देवी देवताओं की खंडित मूर्ति व फोटो का क्या करें | जानिए प्रेमानंद जी महाराज से | Khandit Murti Ka Kya Karna Chahie
Khandit Murti Ka Kya Karna Chahie : दीपावली का पर्व हमारे जीवन में खुशियों का संदेश लाता है, लेकिन इसी दौरान घरों की सफाई और सजावट में एक महत्वपूर्ण मुद्दा अक्सर अनदेखा रह जाता है: देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियों और तस्वीरों का क्या किया जाए। प्रेमानंद जी महाराज ने इस विषय पर महत्वपूर्ण बातें साझा की हैं, जिन्हें समझना और अपनाना अत्यंत आवश्यक है।
खंडित मूर्तियों का सम्मान
जब देवी-देवताओं की मूर्तियाँ खंडित होती (Khandit Murti Ka Kya Karna Chahie) हैं, तो इसे देखकर मन में उदासी पैदा होती है। अक्सर, लोग इन मूर्तियों को बाहर रख देते हैं, जैसे पीपल के पेड़ के नीचे। यह न केवल मूर्तियों का अपमान है, बल्कि हमारी धार्मिक परंपराओं के खिलाफ भी है। प्रेमानंद जी महाराज का स्पष्ट संदेश है कि हमें देवी-देवताओं की मूर्तियों का आदर करना चाहिए, चाहे वे खंडित क्यों न हो जाएँ।
विसर्जन की विधि
महाराज जी बताते हैं कि अगर कोई मूर्ति खंडित हो जाती है, तो (Khandit Murti Ka Kya Karna Chahie) उसे पवित्र नदियों, जैसे गंगा या यमुना में विसर्जित करना चाहिए। ऐसा करने से न केवल देवी-देवता का सम्मान होता है, बल्कि उनकी तस्वीरें गंदगी में भी नहीं पड़तीं। यदि कोई तीर्थ स्थल उपलब्ध हो, तो वहां भी इनका आदरपूर्वक विसर्जन किया जा सकता है। यह हमारी धार्मिक जिम्मेदारी का हिस्सा है।
विसर्जन का सही तरीका
खंडित मूर्तियों या तस्वीरों का विसर्जन (Khandit Murti Ka Kya Karna Chahie) एक श्रद्धापूर्ण प्रक्रिया होनी चाहिए। प्रेमानंद जी महाराज ने कहा कि पहले मूर्तियों को फूलों से सजाएं और फिर किसी पवित्र नदी पर जाकर श्रद्धा के साथ विसर्जित करें। यह न केवल आदर का प्रतीक है, बल्कि हमारे सांस्कृतिक मूल्यों को भी दर्शाता है।
नाम और रूप का आदर
महाराज जी ने यह भी कहा है कि आजकल लोग अपने व्यापार में भगवान के नाम और रूप का दुरुपयोग कर रहे हैं। जैसे निमंत्रण पत्रों में भगवान की तस्वीरें शामिल की जाती हैं, लेकिन समारोह के बाद इन्हें फेंक दिया जाता है। यह न केवल गलत है, बल्कि हमारे धार्मिक संस्कारों का अपमान भी है। भगवान के नाम और छवि का उपयोग केवल श्रद्धा के साथ करना चाहिए।
स्वार्थ की प्रवृत्ति
वर्तमान समाज में स्वार्थ की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। लोग अपने स्वार्थ के लिए भगवान के नाम का दुरुपयोग कर रहे हैं, जो न केवल व्यक्तिगत बल्कि सामाजिक स्तर पर भी गलत है। प्रेमानंद जी महाराज का संदेश है कि हमें इस प्रवृत्ति से बाहर निकलना चाहिए और अपने आचार-व्यवहार में सुधार लाना चाहिए।
गंदगी में मूर्तियों का न छोड़ना
प्रेमानंद जी महाराज ने बताया कि मूर्तियों और तस्वीरों को (Khandit Murti Ka Kya Karna Chahie) गंदगी में नहीं छोड़ना चाहिए। यह हमारे लिए, साथ ही आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक गलत संदेश है। यदि हम अपने घर में देवी-देवताओं का आदर नहीं करेंगे, तो हमारी बुद्धि और आचार-व्यवहार में गिरावट आएगी।
भगवान का स्वरूप
भगवान का स्वरूप हमारे लिए सबसे पवित्र है। यदि हम अपने व्यापार में या दैनिक जीवन में भगवान के नाम का प्रयोग करते हैं, तो हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनका अपमान न हो। प्रेमानंद जी महाराज का स्पष्ट संदेश है—भगवान का नाम और स्वरूप हमारे लिए श्रद्धा का प्रतीक होना चाहिए, न कि व्यापारिक लाभ का साधन।
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निष्कर्ष
Khandit Murti Ka Kya Karna Chahie : प्रेमानंद जी महाराज की शिक्षाएँ हमें यह सिखाती हैं कि हमें देवी-देवताओं के प्रति आदर और श्रद्धा रखनी चाहिए। चाहे मूर्तियाँ हों या तस्वीरें, उनका सही तरीके से विसर्जन करना और सम्मान करना हमारी जिम्मेदारी है। आज के भौतिकवादी युग में, हमें अपने धार्मिक मूल्यों की रक्षा के लिए सजग रहना चाहिए। केवल तभी हम अपने जीवन को सही दिशा में आगे बढ़ा सकेंगे और समाज को एक सकारात्मक संदेश दे सकेंगे।
यदि हम इन शिक्षाओं को अपनाते हैं, तो न केवल अपने जीवन में सुधार कर सकते हैं, बल्कि समाज में भी सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं। आइए, हम सभी मिलकर प्रेमानंद जी महाराज के संदेश को आगे बढ़ाएं और अपने जीवन में श्रद्धा और सम्मान का संचार करें। राधे राधे!