प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) के अनुसार, मन को नियंत्रित करने के लिए नियम पालन अनिवार्य है। दिनचर्या में अनुशासन और समय की पाबंदी से मन शांत रहता है। धर्म और कर्तव्य पालन से जीवन में सच्चा सुख और शांति मिलती है। व्यापार और जीवन में ईमानदारी महत्वपूर्ण है, और अधर्म से अर्जित धन से शांति नहीं मिलती। शिक्षकों का दायित्व है कि वे विद्यार्थियों को सही दिशा दिखाएं। समाज में सुधार के लिए धर्म और सत्य का पालन आवश्यक है। महापुरुषों के वचन मानकर जीवन जीने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है और जीवन सुखमय होता है।
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नियम पालन का महत्व:
- महर्षि उड़िया बाबा के अनुसार, मन को नियंत्रित करने के लिए नियम पालन आवश्यक है।
- दिनचर्या में अनुशासन बनाए रखने से मन नियंत्रित रहता है, जैसे समय पर उठना और सोना।
- नियमों का पालन परमात्मा देखते हैं, और यह हमारे देश की दुर्दशा का कारण भी है कि हम नियमों का पालन नहीं करते।
धर्म और कर्तव्य:
- जीवन में धर्म और कर्तव्य का पालन अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- समाज और राष्ट्र सेवा में धर्म और सत्य का पालन अनिवार्य है।
- अधर्म और बेईमानी से अर्जित धन से भजन या माला फेरने का कोई लाभ नहीं होता।
व्यवसाय और सत्य:
- व्यापार में ईमानदारी और सत्य का पालन करना चाहिए।
- झूठ बोलकर या मिलावट करके धन कमाने से बुद्धि भ्रष्ट होती है और जीवन में कष्ट आते हैं।
शिक्षा और नैतिकता:
- विद्यार्थियों को सही शिक्षा और नैतिकता सिखाने की जिम्मेदारी शिक्षकों की है।
- अगर नई पीढ़ी को सही दिशा नहीं दी गई, तो उनका पूरा जीवन बर्बाद हो सकता है।
अधर्म का प्रभाव:
- अधर्म और अनैतिक कार्यों से अर्जित धन से जीवन में शांति नहीं मिलती।
- धर्मपूर्वक अर्जित धन से प्राप्त भजन और भगवान की कृपा से जीवन में सुख और शांति आती है।
समाज में सुधार:
- समाज को अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए और धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए।
- महापुरुषों के वचन का पालन करने से समाज में सुधार और सुख की प्राप्ति होगी।
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प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharajका संदेश स्पष्ट है कि सच्चा सुख और शांति धर्म, सत्य और कर्तव्यपालन में है। अधर्म और अनैतिकता से बचते हुए नियमपूर्वक जीवन जीने से ही भगवान की कृपा प्राप्त होती है।