद नहीं करता, तो जीवन का सार खो जाता है।
सांसारिक उपलब्धियां, चाहे वे कितनी भी बड़ी क्यों न हों, नश्वर हैं। जीवन का असली लाभ आत्मा की परमात्मा से एकात्मकता है। महाराज ने यह भी कहा कि जब हमारी सामाजिक प्रतिष्ठा स्थापित हो जाती है, तो हमें परलोक की तैयारी करनी चाहिए।
2. माया का जाल और उससे मुक्त होने का मार्ग
प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) ने माया को सबसे बड़ा बाधक बताया। माया का अर्थ है सांसारिक मोह, जो हमें सत्य से दूर ले जाता है। उन्होंने समझाया:
– यश और कीर्ति की एक ‘लेवल’ होती है, और उस पर पहुंचने के बाद व्यक्ति उतर नहीं पाता।
– माया के लिए लोग हर संभव प्रयास करते हैं, लेकिन अंत में यही माया उन्हें पराजित कर देती है।
भगवान की प्राप्ति के लिए माया को पछाड़ना अनिवार्य है। माया से परे जाने के लिए भजन, साधना, और तपस्या का सहारा लेना चाहिए।
3. भजन और साधना का महत्व
महाराज (Premanand Ji Maharaj) ने वीर महान को भजन और साधना पर जोर देने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा:
– “नाम जप से सब मंगल हो जाएगा। धीरे-धीरे मन बदल जाएगा।”
– भजन में लगने से जीवन में शांति और आनंद का अनुभव होता है।
महाराज ने यह भी बताया कि माया के भोग-विलास में रहते हुए भगवत प्राप्ति की सोच रखना एक महान बात है। इससे सिद्ध होता है कि भगवान की कृपा उस व्यक्ति पर है।
4. भगवत प्राप्ति की साधना का मार्ग
महाराज (Premanand Ji Maharaj) ने भगवत प्राप्ति के लिए चार मुख्य तत्व बताए:
1. नाम जप: नाम जप को भगवान तक पहुंचने का सबसे सरल और प्रभावी साधन बताया गया।
2. सत्संग: सत्संग से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है और मन भगवान की ओर आकर्षित होता है।
3. त्याग और संयम: सांसारिक वस्तुओं का त्याग और संयम भगवत प्राप्ति के लिए आवश्यक हैं।
4. निष्ठा और विश्वास: भगवत प्राप्ति के लिए अटल निष्ठा और विश्वास चाहिए।
5. भगवत प्राप्ति और वीरता
प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) ने वीर महान को ‘सच्चे वीर’ की परिभाषा समझाई:
– सच्चा वीर वह है जो माया, काम, क्रोध, लोभ, और मोह जैसे आंतरिक शत्रुओं को परास्त करता है।
– महाराज ने बताया कि जो मां के गर्भ में दोबारा न आए, वही महावीर है।
भगवत प्राप्ति के लिए वीरता का मतलब है आत्मसंयम और भगवान के नाम का सहारा लेना।
6. आध्यात्मिक बल और भौतिक बल में अंतर
महाराज (Premanand Ji Maharaj) ने आध्यात्मिक बल को भौतिक बल से अधिक महत्वपूर्ण बताया। भौतिक बल से बाहरी शत्रुओं को हराया जा सकता है, लेकिन आत्मा के शत्रुओं को हराने के लिए आध्यात्मिक बल चाहिए।
– यह बल नाम जप और भजन से प्राप्त होता है।
– उन्होंने कहा, “जितना नाम जप करोगे, उतनी ही आंतरिक शक्ति का अनुभव होगा।”
7. आत्मा और परमात्मा का संबंध
महाराज (Premanand Ji Maharaj) ने आत्मा और परमात्मा को सागर और तरंग के रूप में समझाया। उन्होंने कहा:
– “हम भगवान के अंश हैं। हमें उन्हें ही अपने भीतर और बाहर देखना है।”
– “भगवान हमारे सच्चे स्वामी हैं, और हमें उन्हें याद करना चाहिए।”
8. प्रेरणा और निष्कर्ष
प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) ने वीर महान को प्रेरित किया कि वे अपने यश और कीर्ति के साथ भगवान की ओर बढ़ें। उन्होंने यह भी कहा कि संत बनने के लिए विशेष भेषभूषा की आवश्यकता नहीं है। सच्चा संत वह है, जिसका आचरण और उद्देश्य भगवान की ओर हो।
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निष्कर्ष
प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) का संदेश स्पष्ट है: सांसारिक उपलब्धियां क्षणिक हैं, लेकिन भगवत प्राप्ति स्थायी और शाश्वत है। नाम जप, सत्संग, और भजन से जीवन में शांति और आनंद का अनुभव किया जा सकता है। वीर महान जैसे व्यक्तित्वों को माया से परे जाकर भगवान की ओर बढ़ना चाहिए, क्योंकि यही मानव जीवन का सर्वोच्च उद्देश्य है।
जय श्री राधे!