Naga Sadhu Kaise Bante Hain : कैसे बनते हैं नागा साधु? तरीका जानकार होश उड़ जाएंगे | महाकुंभ में होते हैं इन साधुओं के दर्शन | Mahakumbh 2025 Prayagraj
Naga Sadhu Kaise Bante Hain : कुंभ मेले (Mahakumbh 2025 prayagraj) का आयोजन जब भी होता है, उसके साथ ही नागा साधुओं की रहस्यमयी दुनिया को जानने की उत्सुकता बढ़ जाती है। आज हम इस विषय पर चर्चा करेंगे कि एक सामान्य व्यक्ति नागा साधु कैसे बनता है।
नागा साधु बनना आसान नहीं है। यह प्रक्रिया शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कठिनाइयों से भरी हुई होती है। नागा साधु बनने के लिए कई पड़ावों और कठिन परीक्षा से गुजरना पड़ता है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं।
नागा साधु कौन होते हैं?
नागा साधु (Naga Sadhu Kaise Bante Hain) हिंदू धर्म में संन्यासी परंपरा के वे संत होते हैं जो दुनिया के मोह-माया से पूरी तरह मुक्त हो चुके होते हैं। इनका जीवन भगवान शिव की आराधना और साधना को समर्पित होता है। “नागा” का अर्थ है “नग्न”, लेकिन यह आवश्यक नहीं कि हर निर्वस्त्र साधु नागा साधु ही हो। नागा साधु बनने के लिए विशेष दीक्षा प्रक्रिया और कठोर नियमों का पालन करना होता है।
नागा साधु बनने की प्रक्रिया
1. प्रारंभिक जांच और अखाड़े में प्रवेश
जो व्यक्ति नागा साधु (Naga Sadhu Kaise Bante Hain) बनने की इच्छा रखता है, उसे सबसे पहले किसी अखाड़े में आवेदन करना पड़ता है। अखाड़ा उस व्यक्ति और उसके परिवार की पूरी जांच-पड़ताल करता है। यदि अखाड़ा यह तय कर लेता है कि वह व्यक्ति इस कठिन साधना के लिए योग्य है, तभी उसे अखाड़े में प्रवेश की अनुमति मिलती है।
2. ब्रह्मचर्य की परीक्षा
अखाड़े में प्रवेश के बाद व्यक्ति को ब्रह्मचर्य की परीक्षा देनी होती है। यह परीक्षा छह महीने से लेकर 12 साल तक चल सकती है। इस दौरान व्यक्ति को अपने गुरु के निर्देशन में कठोर साधना करनी होती है।
3. दीक्षा प्रक्रिया
जब गुरु और शिष्य दोनों यह मान लेते हैं कि व्यक्ति (Naga Sadhu Kaise Bante Hain) दीक्षा लेने के योग्य हो गया है, तब उसकी दीक्षा प्रक्रिया शुरू होती है। इसमें:
• व्यक्ति का सिर मुंडवा दिया जाता है।
• उसे चार चीजें प्रदान की जाती हैं: विभूति, लंगोटी, जनेऊ और रुद्राक्ष।
• गुरु उसके कान में तीन बार मंत्र फूंकते हैं और उसे नया नाम देते हैं। इस नामकरण के बाद उसे “महापुरुष” कहा जाता है।
4. पिंडदान और समाज से अलगाव
महापुरुष बनने के बाद (Naga Sadhu Kaise Bante Hain) व्यक्ति को अपने परिवार और समाज से पूरी तरह से अलग होना पड़ता है। इसके लिए उसका पिंडदान किया जाता है, जो यह संकेत देता है कि वह अब अपने पुराने जीवन से मुक्त हो गया है।
5. संन्यासी बनने की प्रक्रिया
पिंडदान के बाद व्यक्ति को संन्यासी (Naga Sadhu Kaise Bante Hain) बनने के लिए कठोर अनुष्ठानों से गुजरना पड़ता है। इसमें यज्ञ और हवन का आयोजन किया जाता है। यह प्रक्रिया कुंभ मेले के दौरान नदी के किनारे होती है।
6. टांग-तोड़ संस्कार
यह नागा साधु (Naga Sadhu Kaise Bante Hain) बनने की अंतिम और सबसे कठिन प्रक्रिया है। इसे “टांग-तोड़” कहा जाता है।
• यह अनुष्ठान रात के समय किया जाता है।
• कीर्ति स्तंभ के सामने, गुरु एक लोटे से जल चढ़ाते हैं और संन्यासी के लिंग के नीचे के झिल्ली को तोड़ते हैं।
• इसके बाद व्यक्ति कामवासना से मुक्त हो जाता है और उसे नागा साधु कहा जाता है।
यह प्रक्रिया इतनी दर्दनाक होती है कि कई बार व्यक्ति बेहोश हो जाता है। लेकिन इस कठिन साधना के बाद वह नागा साधु बनने का गौरव प्राप्त करता है।
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नागा साधु बनने का महत्व
नागा साधु (Naga Sadhu Kaise Bante Hain) बनने का मुख्य उद्देश्य सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर भगवान शिव की आराधना करना है। यह प्रक्रिया केवल उनके लिए है, जो अपने जीवन को पूरी तरह धर्म और साधना के लिए समर्पित करना चाहते हैं।
नागा साधुओं का जीवन
नागा साधु (Naga Sadhu Kaise Bante Hain) निर्वस्त्र रहते हैं और पूरे शरीर पर विभूति (राख) लगाते हैं। वे जंगलों, पहाड़ों और आश्रमों में ध्यान और साधना करते हैं। उनकी जीवनशैली कठोर होती है, और वे समाज की सीमाओं से परे होते हैं।
निष्कर्ष
नागा साधु (Naga Sadhu Kaise Bante Hain) बनना केवल साधारण दीक्षा नहीं है; यह एक आत्मा के सांसारिक बंधनों से मुक्त होने की कठिन यात्रा है। यह जीवन का ऐसा चरण है, जहां व्यक्ति अपने व्यक्तिगत अस्तित्व से ऊपर उठकर आध्यात्मिकता की चरम सीमा को प्राप्त करता है।