Lohri 2025 : 99% लोग नहीं जानते क्यों मनाई जाती है लोहड़ी | वजह जान कर चौक जाएंगे आप
Lohri 2025 : भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख त्यौहार है, जिसे खासकर उत्तर भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व हर साल 13 जनवरी को मनाया जाता है और सर्दी के मौसम में उमंग और खुशी का संदेश लेकर आता है। यह त्यौहार विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। लोहड़ी का त्यौहार न केवल भारत में, बल्कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले भारतीय समुदायों द्वारा भी धूमधाम से मनाया जाता है।
इस ब्लॉग में हम लोहड़ी के महत्व, उसकी पौराणिक कथाओं और इस त्यौहार से जुड़ी प्रचलित परंपराओं के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
लोहड़ी कब मनाई जाती है? Lohri Kab Manae Jaati Hai?
लोहड़ी (Lohri 2025) का पर्व हर साल 13 जनवरी को मनाया जाता है। यह त्यौहार खासकर सर्दी के मौसम के बीच में आता है, जब ठंड अपने चरम पर होती है। यह पर्व मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है, और इसके साथ ही सूर्य के उत्तरायण होने की शुरुआत होती है। लोहड़ी का त्यौहार मुख्यतः पंजाब और अन्य उत्तरी राज्यों में मनाया जाता है, जहां पर लोग इस दिन को बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं।
लोहड़ी का महत्व | Importance of Lohri
लोहड़ी का त्यौहार न केवल एक स्थानीय पर्व है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और धर्म से भी गहरे जुड़ा हुआ है। यह त्यौहार सूर्य की पूजा का प्रतीक है, क्योंकि लोहड़ी के दिन सूर्य उत्तरायण की ओर बढ़ता है, जो कि एक नए जीवन और नई ऊर्जा का संकेत है। इस दिन को खासकर माता सती और दुल्ला भट्टी की कथाओं से जोड़ा जाता है।
इसके अलावा, लोहड़ी (Lohri 2025) के दिन लोग एक साथ मिलकर आग जलाते हैं, जिसे शुभ माना जाता है। आग में तिल, मूंगफली, रेवड़ी, गच्चक और पॉपकॉर्न डालकर लोग अपने अच्छे भविष्य और समृद्धि की कामना करते हैं। यह परंपरा यह भी दर्शाती है कि जैसे आग सब कुछ भस्म कर देती है, वैसे ही पुराने बुरे समय और नकारात्मकता को नष्ट किया जाता है।
लोहड़ी की क्यों मनाई जाती है? Lohri Kyon Manae Jaati Hai?
लोहड़ी (Lohri 2025) से जुड़ी कई पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं। एक प्रमुख कथा के अनुसार, यह त्यौहार माता सती की याद में मनाया जाता है। कथानुसार, जब दक्ष प्रजापति ने अपने यज्ञ में भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया, तो माता सती ने इस अपमान को सहन नहीं किया और यज्ञ की हवन कुंड में कूदकर आत्मदाह कर लिया। उनकी याद में हर साल लोहड़ी जलायी जाती है, जिससे उनकी श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।
इसके अलावा, लोहड़ी (Lohri 2025) का त्यौहार दुल्ला भट्टी से भी जुड़ा हुआ है। दुल्ला भट्टी एक बहादुर और दीन-हीन लोगों के संरक्षक थे। एक बार एक राजा ने एक ब्राह्मण की सुंदर बेटी को अपने महल भेजने का आदेश दिया, लेकिन ब्राह्मण ने अपनी बेटी को महल भेजने से मना कर दिया। फिर दुल्ला भट्टी ने उस ब्राह्मण की मदद की और उसे एक योग्य लड़के से शादी करवा दी। इस घटना के बाद राजा ने दुल्ला भट्टी को दंडित करने की कोशिश की, लेकिन वह सेना को हराकर भाग निकला। इसी कारण लोग लोहड़ी के दिन दुल्ला भट्टी की वीरता और उदारता का सम्मान करते हुए गीत गाते हैं।
लोहड़ी की परंपराएँ और रिवाज | The Traditions are of Lohri
लोहड़ी (Lohri 2025) के दिन कई प्रकार की परंपराएँ निभाई जाती हैं, जो इसे खास बनाती हैं। सबसे प्रमुख परंपरा आग जलाने की है, जहां लोग लकड़ी और उपलों का ढेर लगाकर आग जलाते हैं। फिर इस आग के चारों ओर लोग इकट्ठा होकर तिल, मूंगफली, रेवड़ी और गच्चक अर्पित करते हैं। लोग एक दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं और बुराईयों को समाप्त करने की कामना करते हैं।
लोहड़ी (Lohri 2025) के दिन विशेष रूप से नए परिवारों, नवविवाहित जोड़ों और बच्चों की पहली लोहड़ी मनाने की परंपरा होती है। इस दिन उनके लिए विशेष रूप से तिल और गुड़ दिया जाता है और उनके सुखी जीवन की कामना की जाती है। इस दिन को लोग एक दूसरे के साथ मिलकर खुशी से मनाते हैं, और यह एकता का प्रतीक बनता है।
लोहड़ी के गीत | Lohri Geet
लोहड़ी के दिन गाए जाने वाले गीत विशेष रूप से दुल्ला भट्टी और सुंदरी की काव्य-गाथाओं से जुड़े होते हैं। एक प्रसिद्ध लोहड़ी गीत है:
“सुंदर मुंदरिये हो तेरा कौन विचारा हो,
दुल्ला भट्टी वाला हो”
इस गीत के माध्यम से लोग दुल्ला भट्टी की वीरता का बखान करते हैं और साथ ही लोहड़ी के दिन की खुशियों को साझा करते हैं। इस गीत के साथ लोग भंगड़ा और गिद्धा नृत्य करते हैं, जिससे पर्व की खुशी और उल्लास को महसूस किया जा सकता है।
लोहड़ी और समाज
लोहड़ी (Lohri 2025) का त्यौहार समाज में एकता और प्रेम का संदेश देता है। यह समय है जब परिवार और मित्र एक साथ मिलकर खुशी मनाते हैं और पुराने मतभेदों को भूलकर एक-दूसरे के साथ अच्छे रिश्ते बनाते हैं। लोहड़ी का त्यौहार विशेष रूप से समाज में खुशी और समृद्धि का संचार करता है, और यह बताता है कि जब सभी एकजुट होते हैं, तो कोई भी समस्या असंभव नहीं होती।
निष्कर्ष
लोहड़ी (Lohri 2025) का त्यौहार भारतीय समाज की समृद्ध परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह एक ऐसा त्यौहार है जो लोगों को आपस में जोड़ता है और खुशी और आनंद के साथ जीवन जीने की प्रेरणा देता है। लोहड़ी की आग की तरह ही यह त्यौहार जीवन में नए उजाले और ऊर्जा का प्रतीक बनकर आता है। इस दिन को परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर मनाना और एक दूसरे को शुभकामनाएं देना इस पर्व का असली उद्देश्य है।
लोहड़ी की ढेर सारी शुभकामनाएं!