प्रेमानंद जी महाराज के प्रवचन : सोने से पहले मोबाईल चलाते हैं तो ये बातें जरूर जान लें
प्रेमानंद जी महाराज के प्रवचन : नींद से पहले के क्षण साधना में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिसे अधिकांश लोग नज़रअंदाज़ कर देते हैं। प्रख्यात संत, प्रेमानंद जी महाराज, ने इस संदर्भ में अद्वितीय दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है, जो न केवल हमारे दैनिक जीवन में अनुशासन की बात करता है, बल्कि इसे आध्यात्मिक साधना के साथ जोड़ता है।
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Toggleसोने से पहले की आदतें: साधना या पतन का मार्ग
प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, सोने से पहले की आदतें एक साधक के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। उनका मानना है कि यदि हम सोने से पहले मानसिक रूप से शुद्ध और एकाग्र नहीं होते, तो हम साधना में प्रगति नहीं कर सकते। वे कहते हैं कि कई लोग सोने से पहले मोबाइल फोन पर अनावश्यक सामग्री देखते हैं या अनर्थक चिंताओं में डूबे रहते हैं। इससे न केवल उनका रात का आराम खराब होता है, बल्कि सुबह भी उनमें आलस्य और निराशा बनी रहती है।
महाराज जी ने इस विषय में बताया कि सोने से पहले यदि आप व्यर्थ के विषय चिंतन में लीन हो जाते हैं, तो आपकी साधना प्रभावित हो जाती है। मोबाइल फोन का उपयोग तो एक तरह से इस व्यर्थ चिंतन को बढ़ावा देता है। उन्होंने कहा कि मोबाइल स्विच ऑफ कर देना चाहिए और इस समय का उपयोग श्रीजी का स्मरण करने में करना चाहिए।
स्मरण और एकाग्रता: सच्ची साधना का मार्ग
प्रेमानंद जी महाराज के प्रवचन में साधकों को स्मरण और एकाग्रता की महत्ता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सोते समय का स्मरण यदि शुद्ध और एकाग्रचित्त से किया जाए, तो यह साधना को और भी मजबूत बनाता है। वे बताते हैं कि सोने से पहले यदि हम प्रभु का स्मरण करते हैं, तो रातभर हमारे मन में वही स्मरण बना रहता है। उन्होंने इसे एक चमत्कारिक अनुभव बताया कि कई बार लोग सोते समय जो भजन या मंत्र जपते हैं, वह जागने के बाद भी अपने आप से शुरू हो जाता है।
यह अनुभव साधकों के लिए एक अद्वितीय मार्गदर्शन है कि कैसे वे अपनी साधना को और भी गहरा बना सकते हैं। महाराज जी ने इसे एक अभ्यास बताया, जो साधना की गहराई को बढ़ाता है। वे कहते हैं कि यदि सोते समय हमारे मन में प्रभु का स्मरण बना रहता है, तो यह हमारे लिए आध्यात्मिक उन्नति का संकेत है।
मंत्र और भजन में रुचि बनाए रखना
प्रेमानंद जी महाराज के प्रवचन में बताया कि कई बार साधक एक ही मंत्र या भजन में रुचि खो देते हैं। ऐसे में उन्हें उस मंत्र को बदल कर कुछ नया आजमाना चाहिए। उन्होंने उदाहरण दिया कि जब मन एक ही मंत्र में उब जाता है, तो उसे बदलकर दूसरे मंत्र में बदल देना चाहिए। यह साधना को ताजगी और नवीनता प्रदान करता है।
उन्होंने कहा कि हर साधक को अपने साधना के उपकरण जैसे मंत्र, भजन, और कीर्तन का सही उपयोग करना चाहिए। साधना के दौरान यदि मन भटकने लगे, तो उसे तुरंत सही मार्ग पर लाना चाहिए। यह साधक को आध्यात्मिक उन्नति में मदद करता है और उसे अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर करता है।
ब्रह्मचर्य और अनुशासन: साधना की मूलभूत नींव
प्रेमानंद जी महाराज के प्रवचन में ब्रह्मचर्य और अनुशासन के महत्त्व को भी समझाया। उन्होंने बताया कि ब्रह्मचर्य केवल शारीरिक संयम नहीं है, बल्कि यह मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धता का प्रतीक है। यदि साधक ब्रह्मचर्य का पालन नहीं करता, तो उसकी साधना में कोई प्रगति नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि यह साधना का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, जिसे हर साधक को अपने जीवन में अपनाना चाहिए।
उन्होंने समझाया कि ब्रह्मचर्य का पालन करने से साधक को मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है। इससे साधना की गहराई बढ़ती है और साधक को प्रभु के निकट जाने का अवसर मिलता है।
निष्कर्ष: साधना में सोने से पहले का समय
प्रेमानंद जी महाराज ने सोने से पहले के समय को साधना का एक महत्वपूर्ण भाग बताया है। उनका मानना है कि इस समय में हमें पूर्णत: शुद्ध और एकाग्रचित्त होना चाहिए। मोबाइल का त्याग कर, व्यर्थ के चिंतन को छोड़कर, प्रभु का स्मरण करना चाहिए। यह साधना की गहराई को बढ़ाता है और हमें प्रभु के निकट ले जाता है।