Bhai Dooj Story by Sadhguru in Hindi : भाई दूज के अवसर पर भाई-बहन की यह कहानी देगी बड़ी सीख | सद्गुरु जी ने स्वयं सुनाई
Bhai Dooj Story by Sadhguru in Hindi : भाई-बहन का रिश्ता अनमोल होता है, जो प्रेम, सम्मान और साथ के धागों से बुना होता है। भाई दूज (Bhai Dooj) का त्योहार इस रिश्ते को और भी गहरा करता है, जब बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और सफलता की कामना करती हैं। इस पावन दिन की विशेषता यह है कि इसमें स्नेह, त्याग और परस्पर विश्वास की भावना को अभिव्यक्त किया जाता है। सद्गुरु, जो अपने अनूठे दृष्टिकोण और आध्यात्मिक समझ के लिए जाने जाते हैं, ने भाई-बहन के प्रेम की एक ऐसी ही अद्भुत कहानी (Sadhguru Hindi Story) साझा की, जो जीवन में गहरे अर्थों को उजागर करती है।
Bhai Dooj Story by Sadhguru in Hindi
सद्गुरु ने एक महिला की कहानी सुनाई, जो एक भयंकर त्रासदी से गुजरी थी। यह घटना दूसरे विश्व युद्ध के समय की है, जब नाज़ी कंसंट्रेशन कैंप में लाखों लोगों को यातना दी गई थी। उस महिला और उसके भाई को भी एक ऐसे ही कैम्प में ले जाया गया था। रास्ते में, एक दिन भाई ने अपने जूते खो दिए थे। यह घटना उस समय के भयावह हालातों में बहुत बड़ी समस्या थी, क्योंकि वहां भोजन, कपड़े, और जीवन की अन्य आवश्यक चीजों का अभाव था। जब उस महिला ने देखा कि उसका भाई जूते खोकर खाली पैर चल रहा था, तो वह गुस्से में आ गई और उसे जोर से डांटते हुए कहा, “तुम्हें समझ नहीं आता? पहले ही हम पर बहुत मुसीबतें हैं और तुम अपने जूते भी खो देते हो!”
Bhai Dooj Story by Sadhguru in Hindi
उसके भाई ने कुछ नहीं कहा, लेकिन उसकी आँखों में उदासी और पीड़ा थी। थोड़ी ही देर बाद, लड़के और लड़कियों को अलग कर दिया गया। उसके भाई को कहीं और भेज दिया गया और वह महिला अपने रास्ते पर चली गई। उसने सोचा था कि वे फिर मिलेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अगले 14 सालों तक वह एक कंसंट्रेशन कैंप में रही, जहां उसने अकल्पनीय यातनाएँ सही। जब युद्ध खत्म हुआ और वह कैम्प से बाहर आई, तो उसे पता चला कि उसका पूरा परिवार, जिसमें उसके भाई समेत 17 लोग शामिल थे, कहीं गायब हो गए थे। वह अपने परिवार की एकमात्र जीवित सदस्य थी।
Bhai Dooj Story by Sadhguru in Hindi
उसने कभी नहीं जाना कि उसका भाई कहाँ गया। उसके मन में सबसे ज्यादा जो बात चुभ रही थी, वह यह थी कि आखिरी बार जब उसने अपने भाई से बात की थी, तो वह क्रोध में थी और उसे भला-बुरा कहा था। उसे लगता रहा कि काश उसने कुछ अच्छा कहा होता, काश उसने अपने भाई से प्रेम से बात की होती। वह पछतावा उसे हमेशा सताता रहा कि उसने अपने आखिरी शब्दों में कुछ भयंकर बातें कहीं थीं। यह सोच-सोचकर उसका दिल टूटता रहा कि उसने अपने भाई को खो दिए जूतों पर डांटा था, जबकि शायद वह कुछ भी अच्छा कह सकती थी।
Bhai Dooj Story by Sadhguru in Hindi
इस भयंकर घटना के बाद, उस महिला ने एक दृढ़ निश्चय किया। उसने अपने जीवन के बाकी दिनों के लिए यह तय किया कि वह जिस किसी से भी बात करेगी, वह ऐसे करेगी कि अगर वह बातचीत उसकी आखिरी हो, तो उसे बाद में पछतावा न हो। उसने यह प्रण लिया कि वह हमेशा लोगों से प्रेमपूर्वक बात करेगी, ताकि अगर वह उन्हें फिर कभी न देखे, तो उसके मन में कोई दर्द न हो।
उस घटना ने उसके जीवन को पूरी तरह बदल दिया। वह एक बहुत ही सुंदर और दयालु इंसान बन गई, क्योंकि उसने यह निश्चय किया था कि वह दूसरों के साथ प्रेम और सम्मान से पेश आएगी। उसने अपने जीवन को एक आशीर्वाद में बदल लिया। सद्गुरु कहते हैं कि उस महिला के अनुभव से हम सीख सकते हैं कि अगर हमारे पास सही दृष्टिकोण और समझ हो, तो हमारे जीवन की सबसे दुखद घटनाएँ भी हमें महान संभावनाओं की ओर ले जा सकती हैं। जीवन में चाहे जो भी हो, हम उससे या तो दुख पैदा कर सकते हैं, या फिर उसे अपने विकास का एक अवसर बना सकते हैं।
Bhai Dooj Story by Sadhguru in Hindi
सद्गुरु की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन में हर बातचीत, हर मुलाकात महत्वपूर्ण होती है। हमें कभी नहीं पता होता कि कौन-सी मुलाकात हमारी आखिरी हो सकती है। इसलिए, यह आवश्यक है कि हम हर व्यक्ति के साथ प्रेमपूर्वक और सम्मान से पेश आएं। यह एक जीवन जीने का मार्ग है, जिसमें न तो कोई पछतावा होता है और न ही कोई दुख। यह कहानी भाई-बहन के रिश्ते की गहराई और उसकी पवित्रता को भी उजागर करती है, जहाँ एक छोटी सी बात भी उनके रिश्ते को हमेशा के लिए प्रभावित कर सकती है।
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भाई दूज (Bhai Dooj) के अवसर पर, सद्गुरु की यह कहानी हमें याद दिलाती है कि हमें अपने भाइयों और बहनों से प्रेमपूर्ण व्यवहार करना चाहिए, क्योंकि उनके साथ बिताया हर पल मूल्यवान होता है। इस दिन, जब बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करती हैं, यह जरूरी है कि हम अपने रिश्तों की कद्र करें और उन्हें अपने जीवन का सबसे बड़ा आशीर्वाद मानें।