जब प्रेमानंद जी महाराज के प्रवचन सुनने आया एक मुस्लिम संत | हिन्दू हो या मुस्लिम, आंखे खोल देगा यह सत्संग

जब प्रेमानंद जी महाराज के प्रवचन सुनने आया एक मुस्लिम संत

जब प्रेमानंद जी महाराज के प्रवचन सुनने आया एक मुस्लिम संत | हिन्दू हो या मुस्लिम, आंखे खोल देगा यह सत्संग

प्रेमानंद जी महाराज के प्रवचन कभी ना कभी आपने जरूर सुने होंगे लेकिन यहाँ पर महाराज जी के एक ऐसे प्रवचन की बात की जा रही है जो बाकी प्रवचन से थोड़ा हटकर है। इस प्रवचन में एक मुस्लिम संत प्रेमानंद जी महाराज के सत्संग सुनने आता है। इसके बाद दोनों के मध्य होई वार्तालाप हर हिन्दू और मुस्लिम को अवश्य सुननी चाहिए। इससे दोनों समझ पाएंगे की एक वास्तविक धार्मिक मनुष्य कौन होता है और सच्चे धर्म का वास्तविक स्वरूप क्या होता है।

मुस्लिम फकीर बाबा मस्तु और प्रेमानंद जी महाराज के प्रवचन हिंदू-मुस्लिम एकता का एक अद्भुत उदाहरण है। 

बाबा मस्तु ने बातचीत की शुरुआत करते हुए प्रेमानंद जी महाराज को राधे राधे कहकर प्रणाम किया और बताया कि वे हजरत मौला अली के दरबार में पिछले 18 सालों से मुख्य संत के रूप में सेवा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि महाराज जी के प्रति उनके दिल में गहरी श्रद्धा और प्रेम है। बाबा मस्तु ने अल्लाह और मौला अली से दो चीजें मांगी हैं: पहला, उन्होंने शुक्रिया अदा किया कि उन्हें महाराज जी का सानिध्य मिला, और दूसरा, उन्होंने दुआ मांगी कि भारत में महाराज जी जैसे दिव्य संत का आशीर्वाद सबको मिले।

महाराज जी ने बाबा मस्तु का स्वागत करते हुए कहा कि उन्हें बहुत खुशी हो रही है कि आप यहाँ आए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सच्चे धर्म का स्वरूप इतना विशाल होना चाहिए कि वह छोटे-छोटे मतभेदों में न बँधे। उन्होंने कहा, चाहे हम किसी भी धर्म के ग्रंथों का अध्ययन करें, जैसे रामायण, गीता, भागवत, श्री गुरु वाणी, या मुस्लिम ग्रंथ, सभी का मूल संदेश एक ही होता है: प्रेम, शांति, और मानवता। अगर हम भगवान को साक्षी मानकर इन ग्रंथों का अध्ययन करेंगे, तो हमें एकता और शांति का अनुभव होगा।

महाराज जी ने कहा कि सच्चे उपासक को सभी में एक ही भगवान का दर्शन करना चाहिए। अगर आप अल्लाह, भगवान, रामकृष्ण, या वाहेगुरु का नाम लेते हैं, तो वह उसी परमेश्वर की उपासना कर रहे हैं। उन्होंने समझाया कि मानवीय मतभेद, जैसे राग-द्वेष, अनुकूलता-प्रतिकूलता, और मान-अपमान, ये सब माया के कारण होते हैं। जब हम इन मतभेदों को छोड़ देते हैं, तभी हम जीवन में सच्ची मुक्ति पा सकते हैं।

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उन्होंने बाबा मस्तु की तारीफ करते हुए कहा कि आपने असली धर्म को समझा है और इसी कारण आप यहाँ आए हैं। सच्चे धर्म का दिल बहुत बड़ा होता है, जो सभी को एक ही नजर से देखता है। महाराज जी ने गुरु ग्रंथ साहिब का उदाहरण देते हुए कहा कि उसमें सभी संतों की वाणी है, जो हमें एकता और समर्पण की शिक्षा देती है। 

महाराज जी ने अंत में कहा कि आजकल लोग छोटे-छोटे मतभेदों के कारण एक-दूसरे का अपमान करते हैं और हिंसात्मक हो जाते हैं, जो कि सही धर्म का रास्ता नहीं है। उन्होंने बाबा मस्तु को उनके हिम्मत और विशाल दिल के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि ऐसे प्रयासों से ही हिंदू-मुस्लिम एकता और भाईचारा बढ़ सकता है।

प्रेमानंद जी महाराज के प्रवचन और इस बातचीत से हमें यह समझने को मिलता है कि धर्म का असली मतलब है सबको एक नजर से देखना, और अगर हम ऐसा करें, तो हमारे बीच के सभी मतभेद मिट जाएंगे और एकता का संदेश फैल सकेगा।

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|| राधे राधे ||
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