पाचन शक्ति कैसे बढ़ाए? सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने बताए 4 सरल उपाय
पाचन शक्ति कैसे बढ़ाएं : सद्गुरु , योग और ध्यान के माध्यम से स्वास्थ्य और जीवन जीने की कला सिखाते हैं। उनके अनुसार, सही भोजन का चुनाव और उसका उचित पाचन हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यहां हम उनके द्वारा दिए गए मुख्य टिप्स को विस्तार से जानेंगे, जो हमारे पाचन और समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायक हो सकते हैं।
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Toggle1.संतुलित आहार का महत्व
सद्गुरु बताते हैं कि पाचन शक्ति बढ़ाने में भोजन का हमारे पाचन तंत्र पर गहरा प्रभाव होता है। जो हम खाते हैं, वही हमारी ऊर्जा, सोच और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। आहार को सत्व, रजस और तमस में बांटा जाता है। तामसिक भोजन, यानी वह भोजन जो हमें सुस्त और आलसी बनाता है, से बचना चाहिए। इसके विपरीत, सत्विक भोजन जैसे ताजे फल, सब्जियां और अनाज हमें ऊर्जावान और शारीरिक रूप से स्वस्थ बनाए रखते हैं। अतः सद्गुरु के अनुसार, हमें अपने भोजन का चयन बहुत सोच-समझकर करना चाहिए ताकि वह हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को उन्नत कर सके।
2.भोजन और पाचन प्रक्रिया का तालमेल
सद्गुरु बताते हैं कि पाचन शक्ति बढ़ाने के लिए भोजन का पाचन तंत्र के साथ सही तालमेल आवश्यक है। वे कहते हैं कि भोजन को कभी भी जरूरत से ज्यादा देर तक नहीं रखना चाहिए। योगिक परंपरा के अनुसार, पका हुआ भोजन 90 मिनट के भीतर खा लेना चाहिए, इसके बाद उसका पोषण मूल्य घटने लगता है और तामसिक गुण उत्पन्न हो सकते हैं। लंबे समय तक रखे हुए भोजन से सुस्ती और जड़त्वाघूर्ण उत्पन्न होती है, जिससे न सिर्फ शारीरिक ऊर्जा कम होती है, बल्कि मानसिक चेतना भी प्रभावित होती है। अतः सद्गुरु इस बात पर जोर देते हैं कि हमें ताजा और तुरंत बना हुआ भोजन करना चाहिए ताकि हमारा पाचन तंत्र बेहतर तरीके से काम कर सके।
3.विरुद्ध आहार से बचें
सद्गुरु के अनुसार, विरुद्ध आहार यानी ऐसा भोजन जिसमें परस्पर विरोधी तत्व हों, शरीर में समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। उदाहरण के लिए, भारी फैट वाले मांस के साथ चावल और घी जैसे तत्व मिलाने से पाचन शक्ति पर अत्यधिक दबाव पड़ता है। यह शरीर के अंदर एक प्रकार का संघर्ष उत्पन्न करता है, जिससे ऊर्जा का स्तर घटता है और मानसिक और शारीरिक रूप से अस्वस्थ महसूस होता है। इसलिए, सद्गुरु सुझाव देते हैं कि हमें अपने आहार में ऐसे तत्वों से बचना चाहिए, जो एक-दूसरे के विपरीत काम करते हों, ताकि शरीर में आंतरिक शांति और ऊर्जा का संतुलन बना रहे।
4.खाली पेट रहने का महत्व
सद्गुरु का मानना है कि खाली पेट रहना न सिर्फ पाचन शक्ति के लिए बल्कि मानसिक स्पष्टता के लिए भी महत्वपूर्ण है। जब हमारा पेट खाली होता है, तो शरीर की सभी प्रक्रियाएं बेहतर ढंग से काम करती हैं। सद्गुरु के अनुसार, भोजन पेट में दो से ढाई घंटे से अधिक समय तक नहीं रहना चाहिए। जब पेट खाली होता है, तो शरीर स्वाभाविक रूप से शुद्धिकरण की प्रक्रिया शुरू करता है, जिससे न केवल शरीर की ऊर्जा बढ़ती है बल्कि मानसिक स्पष्टता और एकाग्रता भी बढ़ती है। खाली पेट रहने से शरीर अपने प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखता है और पाचन प्रक्रिया भी सहज होती है।
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निष्कर्ष
सद्गुरु के अनुसार, हमारा आहार हमारे जीवन का एक प्रमुख आधार है, और पाचन शक्ति के प्रति हमारी समझ और ध्यान हमारे स्वास्थ्य को सीधा प्रभावित करता है। संतुलित, ताजा और सत्विक भोजन का सेवन, विरुद्ध आहार से बचाव, और समय-समय पर खाली पेट रहना ये सभी महत्वपूर्ण उपाय हैं, जो न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को उन्नत करते हैं बल्कि मानसिक शांति और चेतना को भी बढ़ावा देते हैं। इसलिए, सद्गुरु द्वारा दिए गए इन आहार और पाचन संबंधी सुझावों को अपने जीवन में अपनाकर हम अपने जीवन को अधिक स्वास्थ्यवर्धक और आनंदपूर्ण बना सकते हैं।