Sadhguru Jaggi Vasudev : शरीर में आ जाएगी बिजली जैसी तेजी, आज से ही छोड़ दो ये 3 चीजें खाना

Sadhguru Jaggi Vasudev how to be active always

Sadhguru Jaggi Vasudev : शरीर में आ जाएगी बिजली जैसी तेजी, आज से ही छोड़ दो ये 3 चीजें खाना

योगिक परंपरा में भोजन के महत्व और उसके प्रभावों पर सद्गुरु (Sadhguru Jaggi Vasudev) ने गहन विचार प्रस्तुत किए हैं। उनके अनुसार, तीन प्रमुख चीजें हैं जिन्हें त्याग कर आप अपनी ऊर्जा को बढ़ा सकते हैं। ये चीजें हैं: आलू और कंदमूल वाली सब्जियां, दूध से बनी चीजें, और मांसाहार। आइए, इन तीनों के प्रभावों को विस्तार से समझते हैं।

आलू और कंदमूल वाली सब्जियां

सद्गुरु (Sadhguru Jaggi Vasudev) बताते हैं कि आलू और अन्य कंदमूल वाली सब्जियां पेट में गैस पैदा करती हैं, जो शरीर के प्राण वायु के खिलाफ काम करती है। प्राण वायु हमारे श्वास, सोचने और सूंघने की प्रक्रिया को नियंत्रित करती है। अगर पेट में गैस बनी रहती है, तो यह प्राण वायु को प्रभावित करती है, जिससे शरीर और मन की सक्रियता कम हो जाती है। इसके अलावा, ये सब्जियां तमसिक मानी जाती हैं, जो जड़ता पैदा करती हैं और ऊर्जा को कम करती हैं। साधकों और विद्यार्थियों के लिए ये सब्जियां अनुकूल नहीं मानी जाती, क्योंकि ये नींद को बढ़ाती हैं और ध्यान व पढ़ाई में बाधा उत्पन्न करती हैं।

दूध से बनी चीजें

दूध और उससे बनी चीजें, जैसे कि दही, पनीर आदि, भी शरीर की सक्रियता और सतर्कता को कम करती हैं। सद्गुरु (Sadhguru Jaggi Vasudev) के अनुसार, ये चीजें मलाशय में चिपक जाती हैं और शरीर से आसानी से बाहर नहीं निकलतीं। इससे शरीर में स्थूलता और आलस्य का संचार होता है। सद्गुरु (Sadhguru Jaggi Vasudev) यह भी बताते हैं कि दक्षिण भारत में यह मान्यता है कि दही चावल खाने से नींद आती है, जो वास्तव में सत्य है। दूध से बनी चीजें आपके शरीर और मन की सतर्कता को कम करती हैं, जिससे आप सुस्ती महसूस करते हैं। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए हानिकारक हो सकता है, जिन्हें अपने कार्यों में सतर्कता और ध्यान बनाए रखना होता है।

मांसाहार

मांस का पाचन शरीर के लिए कठिन होता है। सद्गुरु (Sadhguru Jaggi Vasudev) के अनुसार, कच्चा मांस पचने में 70-72 घंटे लगते हैं, जबकि पका हुआ मांस 50-54 घंटे में पचता है। इसके विपरीत, शाकाहारी भोजन पचने में कम समय लेता है। फल, जो सबसे तेजी से पचते हैं, केवल डेढ़ से तीन घंटे में पच जाते हैं। मांस खाने से आहार नली में यह भोजन लंबे समय तक ठहरता है, जिससे बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है। सद्गुरु (Sadhguru Jaggi Vasudev) बताते हैं कि मांसाहार का सेवन समाज का हिस्सा बना क्योंकि कई प्राचीन समाजों में जीवित रहना मुख्य प्राथमिकता थी। लेकिन आज जब हमारे पास खाने के कई विकल्प हैं, हमें जागरूकता के साथ अपने भोजन का चुनाव करना चाहिए। मांसाहार पर पाबंदी नहीं है, बल्कि यह निर्णय लेना है कि किस प्रकार का भोजन हमें ऊर्जा और सक्रियता प्रदान करेगा।

रुक-रुक कर उपवास की महत्ता

सद्गुरु (Sadhguru Jaggi Vasudev) ने रुक-रुक कर उपवास की अवधारणा पर भी जोर दिया है। उनका कहना है कि अगर आप दो भोजन के बीच में पर्याप्त अंतराल रखते हैं, तो यह शरीर में बनने वाली कैंसर कोशिकाओं को कम कर सकता है। आधुनिक विज्ञान भी इस बात से सहमत है कि खाली पेट होने पर शरीर और मस्तिष्क सबसे अच्छे तरीके से काम करते हैं। योग विज्ञान में इसे महत्वपूर्ण माना जाता है कि शरीर में सुधार और शुद्धिकरण के लिए पेट का खाली होना आवश्यक है। अगर पेट भरा रहेगा, तो कोशिकाओं के स्तर पर शुद्धिकरण नहीं होगा और इससे विभिन्न प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

सद्गुरु (Sadhguru Jaggi Vasudev) का व्यक्तिगत अनुभव

सद्गुरु (Sadhguru Jaggi Vasudev) अपने व्यक्तिगत अनुभव का जिक्र करते हुए बताते हैं कि वे दिन में सिर्फ एक बार भोजन करते हैं, और वह भी शाम को साढ़े 4:00 बजे। वे इस समय के बाद अगले दिन तक कुछ नहीं खाते। वे कहते हैं कि यह आदत उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से सशक्त बनाती है। सद्गुरु (Sadhguru Jaggi Vasudev) का कहना है कि पेट खाली होने पर शरीर में जो भी सुधार और शुद्धिकरण होना है, वह सही तरीके से होता है।

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निष्कर्ष

सद्गुरु (Sadhguru Jaggi Vasudev) के विचारों के अनुसार, भोजन का चुनाव हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालता है। आलू और कंदमूल वाली सब्जियां, दूध से बनी चीजें, और मांसाहार को त्याग कर आप अपनी ऊर्जा को बढ़ा सकते हैं। इसके साथ ही, रुक-रुक कर उपवास करने से शरीर की शुद्धिकरण प्रक्रिया को बढ़ावा मिलता है। सद्गुरु (Sadhguru Jaggi Vasudev) का यह संदेश हमारे लिए एक प्रेरणा हो सकता है कि हम अपने भोजन का चुनाव जागरूकता के साथ करें और अपने शरीर को सही पोषण दें।

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