Dhanteras : धनतेरस क्यों मनाया जाता है? 99% हिन्दू नहीं जानते | सद्गुरु ने बताई असली वजह

Dhanteras Kyu Manaya Jata Hai

Dhanteras : धनतेरस क्यों मनाया जाता है? 99% हिन्दू नहीं जानते | सद्गुरु ने बताई असली वजह

Dhanteras Kyu Manaya Jata Hai : धनतेरस, जो दिवाली के पांच दिवसीय त्योहार की शुरुआत मानी जाती है, भारत में एक महत्वपूर्ण दिन है। सद्गुरु के अनुसार, इस दिन का असली उद्देश्य सिर्फ धन की पूजा नहीं है, जैसा कि आज के समय में समझा जाता है। इसका एक गहरा वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व है, जिसे हमारी प्राचीन परंपराओं में विशेष रूप से ध्यान दिया गया था।

धनतेरस का वास्तविक अर्थ | Dhanteras Kyu Manaya Jata Hai

धनतेरस (Dhanteras) का मूल शब्द ‘धन्वंतरि त्रयोदशी’ है, जो कार्तिक मास के चंद्र कैलेंडर में तेरहवें दिन पर आता है। सद्गुरु बताते हैं कि इस दिन लोग आयुर्वेद के देवता, भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं। भगवान धन्वंतरि को स्वास्थ्य और दीर्घायु का प्रतीक माना जाता है, और आयुर्वेद के विज्ञान के अनुसार जीवन को स्वस्थ और संतुलित रखने का ज्ञान उनके द्वारा दिया गया है।

समय के साथ, “धन्वंतरि” और “त्रयोदशी” के शब्द छोटे हो गए और लोग इसे केवल “धनतेरस” के रूप में जानने लगे, जिससे इसका स्वास्थ्य से जुड़ा वास्तविक अर्थ खो गया और इसे सिर्फ धन (पैसे) से जोड़ दिया गया। हालाँकि, सद्गुरु बताते हैं कि इस दिन का उद्देश्य धन से अधिक स्वास्थ्य और समृद्धि को बनाए रखना है।

मौसम में बदलाव का महत्व

धनतेरस (Dhanteras) केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह हमारे उत्तरी गोलार्ध में जीवन के धीमे होने से जुड़ा है। सद्गुरु बताते हैं कि कार्तिक मास की त्रयोदशी से, खासकर सर्दियों के आगमन के साथ, जीवन की गति धीमी हो जाती है। इस समय सूर्य और पृथ्वी के बीच की स्थिति बदल जाती है, जिससे ऊर्जा का स्तर गिरने लगता है। जैसे ही ठंड शुरू होती है, हमारे शरीर की प्रवृत्ति सुस्ती और आलस्य की ओर बढ़ने लगती है। यह वह समय है जब हमें अपने भीतर ऊर्जा को जीवित रखने की आवश्यकता होती है, ताकि हम बीमार न पड़ें और निराशा से बच सकें।

दीप जलाने और पटाखे फोड़ने का वैज्ञानिक आधार

सद्गुरु के अनुसार, दीपावली के समय दिए जलाना और पटाखे फोड़ना एक प्रतीकात्मक क्रिया है, जिसका उद्देश्य हमारी ऊर्जा को उच्च बनाए रखना है। जब सर्दियों के महीने आते हैं, तो ऊर्जा का स्तर कम हो जाता है, और यह जरूरी होता है कि हम अपने वातावरण को जीवंत बनाए रखें। इस समय परंपरा थी कि लोग सुबह जल्दी उठकर पटाखे फोड़ते थे ताकि सब जाग जाएं और सूरज की पहली किरण किसी और वस्तु पर न गिरकर हम पर पड़े। यह हमारे भीतर ऊर्जा को बनाए रखने का एक तरीका था ताकि हम आलसी या बीमार न हों।

धन्वंतरि (Dhanteras) की पूजा का महत्व

धनतेरस (Dhanteras) का संबंध सीधे हमारे स्वास्थ्य से है। सद्गुरु बताते हैं कि आयुर्वेद के अनुसार, भगवान धन्वंतरि हमें जीवन को स्वस्थ और संतुलित रखने का विज्ञान सिखाते हैं। अगर हमारे शरीर में ऊर्जा का स्तर ऊँचा होता है, तो हमें बीमारियां नहीं घेरेंगी, चाहे हमारे आसपास कितने भी संक्रमण क्यों न हों। लेकिन अगर शरीर सुस्त हो जाता है, तो बीमारियां हमें जल्दी प्रभावित करती हैं।

इसलिए, धनतेरस (Dhanteras) पर भगवान धन्वंतरि की पूजा करना इस बात की याद दिलाता है कि हमें अपने शरीर और मन को ऊर्जावान रखना चाहिए, विशेषकर सर्दियों के महीनों में, जब जीवन की गति धीमी हो जाती है। दीपों की रोशनी, संगीत, और अन्य उत्सव हमारी ऊर्जा को बढ़ाते हैं और हमें मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रखते हैं।

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निष्कर्ष

धनतेरस (Dhanteras) का वास्तविक महत्व स्वास्थ्य और समृद्धि से जुड़ा है, न कि केवल धन से। सद्गुरु के अनुसार, यह समय हमारे जीवन में ऊर्जा बनाए रखने का है ताकि हम सर्दियों की सुस्ती और बीमारियों से बचे रहें। यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि हमें अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए और आयुर्वेद के सिद्धांतों के अनुसार जीवन को संतुलित और ऊर्जावान बनाए रखना चाहिए।