हिन्दू धर्म में कौन है सबसे बड़ा भगवान | Supreme God in Hinduism
Supreme God in Hinduism | हिन्दू धर्म में कई भगवानों की मान्यता है लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं की इनमें सबसे बडा भगवान कौन है | मुख्यत: तीन भगवानों को सबसे बड़ा माना जाता है जैसे भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा | लेकिन जब कोई यह सवाल पूछता है की तीनों में बड़ा कौन है तो जवाब देना मुश्किल हो जाता है |
हिन्दू धर्म में कौन है सबसे बड़ा भगवान | Supreme God in Hinduism
कोई भी सवाल का जवाब देने से पहले जरूरी होता है उस सवाल को अच्छे से समझना, क्योंकि हम बिना सवाल को समझे ही, किसी भी सवाल का उल्टा सीधा जवाब देने लगते हैं, फिर चाहे उस सवाल में ही गलती क्यों ना हो। आप पूरा सवाल जाने बिना कैसे कह सकते हो की कौन सा भगवान सबसे बड़ा है।
बड़े से मतलब आप यहां भगवान की क्या लंबाई नाप रहे हो की कौन बड़ा है और कौन छोटा है। अगर आप लंबाई नाप रहे हो तो आपका सवाल ही गलत हो जाता है।
वामन अवतार में भगवान विष्णु ने एक कम लंबाई वाले व्यक्ति का शरीर धारण किया था और जो बाद में इतना बड़ा हो गया कि 3 कदमों में पूरी दुनिया नाप ली।
हनुमान जी जो छोटे से छोटा और बड़े से बड़ा आकार ले सकते हैं और इतना सब करने के बाद भी हनुमान जी, भगवान श्री राम के भक्त बन जाते हैं तो इस प्रकार आप लंबाई से तो छोटा बड़ा नाप ही सकते। अगर आप भगवान की उम्र से छोटा या बड़ा नाप रहे हो तो भी आपका सवाल गलत हो जाता है क्योंकि भगवत गीता में श्री कृष्ण कहते हैं, ऐसा कोई समय नहीं था जब मैं नहीं था और तुम नहीं थे और ना ही कभी ऐसा समय होगा जब हम दोनों ना हो। इसका मतलब ना सिर्फ परमात्मा बल्कि हम भी आदि अनंत काल से है, सनातन है|
इसलिए उम्र के आधार पर शरीर को छोटा बड़ा तो नाप सकते हैं लेकिन उस परमात्मा, उस ईश्वर का कैसे पता लगाओगे जिसने इस शरीर को बनाया है |
अगर आप भगवान की तुलना शक्ति या ताकत के आधार पर करना चाहते हो तो रामायण में भगवान विष्णु जी के अवतार भगवान श्री राम, भगवान शिव की पूजा करते हैं लेकिन जब भस्मासुर को हराने की बात आती है तो भगवान शिव खुद भगवान विष्णु जी से सहायता लेते हैं। तो अब कैसे निर्णय लोगे की कौन है सबसे ज्यादा शक्तिशाली |
इसलिए अगर आप इस तरह के सवालों में पड़ोगे तो जाहिर है आप उलझ जाओगे और आपकी उलझन का फायदा कोई और उठा ले जाएगा। इसलिए जब भी कोई आपसे उल्टे सीधे सवाल पूछे तो पहले जरूरी है की आप उसके सवाल के ऊपर उससे कुछ और सवाल पूछे जिससे मालूम हो सके कि वो जानना क्या चाहते है।
इस तरह के सवाल, ये छोटे बड़े की तुलना, ये सब इंसानों के तुच्छ दिमाग की देन है, इनका परमात्मा से कोई लेना देना नहीं है| इस सबके बाद भी आपके मन की संतुष्टि के लिए और आपकी जिज्ञासा की प्यास को बुझाने के लिए इसका सरल सा जवाब आपको बता देते हैं। ऋग्वेद में बोला गया है कि “एकं सद् विप्रा बहुधा वदंति” अर्थात सत्य एक ही है जिसे ज्ञानी लोग अलग अलग तरीके से प्रकट करते हैं।
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इसका उदाहरण भी भगवान श्री कृष्ण गीता में देते हैं- जब वह अर्जुन को पूर्ण रूप दिखाते हैं, जिसमें उन्हें पूरी सृष्टि भगवान से ही निकलती हुई और भगवान में ही समाती हुई नजर आती है अर्थात सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा, सृष्टि का पालन कर्ता भगवान विष्णु और जरूरत पड़ने पर सृष्टि का विनाश करने वाले भगवान शिव, तीनों एक ही है।
अगर देखा जाए तो यह सवाल ही पूरी तरह से गलत हो जाता है कि कौन बड़ा है और कौन छोटा, क्योंकि इस तरह के सवाल के जबाव के लिए जरूरी होता है दो का होना।
वेदों व उपनिषद में परमात्मा को अद्वैत कहा गया है अर्थात परमात्मा एक भी हो सकता है और अनंत भी हो सकता है लेकिन वो 2 नहीं हो सकता।
दो से मतलब है वो गिनने योग्य (Countable) नहीं हो सकता, अगर आप भगवान को गिनने योग्य करोगे तो वो एक सीमा (Limit) में आ जाएंगे जो की असंभव है।
इसलिए स्वामी विवेकानंद जी के गुरु श्री रामकृष्ण परमहंस जी कहते हैं, भगवान के असंख्य रूप हैं, असंख्य नाम है और उन्हें पाने के असंख्य मार्ग हैं। तुम जिस रूप और जिस नाम से उनकी सच्ची भक्ति करोगे वो तुम्हे उसी तरह प्राप्त होंगे।
यही वजह है कि सनातन में इतने भगवानों का विवरण है क्योंकि हर व्यक्ति का अपना अलग व्यक्तित्व और अलग गुण होता है इसलिएआप भगवान के जिस रूप के साथ भी ज्यादा अच्छे से जुड़ सके, ज्यादा अच्छे से उनमें रम सके, उसी रूप में उनकी भक्ति करनी चाहिए, और वो उसी रूप में उसे प्राप्त होंगे क्योंकि जो ईश्वर हम सबको तरह तरह के रूप देने वाला है उसके लिए अपने सच्चे भक्त के लिए कोई भी रूप धारण करना एक मामूली बात हाेगी।
हम आशा करते हैं, इस सवाल का जवाब आपको मिल गया होगा की कौन है सबसे बड़ा भगवान साथ में यह भी पता लग गया होगा की इस तरह के सवाल को आपको समझना कैसे है।
कृपया इस जानकारी को अधिक से अधिक लोगों के साथ साझा करें और अगर आप सनातन धर्म को गहराई से समझना चाहते हैं तो नीच दी गई पुस्तकों को अपने जीवन में एक ना एक बार अवश्य पढ़ें।