घर में गणेश जी की स्थापना कैसे करें? स्थापना विधि मंत्र सहित | मिलेगा सम्पूर्ण लाभ

घर में गणेश जी की स्थापना कैसे करें? स्थापना विधि मंत्र सहित | मिलेगा सम्पूर्ण लाभ

घर में गणेश जी की स्थापना कैसे करें? स्थापना विधि मंत्र सहित | मिलेगा सम्पूर्ण लाभ

गणेश जी की स्थापना कैसे करे | विधि : गणेश उत्सव एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस पर्व का मुख्य उद्देश्य है, भगवान गणेश की स्थापना और उनकी पूजा-अर्चना। यहाँ पर गणेश जी की स्थापना के लिए एक सरल विधि बताई जा रही है, जिसे आप अपने घर में पालन कर सकते हैं।

गणेश जी की स्थापना – तैयारी:

1. स्थान की शुद्धि:
जिस स्थान पर आप गणेश जी की स्थापना करने जा रहे हैं, वहाँ पहले गंगा जल की छींटे मारें। इससे स्थान शुद्ध हो जाता है। इसी प्रकार से, पूजा सामग्री को भी गंगा जल से शुद्ध कर लें।

2. रंगोली और चौकी:
जिस स्थान पर गणेश जी की स्थापना करनी है, वहाँ पर कुमकुम और हल्दी से रंगोली बनाएं। इसके बाद, उस पर चौकी रखें और चौकी पर एक लाल कपड़ा बिछाएं। इस लाल कपड़े के बीच में अक्षत (चावल) रखें, एक सुपारी और एक हल्दी की गांठ रखें।

3. मूर्ति की स्थापना:
इसके बाद, बड़े गणेश जी की स्थापना करें। उनके पास ही एक छोटी गणेश जी की मूर्ति भी रखें। ध्यान रखें कि बड़ी मूर्ति पर सूखी सामग्री चढ़ाई जाएगी, जबकि छोटी मूर्ति पर गीली सामग्री चढ़ाई जाएगी।

4. कलश स्थापना:
पहले थोड़ा सा अक्षत लेकर मूर्ति की दाईं तरफ आठ दिशाओं में अष्टदल बनाएं। इसके ऊपर तांबे का कलश रखें, कलश पर मौली बांधें, उसमें पानी और गंगा जल डालें। साथ ही, एक सुपारी, हल्दी, अक्षत और सिक्का डालें। आम के पत्ते सजाकर नारियल रखें और नारियल पर भी मौली बांधें।

आठ दिशाओं में अष्टदल

(आठ दिशाओं में अष्टदल )

पूजा की शुरुआत:

1. आसन ग्रहण और शुद्धि:
पूजा की शुरुआत करने से पहले आसन ग्रहण करें। बाएँ हाथ से जल लेकर उसे दाएँ हाथ में डालें और दोनों हाथों को शुद्ध करें। इसके बाद भगवान का नाम लेकर तीन बार ‘ओम’ का उच्चारण करें। फिर हाथ धो लें और अपने और अपने परिवार के सदस्यों को टीका लगाएं।

2. दीप जलाना और संकल्प:
अब घी का अखंड दीप जलाएं और हाथ में फूल व अक्षत लेकर संकल्प लें कि आप मन, वचन और कर्म से भगवान की पूजा करेंगे। पूजा शुरू करने से पहले भगवान गणेश का स्मरण करें और निम्न मंत्र का उच्चारण करें:
“निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।”
इसके बाद गणेश जी की मूर्ति के मुख से कपड़ा उठाएं।

3. मूर्ति का स्नान और वस्त्र पहनाना:
अब गणेश जी की मूर्ति को पंचामृत और शुद्ध जल से स्नान करवाएं। मूर्ति को दुर्वा के जल से छींटे मारें। फिर लाल वस्त्र और श्रद्धानुसार गहने पहनाएं। छोटी गणेश जी की मूर्ति को मौली से वस्त्र प्रदान करें।

4. तिलक और भोग अर्पण:
अब हल्दी, कुमकुम और चंदन से भगवान का तिलक करें और अक्षत चढ़ाएं। इसके बाद भगवान को इत्र, गुलाल और फूल अर्पित करें। धूप-अगरबत्ती दिखाएं और जसवंती फूल चढ़ाएं।

5. प्रसाद और भोग:
भगवान को मोदक, गुड़, नारियल, और पांच प्रकार के फल चढ़ाएं। इसके साथ ही श्रद्धानुसार दक्षिणा अर्पित करें।

पूजा का समापन और आरती:

1. प्रार्थना और क्षमा याचना:
हाथ में लाल फूल और दुर्वा लेकर भगवान से प्रार्थना करें कि यदि पूजा विधि में कोई त्रुटि हो गई हो तो क्षमा करें। ‘ॐ गण गणपतये नमः’ मंत्र का 111 बार उच्चारण करें और भगवान के चरणों में फूल और दुर्वा अर्पित करें।

2. आरती:
आरती के लिए दीपक जलाएं और उसे गणेश जी के सामने रखें। आरती गाने के बाद इसे खुद ग्रहण करें और परिवार को भी दें। एक चम्मच पानी लेकर आरती के ऊपर से घुमाएं और उसे नीचे गिरा दें। फिर फूल और अक्षत लेकर गणेश जी से प्रार्थना करें।

3. प्रसाद वितरण:
पूजा समापन के बाद परिवार में प्रसाद बांटें और खुद भी ग्रहण करें।

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विसर्जन का दिन:

विसर्जन के दिन भी विशेष ध्यान रखें। गणेश जी की मूर्ति को विसर्जन के लिए ले जाते समय एक लाल कपड़े में केले के पत्तों के साथ गुड़ बांधकर उनकी विदाई करें। विसर्जन के समय एक बार फिर आरती करें। जिस व्यक्ति को मूर्ति विसर्जन के लिए दी जा रही है, उसे नारियल और दक्षिणा दें।

विसर्जन के बाद, आप विसर्जन के स्थान से लाई गई मिट्टी को घर में संभाल कर रख सकते हैं या उसे पानी में बहा सकते हैं।

इस विधि का पालन करते हुए आप गणेश जी की स्थापना और पूजा सही तरीके से कर सकते हैं। यह प्रक्रिया आपके घर में सुख, शांति और समृद्धि लाएगी।

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