डिप्रेशन कैसे दूर करें? प्रेमानन्द जी महाराज ने समझाया | Depression Kaise Door Kare

डिप्रेशन कैसे दूर करें? प्रेमानन्द जी महाराज ने समझाया | Depression Kaise Door Kare

डिप्रेशन कैसे दूर करें? प्रेमानन्द जी महाराज ने समझाया | Depression Kaise Door Kare

Depression Kaise Door Kare : डिप्रेशन आज की दुनिया में एक गंभीर समस्या बन चुका है, जो न केवल मानसिक शांति को नष्ट करता है, बल्कि हमारे जीवन के आनंद और स्थिरता को भी छीन लेता है। प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) द्वारा बताई गई बातें हमें इस गहरे विषय पर एक नया दृष्टिकोण देती हैं। उन्होंने कहा है कि हमारा दुःख, चिंता, और डिप्रेशन, अज्ञान के परिणामस्वरूप होता है। जब तक हम इस अज्ञान को दूर नहीं करेंगे, तब तक हमें वास्तविक शांति और सच्ची खुशी नहीं मिल सकती।

अज्ञानता और डिप्रेशन

महाराज जी (Premanand Ji Maharaj) कहते हैं कि अज्ञान का विस्तार जितना अधिक होगा, दुःख (Depression Kaise Door Kare) भी उतना ही गहरा होता जाएगा। हमारे जीवन में जितने अधिक संबंध होंगे, उतना ही अज्ञान और दुःख फैलता जाएगा। इसका कारण यह है कि हम जो संबंध बनाते हैं, वे सभी नश्वर होते हैं। जब हमारे प्रियजन, जो विदेश में  होते हैं या हमारे पास रहते हैं, हमें छोड़ कर जाते हैं, तो हम दुखी हो जाते हैं। यह संबंधों का अज्ञान ही है, जो हमें जन्म-मृत्यु के चक्र में बांधे रखता है।

महाराज जी (Premanand Ji Maharaj) इस बात पर जोर देते हैं कि भगवान का भजन करने से यह अज्ञान दूर (Depression Kaise Door Kare) हो सकता है। भजन से हमारे जीवन का उद्देश्य स्पष्ट होता है, और हम समझते हैं कि मृत्यु या किसी और के निधन का दुःख वास्तव में अज्ञान का परिणाम है। जब हम अपने भीतर के ज्ञान को जागृत करते हैं, तो यह दुःख समाप्त हो जाता है।

क्यों होता है डिप्रेशन?

प्रेमानंद जी (Premanand Ji Maharaj) इस बात को बड़े ही सरल शब्दों में समझाते हैं कि कैसे हम माया के जाल में फंसे हुए हैं। छोटी-छोटी वस्तुओं और संबंधों को खोने पर हम दुखी हो जाते हैं। उदाहरण के लिए, यदि किसी गरीब किसान की फसल नष्ट हो जाती है, तो वह इतना निराश (Depression Kaise Door Kare) हो जाता है कि अपना जीवन समाप्त कर लेता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उसने अपनी खुशी और जीवन की उम्मीदें उस फसल पर टिका दी थीं।

वास्तव में, यह माना हुआ संबंध ही अज्ञान (Depression Kaise Door Kare) का एक रूप है। जैसे एक परिवार एक भैंस के मर जाने पर पूरी तरह से टूट जाता है, यह उसी अज्ञान का परिणाम है। उन्होंने इस बात को स्पष्ट किया कि यदि हम अपने सुख को नश्वर वस्तुओं और संबंधों से जोड़ते हैं, तो हमें अवश्य ही दुःख का सामना करना पड़ेगा।

स्वयं को पहचाने

प्रेमानंद जी (Premanand Ji Maharaj) हमें यह भी बताते हैं कि हम सच्चिदानंद भगवान के अंश हैं। परंतु, अपने वास्तविक स्वरूप को न पहचानने के कारण हम छोटे-छोटे दुःखों में फंस जाते हैं। एक व्यक्ति को किसी क्रीड़ा में हार जाने से दुःख होता है, एक किसान अपनी फसल नष्ट होने पर दुःखी होता है, और एक छात्र परीक्षा में असफल होने पर निराश हो जाता है। ये सब अज्ञान के परिणामस्वरूप होते हैं, क्योंकि हमने अपने वास्तविक स्वरूप को भुला दिया है और नश्वर शरीर व वस्तुओं से अपनापन जोड़ लिया है।

प्रेमानंद जी इस बात पर जोर देते हैं कि (Depression Kaise Door Kare) हमारा यह शरीर हमारा नहीं है। यह शरीर अस्थायी है और एक दिन नष्ट हो जाएगा। 100 साल पहले यह शरीर नहीं था, और 100 साल बाद यह फिर से नहीं रहेगा। फिर भी हम इस अस्थायी शरीर से इतना प्रेम क्यों करते हैं? यह प्रेम ही दुख का कारण बन जाता है।

अज्ञानता को दूर करें

महाराज जी (Premanand Ji Maharaj) ने बताया कि हम सभी अविनाशी हैं, और हमारा सच्चा संबंध भगवान से है। जब हम इस अविनाशी संबंध को भूल जाते हैं और शरीर को ही वास्तविक मान लेते हैं, तो दुःख और डिप्रेशन का जन्म होता है। इसलिए, भगवान के भजन और सत्संग से (Depression Kaise Door Kare) अज्ञान को नष्ट किया जा सकता है।

अंततः, प्रेमानंद जी (Premanand Ji Maharaj) का संदेश यह है कि जीवन की यह माया और मोह अज्ञान के कारण हैं। जब तक हम अज्ञान में रहते हैं, हम दुःख और चिंताओं में फंसे रहते हैं। भगवान का नाम जप और सत्संग इस अज्ञान को दूर करने के सशक्त साधन हैं। जैसे कोई स्वप्न में लाठी से पीटा जा रहा हो, उसे बाहर की किसी सहायता से बचाया नहीं जा सकता, ठीक उसी तरह इस संसार के दुखों से बाहर निकलने का एकमात्र उपाय जागृत होना है।

यह भी पढ़ें : प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) ने बताया मन को नियंत्रित करने का अचूक उपाय

नाम जप का महत्व

प्रेमानंद जी (Premanand Ji Maharaj) ने बार-बार नाम जप करने का महत्व बताया है। राम, कृष्ण, हरि, या किसी भी ईश्वर के प्रिय नाम का जाप करने से ही व्यक्ति को सच्चा सुख प्राप्त होता है। यह नाम जाप व्यक्ति के जीवन के अज्ञान को समाप्त करता है और उसे जीवन-मृत्यु के चक्र से मुक्त करता है।

निष्कर्ष

प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) के विचार हमें यह सिखाते हैं कि जीवन के सभी दुःख और डिप्रेशन (Depression Kaise Door Kare) का मूल कारण अज्ञान है। यह अज्ञान तब समाप्त होता है, जब हम भगवान का भजन और नाम जाप करते हैं। उन्होंने हमें यह भी बताया कि इस संसार का दुःख केवल सत्संग और भगवत स्मरण से ही दूर हो सकता है।

हमें अपने जीवन में भगवान के साथ एक अविनाशी संबंध स्थापित करना चाहिए और नश्वर वस्तुओं से अपने सुख की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए। यही सच्ची शांति और आनंद का मार्ग है।