Diwali पर जरूर पढ़ें और सुनाएं यह अद्भुत कथा | उपनिषद में है वर्णन | Nachiketa Story in Hindi

Diwali पर जरूर पढ़ें और सुनाएं यह अद्भुत कथा | उपनिषद में है वर्णन | Nachiketa Story in Hindi

Diwali पर जरूर पढ़ें और सुनाएं यह अद्भुत कथा | उपनिषद में है वर्णन | Nachiketa Story in Hindi

दीपावली (Diwali) का त्योहार अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का प्रतीक है। यह सिर्फ घरों को दीपों से सजाने का पर्व नहीं है, बल्कि यह हमारे भीतर के अज्ञान के अंधकार को दूर करके आत्मज्ञान की ज्योति जलाने का भी अवसर है। दीपावली (Diwali) से जुड़ी अनेक पौराणिक कथाएं हमें यह संदेश देती हैं कि ज्ञान और सत्य की राह पर चलना ही हमारे जीवन को सार्थक बना सकता है। ऐसी ही एक कथा (Nachiketa Story in Hindi) कठ उपनिषद में वर्णित है, जिसमें यमराज और नचिकेता के बीच का संवाद दीपावली (Diwali) के महत्व को दर्शाता है।

इस संवाद (Nachiketa Story in Hindi) में नचिकेता को यमराज से अमरता और आत्मज्ञान का उपदेश मिलता है, जिससे उनके मन का अंधकार दूर होता है और वह ज्ञान की ज्योति से प्रकाशित हो जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह संवाद दिवाली के समय हुआ था, और इस कारण इसे भी दीपावली (Diwali) के इतिहास का एक महत्वपूर्ण भाग माना जाता है। आइए, आज हम उस नचिकेता की कथा (Nachiketa Story in Hindi) सुनते हैं जिसने अपने अडिग संकल्प और धैर्य से न केवल यमराज को प्रभावित किया, बल्कि आत्मा और परमात्मा का ज्ञान प्राप्त करके अमरता का रहस्य जान लिया।

नचिकेता का जन्म और शिक्षा

कठ उपनिषद की यह कथा (Nachiketa Story in Hindi) हजारों वर्ष पूर्व की है जब एक ऋषि वाजश्रवा, जो एक ज्ञानी और धार्मिक व्यक्ति थे, अपने पुत्र नचिकेता के साथ रहते थे। नचिकेता एक समझदार और जिज्ञासु बालक था। बचपन से ही उसने अपने पिता को धार्मिक यज्ञ करते हुए देखा था और उसके मन में भी विद्या और आध्यात्मिक ज्ञान की इच्छा उत्पन्न हुई।

एक दिन वाजश्रवा ने विश्वजित यज्ञ का आयोजन किया। इस यज्ञ में अपनी समस्त संपत्ति दान करने का व्रत लिया जाता है। नचिकेता ने देखा कि उसके पिता ने वृद्ध और दुर्बल गायों को दान किया, जो अब किसी काम की नहीं थीं। यह देखकर नचिकेता को बहुत दुख हुआ और उसने सोचा कि ऐसा दान उचित नहीं है।

यमराज को दान में दिया जाना

नचिकेता ने अपने पिता से प्रश्न किया, “पिताजी, आप मुझे किसको दान करेंगे?” उसके पिता ने पहले तो कोई उत्तर नहीं दिया, परंतु जब नचिकेता ने बार-बार वही प्रश्न किया, तो क्रोधित होकर वाजश्रवा ने कह दिया, “मैं तुझे यमराज को दान करूंगा!”

यह सुनकर नचिकेता ने अपने पिता की बात को सत्य मानकर यमराज के पास जाने का निश्चय कर लिया। उसने अपने पिता से आशीर्वाद लिया और यमलोक की ओर चल पड़ा।

यमलोक की यात्रा और नचिकेता की प्रतीक्षा

जब नचिकेता यमलोक पहुंचा, तो यमराज वहां नहीं थे। उसने तीन दिन और रात यमराज की प्रतीक्षा की, बिना भोजन और पानी के। जब यमराज लौटे, तो उन्होंने नचिकेता को देखकर आश्चर्य किया और उसकी तपस्या और धैर्य से प्रभावित हुए।

यमराज ने कहा, “बालक, तुम तीन दिन से भूखे-प्यासे मेरा इंतजार कर रहे हो। मैं तुम्हें तीन वरदान दूंगा। जो चाहो, वह मांग लो।”

नचिकेता  के तीन वरदान

पहला वरदान

नचिकेता ने पहला वरदान यह मांगा कि उसके पिता को शांति और प्रसन्नता प्राप्त हो, क्योंकि उसने देखा था कि उसके पिता ने क्रोध में उसे यमराज को दान किया था और अब उन्हें पछतावा हो रहा था। यमराज ने यह वरदान स्वीकार किया और कहा, “तथास्तु। जब तुम मृत्यु के मुख से लौटकर अपने पिता के पास जाओगे, तो वे तुम्हें देखकर अत्यंत प्रसन्न होंगे और उनके मन को शांति मिलेगी।”

दूसरा वरदान

नचिकेता ने दूसरा वरदान मांगा कि यमराज उसे वह यज्ञ बताएं, जिसके करने से मनुष्य स्वर्ग को प्राप्त कर सके, जहां न भूख होती है, न प्यास, न बुढ़ापा, और न ही मृत्यु का भय। यमराज ने उसे यह यज्ञ सिखाया और कहा, “यह यज्ञ अब नचिकेता के नाम से जाना जाएगा।”

इस यज्ञ के माध्यम से नचिकेता को यह ज्ञान प्राप्त हुआ कि स्वर्ग में जाने के लिए मनुष्य को अपने कर्मों से पवित्र और धर्म के मार्ग पर चलना आवश्यक है।

तीसरा वरदान

तीसरे वरदान में नचिकेता ने यमराज से यह जानने की इच्छा व्यक्त की कि मृत्यु के बाद क्या होता है। वह जानना चाहता था कि क्या आत्मा अमर है या मृत्यु के बाद सब समाप्त हो जाता है। यह एक ऐसा प्रश्न था, जिसे जानने की जिज्ञासा हर मनुष्य में होती है।

यमराज ने उसे यह प्रश्न न पूछने का सुझाव दिया और कहा, “यह एक कठिन प्रश्न है। देवता भी इसका उत्तर नहीं जानते। तुम मुझसे कोई अन्य वरदान मांग लो। मैं तुम्हें धन-दौलत, लंबी आयु, और राज्य दे सकता हूं।”

परंतु नचिकेता ने निडर होकर कहा, “मैं धन-दौलत या भोग-विलास में रुचि नहीं रखता। मुझे केवल आत्मा और मृत्यु का रहस्य जानना है।”

यमराज का आत्मा का ज्ञान

नचिकेता  के अडिग संकल्प को देखकर यमराज ने उसे आत्मा और अमरता का गूढ़ ज्ञान दिया। उन्होंने कहा, “मनुष्य के सामने दो मार्ग होते हैं: एक श्रेयस, जो आत्मज्ञान और मोक्ष की ओर ले जाता है, और दूसरा प्रेयस, जो भोग-विलास और संसारिक सुखों की ओर ले जाता है।”

यमराज ने आगे समझाया कि आत्मा अमर है, और मृत्यु केवल शरीर का अंत है। आत्मा शरीर के साथ नहीं मरती। वह एक अनन्त सत्ता है, जो अजर-अमर और अविनाशी है। यमराज ने नचिकेता को यह भी बताया कि जो मनुष्य अपनी इंद्रियों को वश में रखता है और धर्म के मार्ग पर चलता है, वही आत्मज्ञान प्राप्त कर सकता है और मोक्ष को प्राप्त होता है।

आत्मज्ञान की प्राप्ति

यमराज ने नचिकेता (Nachiketa) को यह सिखाया कि जैसे रथ का स्वामी घोड़ों को नियंत्रण में रखता है, वैसे ही मनुष्य को अपनी इंद्रियों को नियंत्रित करना चाहिए। यदि इंद्रियों पर नियंत्रण नहीं होता, तो मनुष्य अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाता।

अंततः, नचिकेता (Nachiketa) ने यमराज से आत्मा के अमरत्व का रहस्य जान लिया और उसे आत्मज्ञान की प्राप्ति हुई।\

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दीपावली का महत्व

नचिकेता की यह कथा (Nachiketa Story in Hindi) हमें दीपावली (Diwali) के वास्तविक महत्व को समझाती है। जैसे दीपावली पर हम अपने घरों में दीप जलाते हैं, वैसे ही यह कथा हमें अपने भीतर ज्ञान का दीप जलाने की प्रेरणा देती है। यमराज और नचिकेता का संवाद (Nachiketa Story in Hindi) हमें सिखाता है कि अज्ञान और भौतिकता के अंधकार से बाहर निकलकर आत्मज्ञान और सत्य की ओर बढ़ना ही हमारे जीवन का लक्ष्य होना चाहिए।

दीपावली का पर्व आत्मा के अमरत्व, सत्य, और ज्ञान की विजय का प्रतीक है। जिस प्रकार नचिकेता (Nachiketa) ने यमराज से आत्मा का अमरत्व और मृत्यु के रहस्य का ज्ञान प्राप्त किया, उसी प्रकार हमें भी अपने जीवन में सत्य और आत्मज्ञान के मार्ग पर चलने का प्रयास करना चाहिए।

निष्कर्ष

नचिकेता की कथा (Nachiketa Story in Hindi) हमें यह सिखाती है कि जीवन का वास्तविक उद्देश्य आत्मज्ञान की प्राप्ति है। हमें भौतिक सुखों और भोग-विलास से परे आत्मा के अमरत्व को समझने का प्रयास करना चाहिए। दीपावली (Diwali) का पर्व हमें यह संदेश देता है कि अज्ञान के अंधकार को दूर करके ज्ञान की ज्योति जलाएं और अपने जीवन को सार्थक बनाएं।

यह कथा हमें जीवन और मृत्यु के रहस्यों को समझने का अवसर देती है और हमें प्रेरित करती है कि हम भी नचिकेता की तरह आत्मज्ञान की खोज करें।