Neem Karoli Baba को विदेशों में विख्यात करने वाले प्रोफेसेर Richard Alpert की कहानी | Ram Dass Biography in Hindi

Neem Karoli Baba को विदेशों में विख्यात करने वाले प्रोफेसेर Richard Alpert की कहानी | Ram Dass Biography in Hindi

Neem Karoli Baba को विदेशों में विख्यात करने वाले प्रोफेसेर Richard Alpert की कहानी | Ram Dass Biography in Hindi

नीम करौली बाबा (Neem Karoli Baba) और कैंची धाम (Kainchi Dham) को विदेशों में विख्यात करने वाले रामदास, जिन्हें जन्म के समय रिचर्ड अल्पर्ट (Richard Alpert) के नाम से जाना जाता था, का जन्म 6 अप्रैल 1931 को अमेरिका के मैसाचुसेट्स राज्य के बोस्टन (Boston, Massachusetts, U.S.) शहर में हुआ। उनके पिता, जॉर्ज अल्पर्ट, एक प्रसिद्ध वकील और समाज में प्रतिष्ठित व्यक्ति थे। जॉर्ज अल्पर्ट यहूदी परंपराओं को मानते थे, लेकिन रिचर्ड अपने बचपन से ही किसी धर्म विशेष को मानने में रुचि नहीं रखते थे। उन्होंने अपने पिता के अनुशासन और ईमानदारी से प्रेरणा ली, लेकिन जीवन के आध्यात्मिक पक्ष से उनका कोई सरोकार नहीं था।

शिक्षा और शुरुआती करियर

रिचर्ड अल्पर्ट बचपन से ही बुद्धिमान और पढ़ाई में उत्कृष्ट थे। उन्होंने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से मनोविज्ञान में पीएचडी की उपाधि 1957 में प्राप्त की। इसके बाद 1958 में उन्हें हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया गया। यहाँ उन्होंने मनोविज्ञान के क्षेत्र में कई शोध किए और अपनी पहली किताब “Identification and Child Rearing” प्रकाशित की।

हार्वर्ड में, उनकी मुलाकात टिमोथी लेरी से हुई, जो साइकेडेलिक ड्रग्स पर शोध कर रहे थे। इस अनुसंधान ने रिचर्ड के जीवन की दिशा को पूरी तरह बदल दिया। रिचर्ड ने इन ड्रग्स का स्वयं उपयोग करना शुरू कर दिया, और यह अनुभव उनके लिए इतना शक्तिशाली था कि उन्होंने इसे मानसिक विस्तार और चेतना का द्वार मान लिया। लेकिन इस नई रुचि ने उनके पेशेवर जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डाला।

हार्वर्ड से निष्कासन

1963 में, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने रिचर्ड और टिमोथी को विश्वविद्यालय से निष्कासित कर दिया। टिमोथी पर आरोप था कि उन्होंने छात्रों को अवैध ड्रग्स लेने के लिए प्रेरित किया, और रिचर्ड पर यह आरोप था कि उन्होंने अपनी शिक्षण जिम्मेदारियों को पूरी तरह से छोड़ दिया था। इसके बाद, रिचर्ड ने टिमोथी के साथ मिलकर साइकेडेलिक ड्रग्स के प्रचार-प्रसार में भाग लिया।
हालांकि, जैसे-जैसे समय बीता, रिचर्ड को इस जीवनशैली के नकारात्मक प्रभाव समझ आने लगे। ड्रग्स की लत ने उन्हें बेचैनी, तनाव और अवसाद की ओर धकेल दिया। उनका मन अशांत रहने लगा, और उन्हें इस आंतरिक अशांति से छुटकारा पाने का कोई उपाय नहीं सूझ रहा था।

नीम करोली बाबा से मुलाकात

1967 में, अपने अशांत मन को शांत करने के लिए, रिचर्ड ने भारत की यात्रा की। भारत पहुँचने के बाद, उन्हें नीम करोली बाबा (Neem Karoli Baba) के बारे में जानकारी मिली। बाबा के चमत्कारों और आध्यात्मिक शक्तियों के किस्से सुनकर पहले तो रिचर्ड को संदेह हुआ, लेकिन वह बाबा (Neem Karoli Baba) से मिलने के लिए तैयार हो गए।

बाबा (Neem Karoli Baba) से पहली मुलाकात रिचर्ड के जीवन का एक निर्णायक मोड़ साबित हुई। जब रिचर्ड बाबा के पास पहुँचे, तो उन्होंने उनके मन की बातें जान लीं। बाबा (Neem Karoli Baba) ने उनसे कहा, “कल रात तुम तारों को देखकर अपनी माँ को याद कर रहे थे। चिंता मत करो, वह जहाँ भी हैं, सुखी हैं।” इस घटना ने रिचर्ड को भीतर तक हिला दिया। उनके अहंकार और संदेह का अंत हो गया, और उन्होंने बाबा (Neem Karoli Baba) के चरणों में अपना सिर झुका दिया।

रामदास का जन्म

नीम करोली बाबा (Neem Karoli Baba) ने रिचर्ड का नाम बदलकर रामदास (Ram Dass) रख दिया, जिसका अर्थ है “राम का सेवक”। बाबा के साथ रहते हुए, रामदास (Ram Dass) ने ध्यान, सेवा, और भक्ति का महत्व समझा। उन्होंने अपने जीवन की पुरानी आदतों को त्याग दिया और पूरी तरह से अध्यात्म के पथ पर अग्रसर हो गए।

अमेरिका में आध्यात्मिक आंदोलन

भारत में अपने गुरु (Neem Karoli Baba) से शिक्षा ग्रहण करने के बाद, रामदास (Ram Dass) अमेरिका लौटे। उन्होंने नीम करोली बाबा (Neem Karoli Baba) के संदेश और शिक्षाओं को अमेरिका और दुनिया भर में फैलाने का कार्य शुरू किया। उनकी सबसे प्रसिद्ध पुस्तक, “Be Here Now” 1971 में प्रकाशित हुई। इस पुस्तक ने हजारों लोगों के जीवन को प्रभावित किया और पश्चिमी देशों में आध्यात्मिकता के प्रसार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

रामदास (Ram Dass) ने ध्यान, योग, और सेवा के माध्यम से लोगों को आंतरिक शांति और आत्मज्ञान का मार्ग दिखाया। उनकी शिक्षाओं ने पश्चिमी दुनिया को भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता के करीब लाने का कार्य किया।

नीम करोली बाबा का प्रभाव

रामदास की पुस्तक और उनके प्रवचनों के माध्यम से, नीम करोली बाबा (Neem Karoli Baba) और उनके आश्रम, कैंची धाम (Kainchi Dham), को विश्वव्यापी ख्याति प्राप्त हुई। बाबा के अनुयायियों में स्टीव जॉब्स, मार्क जकरबर्ग, और अन्य प्रसिद्ध हस्तियाँ भी शामिल हैं। रामदास के प्रयासों ने न केवल बाबा की शिक्षाओं को लोकप्रिय बनाया, बल्कि भारतीय संस्कृति और धर्म के प्रति पश्चिमी देशों का दृष्टिकोण भी बदला।

अंतिम दिन

रामदास (Ram Dass) ने अपना पूरा जीवन अपने गुरु (Neem Karoli Baba) की शिक्षाओं और सेवा में समर्पित कर दिया। 22 दिसंबर 2019 को, उन्होंने इस भौतिक संसार को छोड़कर परमात्मा में विलीन हो गए। उनकी शिक्षाएँ, पुस्तकें, और कार्य आज भी लाखों लोगों को प्रेरणा देते हैं।
उनकी विरासत यह सिखाती है कि भौतिक सफलता और विज्ञान के परे भी एक सत्य है, जिसे केवल भक्ति, ध्यान, और सेवा के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।

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निष्कर्ष

रामदास (Ram Dass) का जीवन यह दिखाता है कि कैसे एक साधारण व्यक्ति, जो कभी नशे और अहंकार में डूबा हुआ था, एक महान आध्यात्मिक शिक्षक बन सकता है। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि सच्चा सुख और शांति केवल आत्म-ज्ञान और भक्ति के माध्यम से ही प्राप्त की जा सकती है।