चंद्रग्रहण (lunar eclipse) का आपके शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है ? जानिए सद्गुरु जग्गी वासुदेव से

चंद्रग्रहण (lunar eclipse) का आपके शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है ? जानिए सद्गुरु जग्गी वासुदेव से

चंद्रग्रहण (lunar eclipse) का आपके शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है ? जानिए सद्गुरु जग्गी वासुदेव से

चंद्रग्रहण (lunar eclipse) एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना है, जो हमारे जीवन पर कई तरह से प्रभाव डाल सकती है। इस दौरान, जब चाँद पृथ्वी की छाया में आता है, तो इसके परिणामस्वरूप कई चीजें घटित होती हैं। खासकर, इस दिन धरती के अलाइनमेंट के कारण, हर वह चीज़ जो अपनी प्राकृतिक अवस्था से दूर हो चुकी है, कुदरती तौर पर बहुत जल्दी खराब होती है।

चंद्रग्रहण किसे कहते हैं?

चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है, जिससे सूर्य की किरणें चंद्रमा तक नहीं पहुंच पातीं। इसका मतलब है कि चंद्रमा पृथ्वी की छाया में आ जाता है और आंशिक या पूर्ण रूप से ढक जाता है। चंद्र ग्रहण मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं: आंशिक (जब चंद्रमा का कुछ हिस्सा ढकता है) और पूर्ण (जब चंद्रमा पूरी तरह से छाया में होता है)। यह घटना केवल पूर्णिमा के दिन होती है, जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में होते हैं। चंद्र ग्रहण को नग्न आंखों से देखा जा सकता है।

सद्गुरु का दृष्टिकोण

सद्गुरु ने इस विषय पर विस्तार से बताया है कि चंद्रग्रहण (lunar eclipse) के दिन हमारे शरीर में मौजूद भोजन का भी एक विशेष प्रभाव होता है। अगर आपके शरीर में खाना है, तो यह आपके ऊर्जा स्तर को प्रभावित करेगा। सिर्फ दो घंटों में आपकी ऊर्जा लगभग 28 दिन बूढ़ी हो सकती है। यह फास्ट फॉरवर्ड प्रक्रिया है, जिससे हमें अपने शरीर और भोजन के प्रति सजग रहना चाहिए।

खाद्य पदार्थों का सड़ना

सद्गुरु ने उदाहरण दिया कि किस तरह पका हुआ खाना इस दिन तेजी से सड़ता है। एक प्रयोग के माध्यम से उन्होंने यह दिखाया कि जब हम पका हुआ खाना छोड़ते हैं, तो यह जल्दी खराब हो जाता है। यह उस प्रक्रिया का प्रतीक है, जो प्राकृतिक अवस्था से दूर हो चुकी चीजों पर लागू होती है। खाना न केवल हमारे शरीर का हिस्सा बनता है, बल्कि इसके साथ हमारी ऊर्जा का स्तर भी जुड़ा होता है।

जीवित भोजन बनाम मृत भोजन

जब हम बात करते हैं पके हुए भोजन की, तो यह एक तरह से मृत भोजन है। हालांकि यह हमें पोषण देता है, लेकिन इसके सड़ने की प्रक्रिया इस दिन तेज होती है। जैसे-जैसे चंद्रग्रहण (lunar eclipse) का समय बढ़ता है, यह भोजन जहर में बदलने लगता है। सद्गुरु का कहना है कि यदि हम इस भोजन को ग्रहण के दिन खाते हैं, तो यह हमारे लिए नुकसानदायक हो सकता है, हालाँकि यह तुरंत मौत का कारण नहीं बनेगा।

सद्गुरु की चेतावनी

सद्गुरु ने यह भी कहा है कि चंद्रग्रहण (lunar eclipse) के दौरान भोजन का सेवन न करने की सलाह दी जाती है। इस दिन अगर कोई लोग खाना खा रहे हैं, तो उनके लिए यह खतरा हो सकता है। विशेषकर, वह लोग जो इस दिन पका हुआ खाना खाते हैं, उन्हें इसके परिणामों का सामना करना पड़ सकता है।

खुद पर ध्यान देना

सद्गुरु के अनुसार, इस दिन हमें अपने शरीर और आस-पास की ऊर्जा पर ध्यान देना चाहिए। अगर हमें इन परिवर्तनों को महसूस करने की क्षमता हो, तो हम इस प्रक्रिया को समझ सकते हैं। ग्रहण के दौरान, हमारे भीतर जो हो रहा है, वह हमारे दिमाग से अधिक गहरा और सूक्ष्म है।

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निष्कर्ष

इस प्रकार, चंद्रग्रहण (lunar eclipse) केवल एक खगोलीय घटना नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन के कई पहलुओं पर प्रभाव डाल सकता है। सद्गुरु के विचारों के माध्यम से, हमें समझ में आता है कि हमें अपने खान-पान और ऊर्जा स्तर का ध्यान रखना चाहिए। इसलिए, ग्रहण के दिन भोजन के प्रति सजग रहना जरूरी है। यह न केवल हमारी सेहत के लिए, बल्कि हमारे संपूर्ण जीवन के लिए भी आवश्यक है।

इस तरह, चंद्रग्रहण का अनुभव करना और उसके प्रभावों को समझना, हमें जीवन के और भी गहरे पहलुओं से जोड़ता है।