क्या नीम और हल्दी से हो सकता है कैंसर का इलाज? Sadhguru ने दिया जवाब | Neem aur Haldi se Cancer ka Ilaj in Hindi
Neem aur Haldi se Cancer ka Ilaj in Hindi by Sadhguru : कैंसर आज की दुनिया में एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या है। सद्गुरु ने अपने व्याख्यानों में कैंसर कोशिकाओं और उनके शरीर में फैलने के पीछे के विज्ञान पर रोशनी डाली है। उनके अनुसार, हमारे शरीर में हमेशा कैंसर कोशिकाएं मौजूद होती हैं, लेकिन वे संगठित नहीं होतीं। जब ये कोशिकाएं एकजुट होकर “संगठित अपराध” में बदल जाती हैं, तभी यह शरीर के लिए घातक साबित होती हैं।
शरीर में कैंसर कोशिकाओं का व्यवहार
सद्गुरु बताते हैं कि कैंसर कोशिकाएं (Neem aur Haldi se Cancer ka Ilaj) ठीक वैसे ही होती हैं जैसे शहर में छोटे-मोटे अपराधी। ये अपराधी तब तक कोई बड़ी समस्या नहीं होते जब तक वे संगठित न हो जाएं। ठीक इसी प्रकार, जब तक कैंसर कोशिकाएं एकजुट नहीं होतीं, तब तक शरीर उन्हें नियंत्रित कर सकता है। यदि शरीर की “कानून व्यवस्था” यानी इम्यून सिस्टम मजबूत है, तो वह इन कोशिकाओं को पनपने से रोक सकता है।
नीम और हल्दी का महत्व
नीम और हल्दी को आयुर्वेद में (Neem aur Haldi se Cancer ka Ilaj) सदियों से महत्वपूर्ण औषधि के रूप में माना गया है। सद्गुरु के अनुसार, नियमित रूप से नीम का सेवन करने से शरीर में कैंसर कोशिकाओं की संख्या एक सीमित स्तर तक नियंत्रित रहती है। इसके पीछे कारण यह है कि नीम में ऐसे गुण होते हैं जो शरीर की सफाई और शुद्धिकरण में मदद करते हैं।
हल्दी को भी एक शक्तिशाली एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट के रूप में जाना जाता है। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन तत्व कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने में सहायक होता है। आयुर्वेद और योगिक पद्धति में हल्दी का उपयोग शरीर को रोगमुक्त और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए किया जाता है।
नीम के सेवन में सावधानियां
हालांकि नीम के सेवन (Neem aur Haldi se Cancer ka Ilaj) के अनेक फायदे हैं, लेकिन इसे सीमित मात्रा में लेना चाहिए। सद्गुरु चेतावनी देते हैं कि अधिक मात्रा में नीम का सेवन पुरुषों के शुक्राणुओं की संख्या को कम कर सकता है। इसी तरह, गर्भवती महिलाओं को गर्भधारण के शुरुआती चार से पांच महीनों में नीम के सेवन से बचना चाहिए, क्योंकि यह भ्रूण के विकास पर असर डाल सकता है।
साथ में करें यह एक काम
योगिक संस्कृति में कैंसर से बचाव (Neem aur Haldi se Cancer ka Ilaj) का एक और महत्वपूर्ण तरीका है भोजन के बीच पर्याप्त अंतराल रखना। सद्गुरु के अनुसार, कैंसर कोशिकाएं सामान्य कोशिकाओं की तुलना में 27-28 गुना अधिक भोजन खाती हैं। यदि आप भोजन के बीच 8-12 घंटे का अंतराल रखते हैं, तो कैंसर कोशिकाएं भोजन के अभाव में स्वतः ही मर जाएंगी, जबकि स्वस्थ कोशिकाएं जीवित रह सकती हैं।
मानसिक शांति भी जरूरी
सद्गुरु यह भी बताते हैं कि शरीर और मन का स्थिर और शांत रहना कैंसर कोशिकाओं को फैलने से रोक सकता है। यदि मन और शरीर उथल-पुथल में रहते हैं, तो ये कोशिकाएं फलने-फूलने लगती हैं। इसलिए ध्यान, योग, और एक नियमित दिनचर्या का पालन करना कैंसर से बचाव में सहायक हो सकता है।
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निष्कर्ष
नीम और हल्दी (Neem aur Haldi se Cancer ka Ilaj) जैसे प्राकृतिक औषधीय पदार्थ हमारे शरीर को कैंसर जैसे गंभीर रोगों से बचाने में सहायक हो सकते हैं। इनके नियमित सेवन और एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से हम अपने शरीर की “कानून व्यवस्था” को मजबूत बना सकते हैं। हालांकि, इनका उपयोग किसी विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार ही करना चाहिए, खासकर जब किसी को पहले से कोई स्वास्थ्य समस्या हो।